Meri Chuninda Laghukataye book and story is written by राज कुमार कांदु in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Meri Chuninda Laghukataye is also popular in लघुकथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ - उपन्यास
राज कुमार कांदु
द्वारा
हिंदी लघुकथा
पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे।
साहूकार के हाथों खेत खलिहान गिरवी रखकर पुश्तों से बेरंग पड़ी हवेली के मरम्मत व रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा था।
इस रंग रोगन व मरम्मत के चक्कर में कई बार घर की रसोई ठंडी रह जाती लेकिन घर के भूखे सदस्य घर के बदलते रूप को देखकर अभिभूत थे व रामलाल काका की शान में कसीदे पढ़ना नहीं भूलते।
एक दिन किसी बात को लेकर उनके दो पुत्रों में बेहद गंभीर विवाद शुरू हो गया। नौबत मारपीट तक पहुँच गई लेकिन रामलाल काका सब कुछ देखते सुनते हुए भी खामोश रहे। घर के अन्य सदस्य चाहते थे कि रामलाल काका उनके झगड़े में हस्तक्षेप करें व घर में शांति लाएँ लेकिन वह फिर भी मौन रहे।
रंग रोगन के ठेकेदार ने रामलाल काका के सम्मान में अपने घर पर एक समारोह का आयोजन किया।
क्रमांक :1एक थे रामलाल काका******************पूरे गाँव में रामलाल काका की ही चर्चा थी। जब से उस विशाल घर परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें मिली थी, उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए जिनके खिलाफ उनके पुरखे सदैव ही रहे। साहूकार ...और पढ़ेहाथों खेत खलिहान गिरवी रखकर पुश्तों से बेरंग पड़ी हवेली के मरम्मत व रंग रोगन का कार्य जोरों से चल रहा था। इस रंग रोगन व मरम्मत के चक्कर में कई बार घर की रसोई ठंडी रह जाती लेकिन घर के भूखे सदस्य घर के बदलते रूप को देखकर अभिभूत थे व रामलाल काका की शान में कसीदे पढ़ना नहीं
क्रमांक 3सोहनलाल *********बाहर झुलसा देने वाली चिलचिलाती धूप थी, बावजूद इसके तहसील में आवश्यक कार्य होने की वजह से वह घर से बाहर जाने की तैयारी कर रहा था। भगवान की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर उसने चारखाने वाला ...और पढ़ेका गमछा सिर पर लपेटा और बाहर निकल ही रहा था कि उसकी चौदह वर्षीया पोती अचानक सामने आ गई। "दादू ! यह चारखाने का गमछा लपेटकर तो आप पूरे मुस्लिम लग रहे हो।" कहकर खिलखिलाते हुए वह घर के अंदर भाग गई। "अरे बेटा, किसी कपड़े के इस्तेमाल से कोई हिन्दू- मुस्लिम नहीं हो जाता...और फिर मैंने यह गमछा
लघुकथा क्रमांक 6विरोध प्रदर्शन************एक गोदाम में मोमबत्तियों के एक समूह की आपस में बातें हो रही थीं। एक मोमबत्ती ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, "भला हो इस कोरोना का, जिसने सारे असल दरिंदों को घरों में कैद ...और पढ़ेदिया है, नहीं तो अब तक न जाने कितनी निर्भयाओं की इज्जत लूटी जाती, हत्याएँ होतीं और फिर उनके विरोध प्रदर्शन के नाम पर हमें जलना पड़ता।" दूसरी मोमबत्ती ने रहस्य भरे स्वर में कहा, "इंसानों की दरिंदगी की शिकार ये मासूम अबलाएं ही नहीं इंसानों की एक प्रजाति भी है जिसे मजदूर कहा जाता है। सुना है कि इसी
लघुकथा क्रमांक 9जमाखोरी*********जंगल का राजा शेरसिंह भोजन करने के बाद आराम कर रहा था कि अचानक चुन चुन चूहे को न जाने क्या सूझी, वह उछलते कूदते शेरसिंह के पेट पर जा पहुँचा और कूदने लगा। उसके कूदने से ...और पढ़ेको पेट में गुदगुदी सी हुई और वह हँस पड़ा। उसको हँसते देखकर जंगल का प्रधान मंत्री भोलू भालू भी हँस पड़ा और बोला, " महाराज ! चूहे की इतनी बड़ी गुस्ताखी के बाद भी आप इसको सजा देने की बजाय उल्टे हँसे जा रहे हैं ?"शेरसिंह भोलू की तरफ देखकर मुस्कुराया और बोला, " भोलू ! हम जानवर तो
लघुकथा क्रमांक 12रणचंडी *******रजनी आज बहुत खुश थी। शारदा विद्यालय के प्राचार्य ने आज सुबह ही उसे फोन करके सूचित किया था कि अध्यापिका की नौकरी के लिए उसके आवेदन को स्कूल के प्रबंधकों ने मंजूर कर लिया है। ...और पढ़ेनियुक्ति पत्र लेने वह प्रधानाचार्य के दफ्तर में पहुँची। बड़ी गर्मजोशी से उससे हाथ मिलाते हुए प्रधानाचार्य ने उसे सिर से लेकर पैर तक चश्मे के पीछे से ऐसा घूरा कि रजनी भीतर ही भीतर सिहर गई। नियुक्ति पत्र उसके हाथों में थमाते हुए प्रधानाचार्य चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए बोला, "बधाई हो ! तुम्हारा चयन हमारे इस प्रतिष्ठित