Saroj Verma लिखित उपन्यास विश्वगसघात (सीजन-२)

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विश्वगसघात (सीजन-२) द्वारा  Saroj Verma in Hindi Novels
मनोरमा.... मनोरमा! कहां हो भाई! धर्मवीर ने अपनी पत्नी को पुकारते हुए कहा।। अभी आती हूं जी! जरा सी सांस तो ले लिया करो,बस...
विश्वगसघात (सीजन-२) द्वारा  Saroj Verma in Hindi Novels
दूसरे दिन सुबह के वक़्त मनोरमा का मन कुछ उदास सा था,वो अपने कमरे की खिड़की के पास खड़े होकर बाहर की ओर देख रही थी,इतवार...
विश्वगसघात (सीजन-२) द्वारा  Saroj Verma in Hindi Novels
अनवर चाचा ने कमरे का नज़ारा देखा तो उनके होश उड़ गए, लेकिन बच्चे.... एकाएक उन्हें बच्चों की याद आई,तब अनवर चाचा ने देखा...
विश्वगसघात (सीजन-२) द्वारा  Saroj Verma in Hindi Novels
सुबह होने को थी,हल्का हल्का उजाला हो चला था,अनवर चाचा रेलगाड़ी के डिब्बे के भीतर पहुंचे , करन को अपनी गोद में लेकर करके...
विश्वगसघात (सीजन-२) द्वारा  Saroj Verma in Hindi Novels
लेकिन आपने ये नहीं बताया कि आप उस बच्ची से इतनी नफरत क्यों करते हैं,?आखिर उस बच्ची ने आपका क्या बिगाड़ा हैं?शकीला बानो ने...