Aadhar book and story is written by Krishna Kant Srivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aadhar is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आधार - उपन्यास
Krishna Kant Srivastava
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
आचरण व संस्कार मानवीय नैतिक मूल्यों की दो ऐसी अनमोल निधियाँ हैं, जिनके बिना मानव के सामाजिक जीवन का अस्तित्व खतरे में जान पड़ता है। मानवीय नैतिक मूल्यों का अनुकरण न करना मनुष्य के व्यक्तित्व ह्रास का मुख्य कारण बन जाता है। इनके अभाव में मनुष्य का व्यक्तित्व आलोचनात्मक प्रवृत्ति के पथ पर अग्रसर हो चलता है। यदि बुद्धि मनुष्य को पशु योनि से विरक्त करती है तो संस्कार और व्यवहार मनुष्य को राक्षसी प्रवृत्ति से अलग करते हैं। संस्कार व व्यवहार रहित मनुष्य का आचरण पूर्णतया अमानवीय हो जाता है, जिसे हम राक्षसी संस्कृति से प्रेरित मान सकते हैं।दोषदर्शी
आचरण व संस्कार मानवीय नैतिक मूल्यों की दो ऐसी अनमोल निधियाँ हैं, जिनके बिना मानव के सामाजिक जीवन का अस्तित्व खतरे में जान पड़ता है। मानवीय नैतिक मूल्यों का अनुकरण न करना मनुष्य के व्यक्तित्व ह्रास का मुख्य कारण ...और पढ़ेजाता है। इनके अभाव में मनुष्य का व्यक्तित्व आलोचनात्मक प्रवृत्ति के पथ पर अग्रसर हो चलता है। यदि बुद्धि मनुष्य को पशु योनि से विरक्त करती है तो संस्कार और व्यवहार मनुष्य को राक्षसी प्रवृत्ति से अलग करते हैं। संस्कार व व्यवहार रहित मनुष्य का आचरण पूर्णतया अमानवीय हो जाता है, जिसे हम राक्षसी संस्कृति से प्रेरित मान सकते हैं।दोषदर्शी
हमारे शास्त्रों में गुरु की महिमा का प्रसंग वर्णन बड़े विस्तार से किया गया है। परंतु हम उसी संत को गुरु की श्रेणी में रख सकते हैं जो मनुष्य में सत्य मार्ग पर चलने की सच्ची प्रेरणा उत्पन्न कर ...और पढ़ेहो। जो, शिष्य के ज्ञान के अंधकार को हरकर, ज्ञान की दिव्य ज्योति प्रदान कर सकता हो और भगवत प्राप्ति के पावन पथ पर अग्रसर होने की सामर्थ उत्पन्न कर सकता हो। परंतु भौतिक युग में ऐसे गुरुओं का मिलना न केवल कठिन अपितु असंभव प्रतीत होता है। गुरुओं के रूप में समाज में उपस्थित वंचक गुरुओं द्वारा भोली भाली
मनुष्य अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक निरंतर मानसिक और शारीरिक क्रियाएं करता रहता है, जिन्हें हम कर्म की संज्ञा देते हैं। इनमें कुछ क्रियाएं जो स्वतः ही होती है, जिनमें हमारा बस नहीं चलता, अनैच्छिक क्रियाएं कहलाती हैं ...और पढ़ेहृदय का धड़कना, समय असमय छींक का आना और श्वास लेना आदि। इसके विपरीत कुछ वे दैनिक क्रियाएं होती हैं जिन पर हमारा अधिकार चलता है जैसे हंसना, खाना खाना, रोना, पैदल चलना और बातचीत करना आदि। इन सभी क्रियाओं को जिन्हें हम अपनी इच्छा द्वारा संचालित करते हैं, ऐच्छिक क्रियाएं कहलाती हैं।
इस संसार में मौसम आते हैं और जाते हैं, मनुष्य आते हैं और जाते हैं, समाज बनता है और बिगड़ता है, पर समय बिना रुके सदा चलता रहता है। समय को कोई पकड़ नहीं सकता। हम जितना उसके पीछे ...और पढ़ेहैं वह उतना ही आगे भाग जाता है। यह बहुत बड़ी विडंबना है कि हम समय का महत्व जानते हुए भी उसे व्यर्थ के कार्यों में जाया करते रहते हैं। समय-प्रबंधन की असमर्थता ही इसका मूल कारण है। हम यह भूल जाते हैं कि जीवन-प्रबंधन के लिए, व्यक्तित्व निर्माण के लिए और कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए समय का प्रबंधन
सहनशीलता,जीवन का सर्वोत्तम गुण है।विचार कीजिए आप सड़क पर जा रहे हैं और भूलवश आप किसी अन्य राहगीर से टकरा जाते हैं, आप कतार में खड़े हैं और काउंटर पर बैठा व्यक्ति मध्यम गति से कार्य कर रहा है, ...और पढ़ेजल्दी में हैं और आपको वाहन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है ऐसी बहुत सी ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं जब आप अपना संयम खो कर दूसरे व्यक्ति को बुरा भला कहने लगते00 हैं। आज व्यक्ति का छोटी-छोटी बातों पर नियंत्रण खो देना आम बात हो गई है। ऐसा व्यवहार चरित्र में सहनशीलता की कमी के कारण उत्पन्न होता है।