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फाँसी के बाद - उपन्यास
Ibne Safi
द्वारा
हिंदी जासूसी कहानी
फाँसी के बाद इब्ने सफ़ी का आकर्षक उपन्यास है । इसकी कहानी जासूसी का इतना अनोखा वातावरण प्रस्तुत करती है कि पढ़ने वाला अन्त तक इस मायावी वातावरण में खोया रहता है और कहानी समाप्त करने के बाद उसे इब्ने सफ़ी की योग्यताओं और महानता का समर्थन करना पड़ता है । ‘फाँसी के बाद’ इब्ने सफ़ी की उन कृतियों में से है जिनकी कहानियां यादगार की हैसियत रखती हैं । ऐसा दावे के साथ कहा जा सकता है कि पाठक इस कहानी को पढ़ने के लिये विवश होंगे ।
लेखक : इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश उर्दू भाषा के सर्वश्रेष्ठ जासूसी उपन्यासकार इब्ने सफ़ी इब्ने सफ़ी उपन्यास माला का संपादन करने वाले जाने माने कथाकार नीलाभ लिखतें हैं – कहतें हैं कि जिन दिनों अंग्रेज़ी ...और पढ़ेजासूसी उपन्यासों की जानी-मानी लेखिका अगाथा क्रिस्टी का डंका बज रहा था, किसी ने उनसे पूछा कि इतनी बड़ी तादाद में अपने उपन्यासों की बिक्री और अपार लोकप्रियता को देख कर उन्हें कैसा लगता है ? इस पर अगाथा ने जवाब दिया था कि, इस मैदान में मैं अकेली नहीं हूं । दूर हिंदुस्तान में एक और उपन्यासकार है जो हरदिल-अज़ीज
(2) यह नगर का वह भाग था जहां आधी रात व्यतीत होने के बाद भी चहल पहल रहती थी । इसका कारण यह था कि शरीफ़ों की इस बस्ती से मिला हुआ वह भाग था जो रेड लैम्प एरिया ...और पढ़ेथा । किसी ज़माने में यहां रातों में खोये से खोये छिलते थे । लोगों की नज़रें उपर ही की ओर उठी रहती थीं । मगर कई वर्ष पहले जब यहां का कूड़ा पूरे नगर में फैला दिया गया था तो यहां नाच गाने का बोर्ड लग गया था । मगर पुराने ग्राहक – शौकीन मिज़ाज तथा औसत आमदनी वाले
(3) आज रमेश को न्यू स्टार के आफिस में काफ़ी देर हो गई थी । हाल ही में जो सनसनीपूर्ण घटनाएं नगर में हुई थीं उनका विचार करते हुए न्यू स्टार के एडिटर ने उससे एक विशिष्ट राईट अप ...और पढ़ेके लिये कहा था । इसी में देर हो गई थी । रमेश में राईट अप में सारा नज़ला पुलिस पर उतारा था । विनोद की अनुपस्थिति के कारण उसकी हिम्मत और खुल गई थी । यदि विनोद रहा होता तो उसकी लेखनी में इतनी कटुता न होती । एक बजे रात में वह अंतिम कोपी प्रेस को देने के
(4) हमीद सीमा की कोठी के पिछले भाग की ओर आया था । इस्तना उसे मालूम था कि रनधा अपने आदमियों के साथ जिस इमारत में दाखिल होता है, उस इमारत के पिछले भाग पर अपना आदमी अवश्य तैनात ...और पढ़ेहै । इसलिये उसने एक कंकरी उठाकर अंदर कम्पाउंड में फेंकी, मगर जब कोई प्रतिक्रिया प्रकट नहीं हुई तो वह दीवार पर चढ़ गया और धीरे से कम्पाउंड में उतर गया । उसने देखा कि एक आदमी दीवार की ओर से पोज़ीशन लेता हुआ कम्पाउंड की ओर बढ़ रहा है । और फिर दूसरी ओर भी उसे एक आदमी की
(5) आर्लेक्चनू में प्रतिदिन कोई न कोई स्पेशल प्रोग्राम रहता था । आर्लेक्चनू के व्यवस्थापक इस बात को अच्छी तरह समझ चुके थे कि एक ही प्रकार के प्रोग्राम से तीसरे चौथे दिन ही उक्ताहट महसूस होने लगती है ...और पढ़ेइसलिये वह दूसरे-तीसरे दिन प्रोग्राम बदलते रहते थे और इस परिवर्तन में भी इसका विचार रखते थे कि कल जो प्रोग्राम प्रस्तुत किया गया था, उसी प्रोग्राम को आज कुछ नवीनता के साथ प्रस्तुत किया जाये । आज भी डांस ही का प्रोग्राम था – मगर शर्त यह थी कि डांस वाले हाल में वही लोग दाखिल हो सकते थे