इच्छा - 17 Ruchi Dixit द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इच्छा - 17

इच्छा के सोलहवे एपिसोड मे आपने पढ़ा...प्रतीक्षा के पति कौशल का तबादला उसके अपने शहर मे हो जाता है, जिससे प्रतीक्षा बहुत खुश है | वह इच्छा को घर बुलाती है जहाँ इच्छा को पता चलता है कि आज आज कौशल का जन्मदिन है| सादगी से जन्मदिन मनाने के पश्चात इच्छा घर जाने को होती है, प्रतीक्षा उसे रोक मिठाई व केक का पैकेट उषा को देने के लिए कहती है आगे....

इच्छा कुछ कदम बढ़ी ही थी कि प्रतीक्षा उसे रोकते हुए ,
इच्छु! जरा सुन ! अंधेेेेरा काफी हो गया तूू अकेली मत जा !!यह कहकर प्रतीक्षा कौशल से इच्छा को उसके घर छोड़ने का आग्रह करती है | तभी इच्छा, अरे नही पुरू! मै चली जाऊँगी तू जीजू को परेशान मत कर..... | तभी कौशल दीवार से लगी हैंगर पर से कार की चाभी निकालते हुए, अरे! इसमे परेशानी वाली क्या बात है साली जी, और प्रतीक्षा की तरफ देखते हुए, छोड़ने के बहाने ही सही, कुछ देर आपसे बात करने का हमे भी सौभाग्य प्राप्त हो जायेगा | यह कहकर इच्छा और कौशल नीचे आ जाते हैं और कार मे बैठकर घर के लिए निकल पड़ते है | कुछ दूर निकलने पर कौशल कार मे लगे शीशे मे इच्छा के चेहरे को इस प्रकार देखता है मानो, उसके भावों को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो, इच्छा विपरीत दिशा मे मुँह किये कार के आधे से कम खुले पारदर्शी शीशे से झाँकती हुई जैसे स्ट्रीट लाइटे गिन रही हो | तभी अचानक कौशल बोल पड़ता है , इच्छा जी ! आपके माँ, पापा और बच्चे कैसे हैं ? आप घर कब जाती हैं? इच्छा कौशल द्वारा इस प्रकार कई प्रश्न एकसाथ पूछने पर आश्चर्य से कौशल की तरफ देखती है और, उसे समझते देर न लगी कि प्रतीक्षा ने कौशल को उसके बारे मे बताया है | कौशल, हाँ आपके बारे मे प्रतीक्षा अक्सर बात किया करती थी | इच्छा, जी! सभी अच्छे है, जब से यहाँ आई हूँ अभी घर नही गई लेकिन, दिन मे एक बार मै घर फोन पर बात जरूर करती हूँ | वेरी गुड! कभी किसी चीज की आवश्यकता हो तो मुझे याद कर लीजियेगा , मुझमे और प्रतीक्षा मे कोई अन्तर नही | इच्छा थोड़ा झेंपते हुए, जी जीजू! ,तभी कार इच्छा की बिल्डिंग के बाहर खड़ी हो जाती है | इच्छा कार से बाहर निकलती हुई, थैंक्स जीजू! कौशल, ऊंहूं! इसकी आवश्यकता नही | इट्स माई प्लेजर एण्ड रिस्पॉन्ससिबिलिटी कहते हुए कौशल गाड़ी अपने घर की तरफ घुमा लेता है | दूसरे सन्डे सुबह सात बजे उषा इच्छा को झकझोरती हुई इच्छा उठ! कुछ याद है तुझे ? इच्छा क्या यार! सोने दे न....! अभी खुद ही उठ जाऊँगी | अरे! चलना नही है...? तूने खुद ही तो कहा था | इच्छा क्या कहा था मैने ? उषा, तू सो आराम से मै नही बताऊँगी.... | इच्छा जम्हाई के साथ उठती हुई , अच्छा चल बता अब ? तूने ही तो कहा था कि छुट्टी वाले दिन हम सोसाइटी के अध्यक्ष से मिलेंगे | हाँ कहा तो था पर वह है कौन ? पहले यह पता करना पड़ेगा....