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इच्छा - उपन्यास
Ruchi Dixit
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
इच्छा एक ऐसी लड़की कहानी है जो साधारण परिवेश मन बुद्धि की होते हुए भी विशेष परिस्थिति ने उसे विशेषता प्रदान की .इच्छा अपने घर मे चार बहनो मे सबसे बड़ी थी समान्य बुद्धि होने के बावजूद वह अपने भविष्य को लेकर काफी चिन्तित थी ग्यारहवी मे पहुँचते ही, माता पिता को उसके विवाह की चिन्ता चक्रवृद्धि ब्याज के साथ ,कर्ज सी सताने लगी. उस समय एक साधारण सरकारी नौकरी मे तनख्वाह से घर चलाना ही बड़ा मुश्किल हो रहा था .उस पर विवाह की चिन्ता ,सिर पर रख्खे कई मन बोझ सी प्रतीत हो रही थी,इसी बीच मानो
इच्छा एक ऐसी लड़की कहानी है जो साधार परिवेश मन बुद्धि की होते हुए भी विशेष परिस्थिति ने उसे विशेषता प्रदान की .ईच्छा अपने घर मे चार बहनो मे सबसे बड़ी थी समान्य बुद्धि होने के बावजूद वह ...और पढ़ेभविष्य को लेकर काफी चिन्तित थी ग्यारहवी मे पहुँचते ही माता पिता को उसके विवाह की चिन्ता चक्रवृद्धि ब्याज के साथ कर्ज सी सताने लगी एक उस समय साधार सरकारी नौकरी मे तनख्वाह से घर चलाना ही बड़ा मुशि्कल हो रहा था उस पर विवाह की चिन्ता सिर पर रख़्खे कई मन बोझ सा प्रतीत हो रहा था इसी बीच मानो
कई दिनो तक चलता रहा इच्छा का सुबह स्नान के बाद सबसे पहला कार्य ईश्वर का ध्यान था यह संस्कार उसे बचपन मे ही विरासत मे मिला था दिन के चौबीस घण्टो मे कई बार परमात्मा से बाते ...और पढ़ेकई बार तो वह उनसे ऐसे लड़ती मानो वो सामने बैठे सुन रहे हो शादी के बाद उसका और था ही कौन माँ बाप से अपनी पीड़ा कह भी नही सकती थी कारण वो पहले ही तीन बेटियो के विवाह की चिन्ता से ग्रसित है उन्हे बताना मानो एक बोझ और, जो क्या उन्हे जीने देता माँ बाप की पीड़ा के
इन बिजलियों ने तो सब उजाड़ ही कर दिया . घर से कम्पनी तक की दूरी ने मानो इच्छा का सारा सामार्थ्य खींच लिया हो आज तक उसने जितने भी इन्टरव्युव दिये उनसे मिली निराशा ने कभी इच्छा को ...और पढ़ेसे इतना कमजोर नही किया जितना आज ,जैसे एक बंजरता की ओर उन्मुख भूमि को घने काले बादलो ने ढक लिया हो और हवायें उन्हे सरकाती हुई उड़ा ले गयी . पहली बार इच्छा अपनी असफलता को किस्मत के कंधो पर डाल खुद को सहज अनुभव कराना चाहती थी पर प्रयास असफल रहा वह खुद को ही कोसने लगी "मै
लगभग एक घण्टे पश्चात बाहर का गेट जो कि इतना चौड़ा कि एक ट्रक ,एक कार एकसाथ आराम से अन्दर प्रवेश कर सकते थे खुलने की आवाज आती है इच्छा का ध्यान गेट की तरफ आकर्षित होता है रिशेप्शन ...और पढ़ेसे बाहर का नजारा साफ-साफ दिखाई देने की वजह से सिर को थोड़ा सा घुमाकर इच्छा सबकुछ देख पा रही थी . एक लाल रंग की स्विफ़ट गाड़ी अंदर प्रवेश करती है उसी गाड़ी में गेट खोलते हुए एक लगभग सात फुट का गौरवर्ण खूबसूरत नौजवान आँखो को सनग्लासेस से ढके हुये अंदर प्रवेश करता है . उनके अन्दर आने से
इच्छा बचपन से ही एक अन्तरमुखी स्वाभाव वाली लड़की थी कुछ बचपन का परिवेश और कुछ पारिस्थितिक प्रदत कुंठाओ ने उसकी जिव्हा और कुछ हद तक दिमाग पर अधिकार कर रख्खा था अगर कुछ स्वच्छंदता थी तो उसकी कल्पनाशीलता ...और पढ़ेविचार शक्ति में क्योंकि यही वो दो चीजे हैं जितना हनन किया जाये यह उतनी ही उन्नत अवस्था प्राप्त कर लेती हैं. फोन लगातार बजे जा रहा है पर इच्छा की हिम्मत नही कर रही उसे उठाने की आखिर वह उठाकर बात क्या करती उसे तो कुछ भी पता नही था .शिवप्रशाद के बार-बार कहने पर वह फोन का रिसिवर