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वैंपायर अटैक - उपन्यास
anirudh Singh
द्वारा
हिंदी डरावनी कहानी
रोमानिया से आने वाली स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सुबह सुबह लैंड कर चुकी थी।
दरअसल हाल ही में दोनों देशों की सरकारो ने अपने अपने देशों की कुछ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई प्राचीन वस्तुओं को एक दूसरे के साथ साझा किए जाने का एक समझौता किया है,
जिससे दोनों देश एक दूसरे की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से वाफिक हो सकेंगे,
इसी प्रकार की वस्तुओं की खेप लेकर आई थी यह फ्लाइट।
सामान की जांच करने के बाद उनको एक वैन में रखवाकर प्रदर्शन हेतु म्यूज़ियम भेजने की तैयारी की जा रही थी।
"गिरीश ,यह ताबूतनुमा बक्सा तो खाली है एकदम,अब इसको कौन देखेगा।"
"लोगो को तो बस एंटीक बोल के कुछ भी दिखा दो,बड़े चाव से देखते है" हंसते हुए गिरीश ने महेश को जबाब दिया।
"पर गिरीश जब हम इसको बाहर से लेकर आये थे तो काफी भारी था,और अब तो इसका वजन महसूस ही नही हो रहा,ऐसा क्यो?" थोड़ा सा परेशान होते हुए महेश ने कहा।
"हा हा, मुर्दा होगा ताबूत के अंदर ,तुम्हारी शक्ल देखकर डर के भाग गया होगा न......तुम भी यार.....फालतू दिमाग लगाते रहते हो.....चलो लंच बॉक्स उठाओ अब कुछ खा लिया जाए।" महेश ने फिर से मजाकिया लहजे में जबाब दिया।
रोमानिया से आने वाली स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सुबह सुबह लैंड कर चुकी थी। दरअसल हाल ही में दोनों देशों की सरकारो ने अपने अपने देशों की कुछ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई प्राचीन ...और पढ़ेको एक दूसरे के साथ साझा किए जाने का एक समझौता किया है, जिससे दोनों देश एक दूसरे की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से वाफिक हो सकेंगे, इसी प्रकार की वस्तुओं की खेप लेकर आई थी यह फ्लाइट। सामान की जांच करने के बाद उनको एक वैन में रखवाकर प्रदर्शन हेतु म्यूज़ियम भेजने की तैयारी की जा रही थी। "गिरीश
अगले तीन दिन शहर के लिए खौफ भरे थे....चांदनी चौक से लेकर बसन्त बिहार तक हर इलाके में लोगो की निर्ममता के साथ हत्याएं होती चली जा रही थी। पुलिस के साथ इन तीन दिनों में इस वैम्पायर की ...और पढ़ेमुठभेड़ हुई पर इसका अंजाम कई पुलिस वालों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। यह खूनी वैम्पायर दिन प्रतिदिन और अधिक शक्तिशाली एवं भयंकर होता चला जा रहा था, डर के मारे लोगो ने घरों से निकलना ही बंद कर दिया था। इंस्पेक्टर हरजीत सिंह के नेतृत्व में अत्याधुनिक हथियारों से लैस एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया,
दिल्ली से बहुत दूर उत्तराखंड में हिमालय की ऊंची ऊंची चोटिया...जहाँ दूर दूर तक बर्फ की सफेद चादर फैली दिख रही थी......इंसान का नामोनिशान भी न था.…..सिर्फ कुछ बिना पत्तियो वाले पेड़.....जिनकी टहनियां भी बर्फ से लदी हुई थी.....और ...और पढ़ेकरते हुए कुछ सफेद बर्फीले भालू। इन्ही पहाड़ियों के बीचों बीच एक लंबी सी सुरंग थी...जिसका द्वार भी बर्फ से दब चुका था..... इस सुरंग में हवा का एक चक्रवात सदियों से पशु पक्षियों के कौतूहल का केंद्र था....क्योकि आमतौर पर इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा बहुत ही निम्न होती है.....पर यह बर्फ़ीली आंधी का चक्रवात एक ही जगह
पेट्रो के देहरादून में सक्रिय होने की जानकारी दिल्ली तक पहुंचने में अधिक समय नही लगा। सरकार इस मुद्दे के साथ बहुत ही संवेदनशीलता के साथ निपट रही थी....तभी तो सारे देहरादून में तुरन्त ही कर्फ्यू लगाने का आदेश ...और पढ़ेकर दिया गया......सुनसान सड़को पर पुलिस की आवाजाही बढ़ गयी थी.....किसी अनजान खतरे से आशंकित ,डरे सहमे से लोग अपने घरों में कैद थे.... 'ऑपरेशन ड्रैकुला' को अंजाम देने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स भी देहरादून के लिए रवाना कर दी गयी। पर वैम्पायर आम इंसानों से ज्यादा शक्तिशाली तो होते ही है साथ ही कुटिलता में भी वो इंसानों
लीसा और विवेक की ओर बढ़ते वैम्पायरो को रोकने के लिए हरजीत सिंह अपने दल समेत खड़े थे.....इस स्पेशल टास्क फोर्स की प्राथमिकता थी कि ऐसे सिविलियन जो वैम्पायर बन गए है उन पर जानलेवा हमला न किया जाए......इस ...और पढ़ेको ध्यान में रखते हुए इस टीम ने इन वैम्पायरो पर 'स्टॉक पैलेट गन' से हमला किया । स्टॉक पैलेट गन आम पैलेट गन्स से अधिक प्रभावी होती है ...इसके जबरदस्त धक्के से शिकार कई मीटर पीछे गिरता है....पर उसको अधिक नुकसान नही पहुंचता है.....वैम्पायरो की टुकड़ी को भी इसके अटैक ने लीसा और विवेक से दूर फेंक दिया। "लीसा