| उषा, तो कैसे पता करेगी सोते हुए...?? हमे इस फ्लैट, कालोनी मे आये इतने दिन हो गये और हम बगल मे कौन रहता है यह तक नही जानते | इच्छा , तो चलो अब जान लेते हैं न..., यह कहते हुए हैंगर से कपड़े उतारकर बाथरूम मे घुस जाती है | लगभग आधे घण्टे के अन्दर ही दोनो तैयार होकर बाहर आ जातीं हैं | रूम को बाहर से लॉक कर , सबसे पहले अपने ही फ्लोर के बगल वाले फ्लैट की डोरबेल बजाती है | अन्दर से एक बुजुर्ग महिला , मध्यम काठी की , छोटे सफेद बाल जिसे खास कटिंग से छोटे आकार मे व्यवस्थित कर रखा है| झुर्रियाों के बीच कान्तियुक्त गौरवर्णीय मुँख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि , जैसे गालों और ठोडी पर हल्की सी रोली मल दी हो किसी ने | गेट को आधा ही खोले पूँछती है ,"किनसे मिलना है आपको ? नमस्ते ऑन्टी..!! हम आपके बराबर वाले रूम मे ही रहते हैं , अभी कुछ दिन पहले ही आये हैं | वह बुजुर्ग महिला थोड़ा बाहर की तरफ सिर निकालकर दोनो लड़कियों के अगल- बगल झाँकने के पश्चात खुद को पूर्व अवस्था मे स्थापित करती हुए बोली, हाँ तो...! आपको मुझसे क्या काम है? उस बुजुर्ग महिला द्वारा प्रयोग रूखे शब्दों को सुन इच्छा और उषा एक दूसरे की तरफ देखने लगती है तभी , इच्छा कुछ हिम्मत करके पूँछती है, ऑन्टी हम यहाँ नये आये हैं, हमे आपसे कुछ जानकारी चाहिए थी | इतना सुन अचानक गेट बन्द करती हुई वह महिला बोली, आप लोग जाइये मेरे पास कोई जानकारी नही ,यह कहते हुए दरवाजा तेजी से बन्द कर लिया | एक मायूसी के साथ दोनो पुन: अपने कमरे मे प्रवेश करती हैं | उषा, अब क्या होगा यार? किससे पूँछेंगे..? इच्छा कुछ देर शान्त रहने के पश्चात, मै सोच रही थी उषा....! ऑन्टी जैसे और कितने लोग होंगे यहाँ | उषा, उनका व्यवहार अपनी जगह पर उचित था मुझे ऐसा लगा कि वो हम लोगो से डर रही थी ,
और उनका डर उचित भी था, आखिर हम उनके लिए अंजान थे | इच्छा, तू ठीक कह रही है | उषा, अब हम किससे बात करेंगे..? इच्छा, हुम्म.. ! करेंगे , इस बिल्डिंग मे और भी फैमिलियाँ रहती है, पर आज नही |अगले दिन ऑफिस में लगभग आधा स्टाफ जा चुका था | उषा ने भी अपना सिस्टम ऑफ कर दिया और अपने केबिन की सभी लाइटे बन्द करके, इच्छा के पास पहुँचती है | इच्छा का केबिन उषा के केबिन से थोड़ी दूरी पर था| उषा, इच्छा चल यार! बहुत देर हो गई ! अब तक तू रेडी नही हुई?? इच्छा, हाँ यह माल आज ही जाना है एन्कोज़र बन गया, गॉरन्टी सर्टीफिकेट बना रही हूँ | उषा इच्छा के पास ही चेयर पर बैठ जाती है | इच्छा, चुहलता के साथ, हाँ ! तुझे देर हो रही हो रही हो तो..., तू जा सकती है | उषा, बिना कोई जवाब दिये, हुम्म ....!! | लगभग सारा स्टाफ जा चुका था, इच्छा भी अपना काम खत्म कर उषा के साथ घर के लिए निकल पड़ती है | दोनो मानो अतिरिक्त ऊर्जा से भरी हुई किसी बात पर खिललाती हुई ऑटो पकड़ती है | ठहाको के बीच घर कब आ गया उन्हें पता ही न चला | ऑटो वाले को पैसे देकर वो जैसे ही सीढ़ियों की तरफ बढ़ती है कि, अचानक उषा के मुँह से अरे! यह क्या हो गया? इच्छा जो उषा के पीछे थी, क्या हुआ? यह तो वही ऑटी है जिनसे हम कल मिले थे | यह तो बेहोश हैं | इच्छा अपने साइड बैग से एक छोटी सी पानी से भरी बॉटल निकाल, उस बुजुर्ग महिला के मुँह पर पानी छिड़कती है ,किन्तु उनपर उसका कोई असर न होते देख वे दोनो उस महिला को पास के ही एक हॉस्पिटल