Vaimpire Attack - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वैंपायर अटैक - (भाग 1)

रोमानिया से आने वाली स्पेशल फ्लाइट नई दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर सुबह सुबह लैंड कर चुकी थी।

दरअसल हाल ही में दोनों देशों की सरकारो ने अपने अपने देशों की कुछ ऐतिहासिक विरासत से जुड़ी हुई प्राचीन वस्तुओं को एक दूसरे के साथ साझा किए जाने का एक समझौता किया है,
जिससे दोनों देश एक दूसरे की प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति से वाफिक हो सकेंगे,
इसी प्रकार की वस्तुओं की खेप लेकर आई थी यह फ्लाइट।

सामान की जांच करने के बाद उनको एक वैन में रखवाकर प्रदर्शन हेतु म्यूज़ियम भेजने की तैयारी की जा रही थी।

"गिरीश ,यह ताबूतनुमा बक्सा तो खाली है एकदम,अब इसको कौन देखेगा।"

"लोगो को तो बस एंटीक बोल के कुछ भी दिखा दो,बड़े चाव से देखते है" हंसते हुए गिरीश ने महेश को जबाब दिया।

"पर गिरीश जब हम इसको बाहर से लेकर आये थे तो काफी भारी था,और अब तो इसका वजन महसूस ही नही हो रहा,ऐसा क्यो?" थोड़ा सा परेशान होते हुए महेश ने कहा।

"हा हा, मुर्दा होगा ताबूत के अंदर ,तुम्हारी शक्ल देखकर डर के भाग गया होगा न......तुम भी यार.....फालतू दिमाग लगाते रहते हो.....चलो लंच बॉक्स उठाओ अब कुछ खा लिया जाए।" महेश ने फिर से मजाकिया लहजे में जबाब दिया।

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शाम के 6 बजे थे,एयरपोर्ट के मालगोदाम वाले इलाके पर पुलिस का जबरदस्त पहरा था,
दरअसल गोदाम में आज बड़े ही संदिग्ध हालातो में दो मौते हुई थी, मरने वालो के नाम गिरीश सिंह और महेश आर्या थे।

दोनों के सफेद पड़ चुके मृत शरीर गोदाम की बगल वाली टॉयलेट में पड़े हुए थे

शरीर को देख कर लग रहा था कि मानो उनके शरीर मे खून की एक बूंद भी न बची हो,
गर्दन के पास दो बड़े निशान थे....किसी जंगली जानवर द्वारा दांतो से किये हमले जैसे निशान

पुलिस की फोरेंसिक टीम और फिंगर एक्सपर्ट अपने काम मे जूटे हुए थे.....

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत का कारण किसी खतरनाक जंगली जानवर द्वारा हमला बताया गया।

एयरपोर्ट पर जंगली जानवर ...वो भी नरभक्षी.... यह बात पुलिस को हजम नही हो रही थी.....एयरपोर्ट के किसी भी सीसीटीवी में भी कोई ऐसा फुटेज नही मिला था जिसके आधार पर पुलिस को कोई सुराग मिल सके।


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रात के 12 बज चुके थे,काली रात में सुनसान सड़क पर उजाले का स्त्रोत स्ट्रीट लाइट्स ही थी, उनमे से भी कुछ लाइट्स थोड़ी देर जलने के बाद बार बार बुझ रही थी।

25-30 साल के दो युवक राहुल और विवेक अपनी पेट्रोल खत्म हो चुकी बाइक को धकेलते हुए घर जाने की हड़बड़ी में उसी सड़क पर चले आ रहे थे।

"यार राहुल,मूवी तो मस्त थी....पर ये साली बाइक धोखा दे गई,पूरा मूड़ ही खराब हो गया।"

"क्या खाक मस्त थी यार, मैने तुझसे कहा था न कि ये हॉलीवुड के भूत मुझे हजम नही होते....अब वो तीन सिर वाला भूत मेरी आँखों के सामने बार बार आ रहा...वैसे भी डर लग रहा था....ऊपर से तेरी ये खटारा बाइक।"

पसीना पोंछते हुए राहुल ने जबाब दिया तो विवेक ठठाकर हंस पड़ा..."मेरे भाई इतना डरता है तू इन भूतों से....अबे तू मेरा दोस्त है ,विवेक सिंह रंधावा का.....समझा...अबे ये मरे हुए लोग मुझसे डरते है...मुझसे"

शेखी बघारने में हमेशा अब्बल ही रहता था विवेक।

वैसे विवेक को भूतप्रेतों में बड़ी दिलचस्पी थी,आज तक कभी उसका सामना तो नही हुआ था भूतप्रेतों से पर फिर भी दुनिया भर का ज्ञान बटोर कर रखा था उसने इनके बारे में।

"व..व...वो क्या है....." राहुल ने डर भरी चीख के साथ सड़क से जुड़ी हुई एक गली के नुक्कड़ की ओर इशारा किया।

