Ye Dil Pagla kahin ka book and story is written by Jitendra Shivhare in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ye Dil Pagla kahin ka is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ये दिल पगला कहीं का - उपन्यास
Jitendra Shivhare
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
ये दिल पगला कहीं का उपन्यास सारांश- ‘ये दिल पगला कहीं का’ उपन्यास कहानी है अभय और डिम्पल की। जो बचपन के प्रेमी है। अभय जब अपनी बेरोजगारी के कारण डिम्पल को अपनाने से मना कर देता है तब डिम्पल गल़त रास्ते का चयन कर लेती है। वह बार गर्ल बन जाती है। एक बड़े स्कैण्डल में फंस जाने पर अभय डिम्पल को बचाने आगे आता है। तब तक वह स्वयं भी एक माफियां डाॅन बन चूका था। अभय और डिम्पल को गिरफ्तार कर लिया जाता है। दोनों की लव स्टोरी जेल में परवान चढ़ती है। जेलर इन दोनों को
ये दिल पगला कहीं का उपन्यास सारांश- ‘ये दिल पगला कहीं का’ उपन्यास कहानी है अभय और डिम्पल की। जो बचपन के प्रेमी है। अभय जब अपनी बेरोजगारी के कारण डिम्पल को अपनाने से मना कर देता है तब ...और पढ़ेगल़त रास्ते का चयन कर लेती है। वह बार गर्ल बन जाती है। एक बड़े स्कैण्डल में फंस जाने पर अभय डिम्पल को बचाने आगे आता है। तब तक वह स्वयं भी एक माफियां डाॅन बन चूका था। अभय और डिम्पल को गिरफ्तार कर लिया जाता है। दोनों की लव स्टोरी जेल में परवान चढ़ती है। जेलर इन दोनों को
ये दिल पगला कहीं का अध्याय-2 "हां। वो दोनों जेल में है और सरकार उन दोनों की शादी के लिए इंकार कर चूकी है।" शर्मिष्ठा ने बताया। "कुछ भी हो दोस्तों! उन दोनों का प्यार निर्दोष है। हजारों युथ ...और पढ़ेके लिये वो लोग आइडियल है।" विवान बोला। "और फ्रेंड्स! ये मत भूलो की ह्यूमन राइट्स वाले हमारे साथ है। मीडीयां वाले भी उन दोनों के लिये कोशिश कर रहे है।" सुखवंत ने कहा। "तो फिर ठीक है फ्रेंड्स! हमें इस मुद्दे को राष्ट्रीय बनाना होगा। हम केन्द्रीय सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करने पर विवश कर देंगे।" विवान
ये दिल पगला कहीं का अध्याय-3 दिल्ली स्थित मेडीकल कॉलेज आबंटित हुआ था। सभी के मनाने पर वह दिल्ली जाकर एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए तैयार हो गयी। दिल्ली में जाकर आर्या व्यस्त हो गई। पढ़ाई की लगन ...और पढ़ेवह अथर्व को भी कम ही याद करती। तीन वर्ष व्यतीत हो चूके थे। एक दिन आर्या की चिठ्ठी अथर्व को मिली। जिसमें उसने अथर्व से अपने अबोध प्रेम के लिए क्षमा मांगी। उसने यह भी उल्लेख किया कि डॉ. आशुतोष ने उसे विवाह का प्रस्ताव दिया है। सक्सेना दम्पति इस विवाह के लिए सहमत थे। अतएव अथर्व, आर्या को
ये दिल पगला कहीं का अध्याय-4 कुछ क्षण के मौन उपरांत सुनंदा बोल-" चन्द्रशेखर की प्रताड़ना और शोषण में अगर कोई मेरे साथ खड़ा रहा तो आनंद वो आप थे। आपने ही मेरे दोनों बच्चों को कभी पिता की ...और पढ़ेहोने नहीं दी। आपके लिए मेरे हृदय में बहुत सम्मान है। मगर•••।" सुनंदा कहते-कहते चुप हो गयी। "मगर क्या? बोलो सुनंदा!" आनंद ने जोर देकर कहा। "बच्चें बड़े हो रहे है और समझदार भी। चन्द्रशेखर से भले ही उन्हें पिता समान दुलार कभी नहीं मिला! मगर अपने पिता का स्थान वो आपको भी नहीं देना चाहते।" सुनंदा बोलकर जा चूकी
ये दिल पगला कहीं का अध्याय-5 मैट्रीमोनी वेबसाइट पर वैजयंती के लिए शिरीष को पसंद किया गया। वैजयंती के पेरेंट्स चाहते थे कि उनकी बेटी वैजयंती बैंक में क्लर्क शिरीष से विवाह के गठबंधन में बंध जाये। वैजयंती स्वयं ...और पढ़ेमें उच्च अधिकारी के पद पर कार्यरत थी। वैजयंती सुन्दर और सुशील होकर शालीनता के समस्त गुणों को धारण कर भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती थी। शिरीष की प्रोफाइल अत्यंत साधारण थी। शिरीष की कद काठी भी सामान्य पुरूष से कम थी। यदि वैजयंती ऊंची हील की सेन्डील पहनकर शिरीष के साथ खड़ी हो जाये तो उसकी ऊंचाई शिरीष से