में ले जाती है | जहाँ इलाज से पूर्व रिसेप्शनिस्ट मरीज का पता और उनसे उसका सम्बन्ध पूँछती है | पहले तो इच्छा जवाब न दे पाने की स्थिति मे , यह कहकर टालने की कोशिश करती है , मैडम! यदि कोई व्यक्ति जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहा हो तो उसे जीवित बचाने के लिए साथ मे रिश्तेदार होना आवश्यक है? रिसेप्शनिस्ट इच्छा की तरफ देखती हुए, जी मैम! इस हॉस्पिटल का यही रूल है | इच्छा और अगर रिश्तेदार न हो तो? रिसेप्शनिस्ट सॉरी मैम! हम उन्हें यहाँ एडमिट नही कर पायेंगे | इच्छा उषा की तरफ प्रश्नसूचक भाव से देखती है ,दोनो ही असमन्जस की स्थिति में क्या करें कुछ सूझ नही रहा था कि तभी इच्छा बोल पड़ती है मै उनकी बेटी हूँ | औपचारिकता पूरी हो जाने पर उस बुजुर्ग महिला को अन्दर भेज दिया जाता है | साथ ही रिसेप्शनिस्ट ने इच्छा से एन्ट्री फीस की माँग के साथ दवाइयों की एक लम्बी पर्ची पकड़ा दी | इच्छा, मैम ! अभी हमारे पास पैसे नही हम कल जमा करवा सकते हैं..? रिसेप्शनिस्ट, मैम !हमे हॉस्पिटल के ऑनर से सख्त निर्देश हैं, पैसे आपको आज ही जमा कराने होंगे | हॉस्पिटल से बाहर निकलते ही उषा, ये तूने क्या किया? बैठे बिठाये मुसीबत मोल ले ली..., तुझे क्या जरूरत थी, उस बुढ़िया की बेटी बनने की | कहाँ से लायेगी पैसे...? तू ठीक कह रही है उषा लेकिन यदि मै ऐसा न कहती तो वे ऑन्टी का इलाज न करते | उषा , वो तो ठीक है पर , अब तू पैसे कहाँ से लायेगी ? और अगर उस बुढ़िया को कुछ हो गया तब क्या करेगी ..? इच्छा कुछ देर सोचने के पश्चात, मुझे नही पता..! और तू मुझे टेन्शन मत दे | इच्छा अचानक, उषा! मेरे अकाउण्ट मे कुछ पैसे हैं, पहले मेडिकल स्टोर से दवा का पता करते है फिर..., देखते हैं , कितने पैसे बचते है| सारी दवाईंयाँ लेने के पश्चात इच्छा के पास हास्पिटल मे एन्ट्री फीस के पैसे कम पड़ गये, अब वह उषा की तरफ देखने लगी, उषा इच्छा की नजर को ताड़कर भौंहे टेढ़ी करती हुई ,
बहन जी कृपया मेरी तरफ न देखें, मै एक रूपया भी न देने वाली....| इच्छा मुस्कुराती हुई, बहन तेरी सहमती का अन्दाज बड़ा निराला है | उषा, तू कुछ भी कर मै ..., तेरी बातो मे न आने की | इच्छा रिसेप्शन पर दवाई व पैसे पकड़ाती है, रिसेप्शनिस्ट पैसे को गिनते हुए अचानक, मैम! इसमे तो पैसे कम हैं ....? इच्छा जो पहले से ही इस सवाल के लिए तैयार थी, अनुरोधात्मक भाव से, मैम प्लीज़ अभी यह रख लीजिए बाकी मै कल जमा कर दूँगी | इच्छा की बात सुनकर रिसेप्शनिस्ट ने अपनी असमर्थता जाहिर करते हुए, मैम हमारी जॉब का सवाल है, हम चाहते हुए भी आपकी मदद नही कर सकते | तभी पास मे खड़ी उषा बैग से पैसे निकालते हुए, यह लीजिए मैम अब पूरे हो गये? रिसेप्शनिस्ट, हल्की मुस्कुराहट के साथ 'हाँ' मे जवाब देती हुई | दोनो कुछ देर बाहर बेंच पर बैठने से पश्चात उषा बोली, अब घर चलते हैं सुबह ऑफिस भी तो जाना है | इच्छा, तू जा मै यहाँ रूकती हूँ |