वहाँ किसी इंसान की धुंधली सी आकृति बिजली के पोल से चिपकी एवं हिलती हुई नजर आ रही थी।

"लगता है कोई भिखारी है....करंट लग गया उसको...आओ देखते है।" बाइक को वही छोड़ कर विवेक उस ओर दौड़ पड़ा।

पीछे पीछे राहुल भी आ रहा था।

खम्भे के नजदीक आने पर कोई भी नही दिखाई दिया तो दोनों अपना सिर खुजलाने लगे।

आssssssss......राहुल की जोरदार चीख सुनाई दी।

विवेक ने पलट के देखा,तो आंखों पर भरोसा ही न हुआ।

एक अजीब सी शक्ल वाला डरावना सा इंसान....माफ कीजियेगा....इंसान कम एक खौफनाक जानवर ज्यादा लग रहा था वह....खैर वह जो भी था....राहुल की गर्दन को अपने जबड़ो में दबाए ,उसके शरीर को अपने पंजो से पकड़े तेजी के साथ खम्भे पर ऊपर की ओर रेंग रहा था।

उफ्फ..क्या था यह....जिस तरह बिल्ली अपने शिकार को दबोच कर ले जाती है...ठीक उसी तरह पैसठ किलोग्राम वजन वाले राहुल को वह एक छोटे से बच्चे की तरह खींचता हुआ ले जा रहा था।

मंजर बड़ा खौफनाक था....विवेक एकदम से कांप गया था...उसे समझ ही नही आ रहा था यह आखिर हुआ क्या है।

राहुल की दर्दनाक चीखने की आवाजों से यह सुनसान इलाका गूंज रहा था।

विवेक ने हिम्मत बांध कर उस लोहे के खम्भे को जोर से हिलाया,कुछ पत्थर भी उठाकर ऊपर की ओर फेंके पर उस नरभक्षी पर कुछ भी फर्क नही पड़ा।

स्ट्रीट लाइट की रोशनी में राहुल का फड़फड़ाता हुआ जिस्म और उसकी गर्दन पर दांत गड़ाए हुए वह दैत्य साफ दिखाई दे रहे थे।

शायद वह राहुल का खून पीने में व्यस्त था.....असहाय सा खड़ा विवेक कुछ भी नही कर पा रहा था...मजबूर हो कर वह पागलो की तरह चिल्लाने लगा।

कुछ ही मिनिटो के बाद धड़ाम की तेज आवाज के साथ राहुल का मृत शरीर पचास फ़ीट की ऊँचाई से नीचे आ गिरा था....सिर पत्थर से टकराकर अनार की भांति बिखर गया.....शरीर एकदम सफेद पड़ चुका था....शायद उस शैतान ने सारा खून पी लिया था राहुल का।

विवेक का बहुत बुरा हाल था....उसके बचपन का दोस्त उसकी आँखों के सामने लाश में बदल गया था और वह चाहते हुए भी कुछ न कर सका....भय,क्रोध एवं दुख के मिश्रित भाव उसके चेहरे पर साफ झलक रहे थे।

अचानक से वह शैतान विवेक के ठीक सामने खड़ा था...उसको देख कर महसूस हो रहा था कि सालो पुरानी किसी सड़ी गली लाश में जान डाल दी गयी हो.....चेहरे से लटकता हुआ मांस,अंदर से झांकती हुई हड्डिया...बिना बालो का सिर...और कटे फटे होंठो के अंदर से निकले हुए दो पीले एवं नुकीले दांत.....जिन पर राहुल का ताजा खून लगा हुआ था....देखने मे चेहरे की बनावट इंडियन तो बिल्कुल नही लग रही थी।

इस भयानक से शख्स को सामना खड़ा देखकर कोई भी डर से थर थर कांपने लगे...पर विवेक के साथ अब ऐसा नही हो रहा था.....अपने जिगरी दोस्त को खोने की वेदना अब हर प्रकार के डर पर हावी थी....गुस्से से तिलमिला रहा था विवेक।

वह दैत्य बिना देर किए विवेक पर टूट पड़ा...अपने नुकीले दांतो से उसकी गर्दन को नोंच देना चाहता था वह....पर विवेक भी पहले से तैयार था.....पास रखे हुए नुकीले पत्थर को अपना हथियार बनाते हुए उसने भी मुंहतोड़ जबाब दिया ।

अचानक से हुए इस हमले की कल्पना उस शैतान ने भी नही की होगी....उसका एक दांत टूट कर नीचे गिर पड़ा था....मुंह से डरावनी आवाज निकालते हुए उसने अपने पैर से जोरदार ठोकर विवेक को मारी....गजब की ताकत थी उसकी ठोकर में...विवेक किसी गेंद की तरह लुढ़कता हुआ दूर जा गिरा....उठने की काफी कोशिश के बाद भी वह न उठ सका..... विवेक के शरीर की सारी मांसपेशिया ही इस ठोकर से चरमरा उठी थी।

