काबिलियत
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एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता पद के लिए पार्टी द्वारा आवेदन मँगवाए गए थे। तय दिनांक के बाद पार्टी के महासचिव ने अपने सहयोगी को तलब किया और उनसे पूछा, "प्रवक्ता पद के लिए कितने आवेदन आए हैं ?"
आवेदनों के पुलिंदों को दिखाते हुए सहायक ने बताया, "सर ! आवेदन तो खूब आए हैं, और मैंने अपने विवेकानुसार उन्हें अलग अलग छाँट भी लिया है।"
खुश होते हुए नेताजी ने आवेदनों के एक बड़े से गट्ठर की तरफ इशारा करते हुए पूछा, "कुछ इसके बारे में बताइए !"
"सर ! यह सबसे बड़ा गट्ठर उच्च शिक्षित विशिष्ट पदवी धारी लोगों के आवेदनों का है!"
"..और यह दूसरा गट्ठर ?"
" सर ! यह दूसरा गट्ठर अपेक्षाकृत कम पढेलिखे मगर पार्टी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं के आवेदनों का है। मैं इनमें से ही कुछ बेहतर आवेदन जाँच परखकर आपको देता हूँ। आप उनमें से चयन कर लीजिएगा।" सहायक ने कहा।
तभी नेताजी की नजर दोनों गट्ठरों के पास ही बेतरतीब खुले पड़े कुछ आवेदनों पर गई। उनका मंतव्य भाँप कर सहायक कहने लगा, " सर ! ये तीन आवेदन आए हैं जिनपर कोई विचार किया ही नहीं जा सकता, इसलिए अलग रखे गए हैं।"
"क्यों ?...क्यों विचार नहीं किया जा सकता ?"
"क्योंकि इन तीनों ने माध्यमिक शिक्षा भी पूर्ण नहीं की है।"
"तो ये कौन सी बड़ी बात है ? शिक्षा का क्या है, अगर आवेदक प्रवक्ता बनने की हमारी अन्य शर्तों को पूरा करता है तो उसे कोई भी डिग्री दिलाकर शिक्षित बनाने में हमें देर नहीं लगेगी यह तो तुम जानते ही हो...!"
महासचिव का भाषण अभी शुरू ही था कि सहायक ने हैरानी भरे स्वर में कहा, "लेकिन सर ! बात इतनी ही नहीं है। ये तीनों अपराधी भी हैं। गंभीर धाराओं में दर्जनों मुकदमे चल रहे हैं इन तीनों पर !"
"बस बस ! अब और कुछ नहीं जानना है इनके बारे में ! ऐसे ही प्रवक्ताओं की तो हमें तलाश थी। इन तीनों को ही प्रवक्ता पद का नियुक्ति पत्र सौंप दो !"
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