रामगोपाल तिवारी (भावुक) लिखित उपन्यास गूंगा गाँव | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास गूंगा गाँव - उपन्यास उपन्यास गूंगा गाँव - उपन्यास रामगोपाल तिवारी (भावुक) द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (26) 3.8k 10.8k 8 एक भोर होते ही चिड़ियों ने चहकना शुरू कर दिया। उनमें एक संवाद छिड़ गया था। कुछों का कहना था-‘इस गाँव का किसान बड़ा खराब है, हमारे पहुँच ने से पहले खेतों पर पहुँच जायेगा। जब ...और पढ़ेचुनने लगेंगे तो हाय-हाय करेगा। भला ऐसा अन्न क्या अंग लगेगा!’ कुछों का कहना था-‘ यहाँ का आदमी यह नहीं सोचता कि हमारे क्या खेती होती है? हम अपना पेट भरने कहाँ जायें? क्या करें? गोदामों में पहुँचने के बाद तो हमें अनाज की सुगन्ध भी नहीं मिलने की । इस तरह का खाना किसी को भी अच्छा पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास गूंगा गाँव - 1 1.9k 2.8k एक भोर होते ही चिड़ियों ने चहकना शुरू कर दिया। उनमें एक संवाद छिड़ गया था। कुछों का कहना था-‘इस गाँव का किसान बड़ा खराब है, हमारे पहुँच ने से पहले खेतों पर पहुँच जायेगा। जब ...और पढ़ेचुनने लगेंगे तो हाय-हाय करेगा। भला ऐसा अन्न क्या अंग लगेगा!’ कुछों का कहना था-‘ यहाँ का आदमी यह नहीं सोचता कि हमारे क्या खेती होती है? हम अपना पेट भरने कहाँ जायें? क्या करें? गोदामों में पहुँचने के बाद तो हमें अनाज की सुगन्ध भी नहीं मिलने की । इस तरह का खाना किसी को भी अच्छा अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 2 267 705 दो सूर्य डुबने को हो रहा था। चरवाहे अपने पशु लेकर लौट पड़े थे। गाँव के लोग अपने पशुओं को लेने, गाँव के बाहर हनुमान जी के मन्दिर पर प्रतिदिन की तरह इकठ्ठे हो गये। मन्दिर के ...और पढ़ेसे, जो जमीन की सतह से छह-सात फीट ही ऊँचा होगा, उस पर खड़े होकर पशुओं के आने की दिशा का अनुमान लगाने लगे। मौजी ऐसे वक्त पर जब-जब यहाँ से निकलता है,उसे वर्षें पुरानी घटना याद हो आती है। जब वह पहली-पहली बार इस गाँव में आया थ। पत्नी सम्पतिया उसके साथ थी। भाई रन्धीरा तथा दो अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 3 192 795 तीन आम चुनाव में मौजी को खूब मजा आया। दिन भर घूम-घूम कर नारे लगाते रहो। रात को भरपेट भोजन करो,ऊपर से पचास रुपइया अलग मिलते। दिनभर के थके होते, थकान मिटाने रात पउआ पीने को मिल जाता। ...और पढ़ेभर में वह खा-खा कर सन्ट पड़ गया था। उसने तो जी तोड़ नारे लगाये किन्तु बेचारे पण्डित द्वारिकाधीश जीत न पाये। जीत जाते तो मौजी की पहुँच भोपाल तक हो जाती। मौजी ने भोपाल घूमने के कितने सपने देखे थे। भेापाल देखने की बात मौजी के मन की मन में रह गई। बढ़िया सुन्दर दुकाने होंगी। सब अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 4 198 735 चार मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित, शिक्षा और संस्कृति का केन्द्र ग्वालियर जिला और जिले की संस्कृत साहित्य के गौरव महाकवि भवभूति की कर्म स्थली डबरा,भितरवार तहसीलें। यह भाग पंचमहल के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ एक ...