वह शैतान अब विवेक पर टूट कर फाड़ डालने ही वाला था कि धाँय....... धाँय........धाँय......गोलियों की बौछार उसके शरीर से पार हो गयी।

पुलिस की एंट्री बिल्कुल सही समय पर हुई थी.....पुलिस कर्मियों ने मौके की नजाकत को समझते हुए चेतावनी देने से अच्छा विकल्प सीधे शूट करना ही समझा।

गोलियां शरीर से पार होने के बाद भी वह शैतान नष्ट नही हुआ बस थोड़ा सा विचलित होने के साथ साथ धक्के के साथ नीचे गिर पड़ा।

पुलिस टीम उसके पास पहुंचती उस से पहले ही उस शैतान ने खड़े होकर एक तेज छलांग लगाई और कई मीटर दूर जाकर गिरा.....फिर दूसरी कुछ छलांगों में मकानों की छतों पर से कूंदते हुए तुरन्त ही आंखों से ओझल हो गया।

"ओह माय गॉड....व्हाट इज दिस...... भरोसा नही हो रहा ।" पुलिस इंस्पेक्टर की आंखे आश्चर्य से फ़टी जा रही थी।

कुछ पुलिस कर्मियों ने सहारा देकर विवेक को उठाया...लड़खड़ाता हुआ विवेक अपने दोस्त के लहूलुहान मृत शरीर के पास जा पहुंचा....और फूट फूट के रोने लगा।

अब तक आसपास के घरों से निकल कर काफी लोग इकठ्ठा हो चुके थे...उनमें से ही एक बुजुर्ग ने इस घटना को होते हुए अपनी खिड़की से देखा था...और पुलिस को फोन भी किया था।

इंस्पेक्टर हरजीत सिंह विवेक को सांत्वना दे रहे थे...उन्होंने बताया कि यह आज की पहली घटना नही है.....इस तरह का पहला केस एयरपोर्ट पर देखने को मिला ...उसके बाद अब तक शहर में 10 लोगो की इसी प्रकार निर्मम हत्या हो चुकी है।

इंस्पेक्टर साहब काफी चिंतित थे क्योंकि हत्यारा कोई साधाहरण इंसान नही एक भयानक नरभक्षी था.....जिसकी ताकत के बारे में भी किसी को कोई अंदाजा न था।

"सर... यह कोई नरभक्षी,दैत्य,या साधाहरण भूतप्रेत नही ..यह तो वैम्पायर है...एक खतरनाक वैम्पायर"
विवेक ने आंसुओ को पोंछते हुए इंस्पेक्टर को बताया।

"वैम्पायर..... यह क्या बला है....यार थोड़ा डिटेल में बताओ।" इंस्पेक्टर साहब के लिए यह मुसीबत एकदम नई थी।

"सर, अभी तक किस्से कहानियों में ही पढ़ा था, पर यह सच मे होते है आज पहली बार पता चला.....इनसे जुड़ी हुई दन्त कथाओं में कई यूरोपियन देशों में इनके अस्तित्व का दावा किया जाता रहा है......मौत के बाद शरीर को तांत्रिक क्रियाओं द्वारा पुनः जीवित किया जाता था....जीवित होने पर यह जिंदा लाशें वैम्पायर का रूप ले लेती है.....कई शैतानी शक्तियों के स्वामी होते है ये वैम्पायर....... लोगो के शरीर से निकले ताजा खून को पीकर और अधिक शक्तिशाली बनते जाते है...उसके बाद तो इनके द्वारा किसी व्यक्ति का खून पी लेने से उसकी मौत नही होती है बल्कि वह खुद भी एक वैम्पायर बन जाता है..सर इस वैम्पायर की शारीरिक स्थिति बता रही थी कि यह अभी जाग्रत हुआ है....इसलिए कुछ कमजोर है....पर अगर इसको जल्दी नही रोका गया तो फिर यह अपार शक्तियां एकत्रित कर लेगा..........सर... इसने मेरे भाई जैसे दोस्त को मेरी आँखों के सामने तड़पा तड़पा के मार डाला.....पर मैं इसको नही छोडूंगा चाहे कुछ भी हो....भले ही मेरी भी जान क्यो न चली जाए पर आज से इस शैतान को फिर से मुर्दा बनाना मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य रहेगा।"

वैम्पायर के बारे में बताते बताते विवेक भावुक हो चुका था.....उसकी आँखों मे तैरते आंसुओ के बीच मे दहकते हुए प्रतिशोध के अंगारे साफ देखे जा सकते थे।

इंस्पेक्टर हरजीत सिंह के साथ साथ वहाँ खड़े हुए सभी लोग इस शहर में अचानक से आई इस डरावनी मुसीबत को लेकर काफी चिंतित थे।

कहानी जारी रहेगी.........


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