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आओ चलें परिवर्तन की ओर.... - उपन्यास
Anil Sainger
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
आज से करीब बीस-इक्कीस साल पहले कॉलेजिस में लड़कियां बहुत कम हुआ करती थीं और इसी कारण वह हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती थीं | उस ज़माने में कॉलेजिस में रैगिंग एक आम बात थी और कॉलेज प्रशासन की तरफ से भी कोई ख़ास रोकटोक नहीं होती थी | मेरे जैसे लड़कों की रैगिंग तो लगभग रोज़ ही होती थी और ज्यादा बुरा तब लगता था जब लड़कियां भी इसमें शामिल हो जाती थीं| कॉलेज पहुँचने के बाद समझ में आया कि मैं हमेशा से चाहे स्कूल हो या कॉलेज, सबसे पीछे(back bencher) बैठने वाला ही क्यों रहा? क्योंकि मैं
आज से करीब बीस-इक्कीस साल पहले कॉलेजिस में लड़कियां बहुत कम हुआ करती थीं और इसी कारण वह हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती थीं | उस ज़माने में कॉलेजिस में रैगिंग एक आम बात थी और कॉलेज प्रशासन की ...और पढ़ेसे भी कोई ख़ास रोकटोक नहीं होती थी | मेरे जैसे लड़कों की रैगिंग तो लगभग रोज़ ही होती थी और ज्यादा बुरा तब लगता था जब लड़कियां भी इसमें शामिल हो जाती थीं| कॉलेज पहुँचने के बाद समझ में आया कि मैं हमेशा से चाहे स्कूल हो या कॉलेज, सबसे पीछे(back bencher) बैठने वाला ही क्यों रहा? क्योंकि मैं
लगभग तीन महीने बाद जब मेरी परीक्षा का परिणाम आया तो पिता जी ने बोला कि बेटा दिल्ली चले जाओ और आगे की पढ़ाई करो | मैंने उन्हें यह कह कर टाल दिया कि अभी मैं आगे नही पढ़ना ...और पढ़ेहूँ | नौकरी या कहीं प्रशिक्षण प्राप्त करने की कोशिश करूँगा | यदि मुझे कहीं प्रशिक्षण या नौकरी नहीं मिली तो फिर आगे पढ़ने की सोचूंगा | इस पर पिता जी ने ‘हाँ’ की मुहर लगा दी | असल में मैं, दिल्ली आना ही नहीं चाहता था | मुझे डर था कि यदि इस समय मैं दिल्ली जाता हूँ तो
“अम्मा, देखो इसने दूध गिरा दिया है |” “घर में घुसते ही इन लोगों के क्लेश सुन-सुनकर तो मैं दुःखी हो गयी हूँ | सोफ़िया तुम कहाँ हो |” सोफ़िया, सोनिया की आवाज़ सुन कर रसोई से ...और पढ़ेहुए बोली “मैडम, मैं यहाँ रसोई में दूध गर्म कर रही हूँ |” “तुम यहाँ दूध गर्म कर रही हो तो फिर माही क्यों चिल्ला रही है कि दूध गिर गया है?” सोफ़िया, सोनिया के पास आकर धीरे से बोलती है “मैडम, आप जा कर देखिए कमरे में क्या हो रहा है ?” सोनिया कमरे का पर्दा धीरे से हटा कर अंदर
कॉलेज के प्रधानाचार्य सभा को सम्बोधित करते हुए कहते हैं “मेरे सहयोगियों एवं मेरे प्रिय छात्रों, आज हम एक बार फिर धर्म और अध्यात्म(spirituality) जैसे गूढ़ विषय को समझने व उस पर चर्चा करने लिये एकत्रित हुए हैं | ...और पढ़ेहमारे बीच श्री अक्षित जी आए हैं जो एक बहुत बड़ी कम्पनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं | यह धर्म और अध्यात्म को इस आधुनिक युग के अनुरूप ढाल कर एक नए ढंग से पेश करते आ रहे हैं | मुझे उम्मीद है कि आपको यह बोरिंग विषय आज बहुत रोचक लगेगा | तालियों से अक्षित जी
“दोस्तो, मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि आज हम यहाँ पिकनिक मनाने के लिए आए हैं | यह सब हमारे मैनेजर साहब की वजह से ही हो पाया है | मैंने तो बस एक पहल की थी और ...और पढ़ेसब अपने आप होता ही चला गया | जैसा कि मुझे कहा गया है कि मैं आपको बता दूँ कि हम यहाँ से शाम छह बजे के करीब निकलेगें | आप अपने-अपने ग्रुप में घूम-फिर व मस्ती कर सकते हैं | मैनजमेंट की तरफ से कोई प्रतिबन्ध नहीं है | बस आप से यह प्रार्थना कि आप इस इलाके से