उषा, एक बेहोश पड़ी अन्जान बुढ़िया को हॉस्पिटल पहुँचाया, इलाज के लिए पूरा अकाण्ट खाली कर दिया |अब आगे प्राण देने का इरादा है ?? इच्छा , उषा जरा सोचकर देख ये तेरी या मेरी माँ होती तो? केवल हमे जन्म ही तो नही दिया है , है तो माँ ही | उषा हम्म...! मुझे पता है तू बहुत जिद्दी है, ठीक है तू रूक मै जा रही हूँ , यह कहकर उषा बाहर निकल जाती है , तभी डॉक्टर जो इच्छा के सामने से गुजर रहा होता है उसे देख इच्छा, डॉक्टर अब उनकी तबीयत कैसी है? डॉक्टर उनका बीपी लो हो गया था, समय पर उनका इलाज न शुरू होता तो उनकी जान भी जा सकती थी | खैर! घबराने की कोई बात नही कुछ घण्टे मे होश आ जायेगा उन्हें | तभी हाथ मे एक पैकेट लिये उषा प्रवेश करती है | इच्छा , तू गई नही अभी तक ? उषा, तेरे लिये खाना लाई हूँ ! खाना खाकर जाऊँगी | उषा, जैसे ही खाने का पैकेट खेलने को होती है कि, एक नर्स मैम! यहाँ पर रूकना एलाउ नही , फिर भी जरूरी लगे तो , आपमे से एक ही रूक सकता है प्लीज आप जाये | इच्छा उषा को घर जाने को कहती है, पर उषा इच्छा को लिए बगैर नही जाना चाहती थी कि तभी एक नर्स जो बहुत देर से उन दोनो की बात सुन रही थी समीप आकर मैम ! मै नाइट शिफ्ट मे हूँ ,
आपकी माता जी खतरे से बाहर है, घबराने वाली ऐसी कोई बात नही और अगर फिर भी कोई डाऊड हो तो आप अपना मोबाइल नंबर हमे लिखवा दें ,आवश्यकता पड़ने पर आपको सूचित कर दिया जायेगा |अपना नंबर उस नर्स को देकर दोनो घर कि ओर निकल पड़ती हैं | दूसरे दिन विलम्ब ऑफिस आने की सूचना देकर दोनो सहेलियाँ हॉस्पिटल पहुँचती है, जहाँ दूर से ही ऑन्टी पास मे खड़ी नर्स के साथ किसी बात पर मुस्कुराती नजर आ रही थी जिसे देखकर उषा इच्छा से कहती, चल अब ! ऑफिस चलते हैं !! ऑटी ठीक हो गईं |
इच्छा, इतनी दूर आने के बाद अब तुझे क्या परेशानी है? उषा तुझे जाना है तो जा, मै ऑफिस जा रही हूँ ,यह कह उषा जैसे ही मुड़ने को होती है कि, इच्छा उसकी बाजू पकड़कर, चुपचाप चल! और उस बुजुर्ग महिला के पास दोनो खड़ी हो जाती हैं, अचानक उस बुजुर्ग महिला की नजर उन दोनो के ऊपर पड़ती है, आप लोग यहाँ कैसे ?? दोनो के बोलने से पहले ही ,आप अपनी बेटी से कैसे बात कर रहे हो? नाराज हो? बुजुर्ग महिला विस्मय से , बेटी ?? नर्स हाँ..! आप अपनी बेटी को नही पहचानते? महिला, मेरी कोई बेटी नही | नर्स क्या बात कर रहे हो आप ,मुझे लगता है कि आपकी यादाश्त... ? मेरी यादाश्त बिल्कुल ठीक है मेरी कोई बेटी नही केवल दो बेटे हैं और वो भी दोनो विदेश मे रहते हैं, ऑटी आपने सुबह मुझसे एक सवाल किया था, आप यहाँ कैसे पहुँची ? अर्जेन्सी आने की वजह से मै उत्तर नही दे पाई थी | आपको यहाँ लाने वाली ये दोनों ही हैं | उस बुजुर्ग महिला की आँखे इच्छा और उषा को बारी - बारी से देखते हुए नम हो जाती हैं | बिना कुछ बोले अपनी दोनो हथेली से अपना मुँह ढक लेती है, तभी इच्छा बोल पड़ती है ऑटी ! हम ऑफिस जा रहे हैं , बस आपका हाल -चाल ही जानने आये थे | बुजुर्ग महिला अपनी गीली हथेली को चेहरे से हटाती हुई जो, पश्चाताप की ऑच से प्रभावित चेहरे पर मानो छिटके जलकण से प्रतीत होते आँसूओं के बीच , लाल सुर्ख आँखो पर अपनी उँगलियाँ फेरती हुई , सॉरी बेटा ! उस दिन मैने आपके साथ बहुत गलत व्यवहार किया था | ऑटी आपने कुछ भी गलत नही किया था, मै समझती हूँ, आखिर मै आपसे पहली बार ही तो मिली थी , आजकल अपरिचितो पर भरोसा हानिकारक भी हो सकता है |तभी उषा , इच्छा चल ! ऑफिस के लिए देर हो रही है ,हम शाम को ऑन्टी से आकर मिल लेंगे |