और पढ़ेप्रसिद्ध है- आठ वई नौ दा। पंचमहल कौ हो तो बता।। इसका अर्थ यह है कि पंचमहल क्षेत्र के ऐसे आठ गाँव के नाम बतायें जिनके नाम के अन्त में वई आता हो तथा नौ गाँवों के नाम का अन्त दा शब्द पर हो। इस क्षेत्र में ही नहीं दूर-दूर तक यह कहावत प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 5 165 591 दुनियाँ में कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता और न किसी काम के करने से आदमी का मूल्य ही कम होजाता है। सफाई करने का जो काम, लोग अपनाये हुए हैं, वे उसे तब तक करते रहेंगे जब तक उन्हें ...और पढ़ेकाम से हीनता की भावना नहीं आती। जब-जब जिसे अपना काम छोटा लगने लगा, उसी दिन वे उस काम को तिलांज्जलि दे देंगे। बैसे काम तो काम है। हमारे जिस काम को लोग घृणा की दृष्टि से देखने लगें, उस काम को हमें स्वयं अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 6 132 678 गूंगा गाँव लोकतंत्र का पौधा जब प्रस्फुटित होकर, सत्ता के केन्द्र बिन्दु ब्राजमान होता है,ै। तब वही जन- जन की इच्छायें पूरी करने में समर्थ होता है। इसमें अधिकांश के विकास को समग्र का विकास मान लिया जाता ...और पढ़े विश्व में प्रजातंत्र से सफल कोई शासन की श्रेष्ठ प्रणाली नहीं हो सकती। मानव के विकास में यह बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय की उत्तम परम्परा विकसित हुई है। जब यह प्रणाली संसद से जनपदों तक पहुँचती है तभी इसे पंचायती राज कहना उचित लगता है। इन दिनों कुन्दन यही सब सोचने में लगा है। वार्ड क्रमांक सात अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 7 171 585 गूंगा गाँव गाँव की धरा का अपना परिवेश होता है और अपनी परिधि। गाँव, गाँव होता हैं़, उसकी अपनी परम्परायें होतीं हैं, उसके अपने कानून होते हैं। संसद में बने कानून का इसके परिवेश और परिधि पर जितना ...और पढ़ेहोना चाहिये उतना नहीं हो पाता। गाँव में वर्षों से मजदूरी की दरें सरपंच अथवा मुखिया के घर से तय की जाती हैं। गाँव में सभी उसी रेट पर अमल करते हैं। इस बात में गाँव के बड़े-बड़ों का हित निहित होता है। सरकारी रेट हर वर्ष अखबारों में छपती है, किन्तु गाँव के मजदूरों को कभी नहीं लगता अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 8 123 420 गूंगा गाँव 8 गंगा दशहरे का अवसर आ गया। घर-घर सतुआ की बहार आ गई। आकाश में बादल मड़राने लगे। जिन बड़े किसानों के यहाँ कुओं की खेती थी,उन्होंने कुछ फसल कर ली थी।उनके खलियानों में गठुआ की दाँय ...और पढ़ेरही थी। हरसी के बाँध में पानी समाप्त हो गया था। गन्ने की फसल सूख रही थी। किसान आकाश की ओर ताकने लगे थे। सुबह का बक्त था। गर्म लू अपना असर दिखा रही थी। डाकिये ने कुन्दन के घर में पत्र डाला। जयनारायण की पत्नी लता के लड़का हुआ है। पत्र पढ़कर कुन्दन का मन नाचने लगा। अपने अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 9 135 906 गूंगा गाँव 9 पूँजीवादी व्यवस्थाके नये-नये आयाम सामने आते जा रहे हैं। रुपये का मूल्य गिरता जा रहा है। डालर की कीमत बढ़ती जा रही है। महगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इधर सभी धर्म वाले अपने-अपने धर्म ...और पढ़ेचारित्रिक गिरावट महसूस कर रहे हैं। इसी कारण कुछ लोग संस्कृति की रक्षा की आवश्यकता अनुभव करने लगे हैं। इससे निजात पाने राष्ट्रबाद की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कुछ धर्म को महत्व देकर देश को बचाने की बात कह रहे हैं। इसके बावजूद शोषण के खून के धब्बे ऊपर झाँकने लगे हैं। रहीम कवि ने सच ही कहा अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 10 123 624 गूंगा गाँव 10 समाज में दो वर्ग स्पष्ट दिख रहे हैं। एक शोषक वर्ग दूसरा शोषित वर्ग। आज समाज में ऐसे जनों की आवश्यकता है जो पीड़ित जन-जीवन में जूझने के प्राण भर सकें। यह काम कर सकता ...और पढ़ेबुद्धिजीवी, किन्तु ये बुद्धिजीवी तो चन्द टुकड़ों की खातिर शाषकों के हाथों बिक गये हैं। इसी कारण मौजी को किसी सलाह पर विश्वास नहीं हो रहा है। वह अपने-पराये की ही पहचान नहीं कर पा रहा है। उसका इस धरती पर कौन है? जो उसके अपने बनते हैं उनमें उसके बनने के पीछे शोषण की भावना छिपी है। वह करै अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 11 141 597 ग्यारहगूंगा गाँव 11 रात भर बादल छाये रहे। लोग पानी बरसने की आश लगाये रहे। पानी की एक भी बूँद न पड़ी। सुबह होते-होते आकाश पूरी तरह साफ हो गया। किसान निराश होकर आकाश की ओर ताकते रह गये। ...और पढ़ेपास कुँए थे, वे मौसम के हालचाल देखकर बैंक से कर्ज लेने के लिये दौड़-घूप करने लगे। पहला कर्ज बकाया होने से निराशा ही हाथ लगी। जिले भर में बकाये की अधिक राशि निकल रही थी तो इसी सालवई गाँव पर। गत वर्ष भी फसल अच्छी न आई थी। इधर वर्षा लेट होती जा रही थी। उधर सरकार ने कर्ज अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 12 96 483 बारह गूंगा गाँव 12 अकाल का स्थिति में जितनी चिन्ता गरीब आदमी को अपने पेट पालने की रहती है उतनी ही तृष्णा घनपतियों को अपनी तिजोरी भरने की बढ़ जाती है। गाँव की स्थिति को देखकर ठाकुर लालसिंह ...और पढ़ेअनाज की गाडियाँ भरवाकर बेचने के लिये शहर लिवा गये। सुबह होते ही यह खबर गाँव भर में फैल गई। इससे लोगों की भूख और तीव्र हो गई। उन्हें लगने लगा-यहाँ के सेठ-साहूकार हमें भूख से मारना चाहते हैं। सभी समस्या का निदान खोज लेना चाहते थे। मौजी ने भी यह बात सुन ली थी। उसे ठाकुर अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 13 90 417 तेरह गूंगा गाँव 13 गाँव में चार लोग इकटठे हुये कि पहले वे अपने-अपने दुखना रोयंगे।उसके बाद गाँव की समस्याओं पर बात करने लगेंगे। उस दिन भी दिन अस्त होने को था, गाँव के लोग हनुमान जी के ...और पढ़ेपर हर रोज की तरह अपने पशुओं को लेने इकटठे होने लगे। लोगों में पशुओं के चारे की समस्या को लेकर बात चल पड़ी। मौजी भी वहाँ आ गया। उसने लोगों में चल रही चर्चा सुन ली थी। वह सोचते हुये बोला-‘भज्जा,मैं कुछ कहूँ तो लगेगा, मौजी अपनी होशियारी बताने लगा है। इसीलिये चुप रह जाता हूँ।’ रामदास ने अभी पढ़ो गूंगा गाँव - 14 समाप्त 96 483 चौदह गूंगा गाँव 14 जनजीवन से जुड़ी कथायें ही भारत की सच्ची तस्वीर है।’ यह बात हमारे मन-मस्तिष्क में उठती रही है। किन्तु इस प्रश्न को हल करने से पहले मैं अपने इस गाँव की गढ़ी के इतिहास ...और पढ़ेओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। यह किला जाट राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध रहा है। यहाँ के राजा बदन सिंह की वीरता प्रसिद्ध रही है। इसकी हम चर्चा कर चुके हैं। राजा बदनसिंह के बाद इतिहास की एक प्रसिद्ध घटना यहाँ 17 मई 1782 ई0 में घटित हुई। अंग्रेज वायसराय वारन हेस्ंिटग्स और ग्वालियर के अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ रामगोपाल तिवारी (भावुक) फॉलो