इच्छा, हाँ पर! पूछ तो लें कि, इन्हे डिस्चार्ज कब करेंगे ?रिसेप्शन पर पता चला कि जिन्होंने ट्रीटमेन्ट किया उस डॉक्टर के आने पर ही डिस्चार्ज का पता चलेगा | शाम को दोनो ऑफिस से निकलने के बाद सीधा हॉस्पिटल पहुँचती हैं, जहाँ पता चला कि ऑटी अब फिट हैं और , घर जा चुकी है | दोनो सहेलिया घर आकर थकान उतारने के उद्देश्य से अपने - अपने बिस्तर जो की बीच मे अच्छे खासे व्यक्ति के गुजरने भर कर की जगह छोड़कर आमने -सामने दोनो तरफ की दीवार को घेरे हुए था , पर पसर जाती हैं , इच्छा का फ्लैट शहर के कोलाहल से दूर एक शान्त व मनोरम स्थान अर्थात हर जगह पेड़ पौधे व हरियाली ही हरियाली थी| तभी उषा मौन भंगकरते हुए इच्छा...! ऑन्टी तो बड़ी चालाक निकली? हमे सूचना भी नही और फुर्र हो गईं | इच्छा कैसी बाते कर रही है तू ..?कहाँ जायेंगी ? इतनी ही बेचैन हो रही है तो कमरे से बाहर निकलकर जा मिल लें उनसे... | उषा, हाँ..! मिलना तो तुझे चाहिए आखिर उनकी बेटी जो है तू | इच्छा और उषा आपस मे बाते ही कर रही थी, कि डोरबेल बजती है ,उषा गेट खोलती है, सामने उसी बुजुर्ग महिला को देख उषा सहसा बोल पड़ती है, आन्टी आप....! | ऑन्टी बोली येस मै ! | इच्छा भी उठाकर, नमस्ते ऑन्टी ! अब तबीयत कैसी है आपकी? ऑन्टी नही बोलने का ! | माँ बोलने का! मेरा कोई डॉटर नही पन मै मेरा पति बहुत चाहता था हमारा भी एक बेटी हो पन, गॉड ने हमे दो बेटा दिया | उसको पढ़ाना, लिखाया बड़ा किया | विदेश जाकर शादी किया और वहीं का होकर वह गया, जब फोन पर बात होती हैं तो पैसे भेज देता है, यह कहते हुए उनका गला भर आया, वे लोग ये भी नहीं सोचता कि अब मुझको पैसे का नही उनका जरूरत है |जब से दोनो गया है माँ से मिलने नही आया, मैने कहा बेटा आजा तुझे देखने का है तो, उधर से लैपटॉप भिजवा दिया | खैर! आप लोग बहुत अच्छा है | कहते हुए प्यार से सिर पर हार फेरते , गॉड ब्लेस यू बेटा.., आप हमेशा खुश रहो हाथ मे एक चेक इच्छा को थमाते हुए, इच्छा, यह क्या है ऑन्टी? बेटा आप लोगो ने जो मेरे साथ किया उसे , मै कभी नही चुका सकता | इच्छा चेक वापस पकड़ाने की कोशिश करते हुए, इसकी आवश्यकता नही है ऑन्टी | महिला, मुझे पता है बेटा | ये चेक मै इलाज मे खर्च पैसे का बदला नही दे रही, यह मै मेरी बेटी को दे रहा हूँ | आप लोग बहुत अच्छा है पर, मै जानता आप अपना परिवार छोड़कर पैसों के लिए ही यहाँ आया है, और गॉड ग्रेस से पैसा की कमी नही है मेरे पास बस...., यह कहते हुए ऑन्टी मौन हो गई मानो अपने ही जख़्मों पर हाथ रख दिया हो गलती से, आँसूओं से बोझिल आँखे उनके जीवन मे अकेले पन की पीड़ा को जाहिर कर रही थी, जिसे पास मे ही बैठी इच्छा और उषा महसूस भी कर रही थी | तभी अचानक अपने हाथ मे पकड़े बाउल पर ऑन्टी का ध्यान जाता है,
इच्छा को पकड़ाते हुए बेटा मैने आपके लिए बनाया है मूंग का हलवा, मेरे बच्चा लोगों को बहुत पसन्द था | आप लोग टेस्ट करके बतााना कैसा बना है | यह कहते हुये ऑन्टी कमरे से बाहर निकल जाती हैं |क्रमश: