वैंपायर अटैक - (भाग 6) anirudh Singh द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वैंपायर अटैक - (भाग 6)

रात भर शहर में अफरातफरी का माहौल रहा.....देहरादून के लिए यह रात बड़ी अराजकता भरी थी.....सुबह होते होते इस सुंदर से शहर में बड़े स्तर पर तोडफ़ोड़ हो चुकी थी......शॉपिंग मॉल,दुकाने,कई घर,पेड़ ,खम्भे,पार्क,सड़क के किनारे खड़े वाहन.....इन वैम्पायरो ने तहस नहस कर दिए थे ........रात में पुलिस कमजोर पड़ी तो आर्मी को भी उतारा गया....तब जा कर बड़ी मुश्किल में इन वैम्पायर्स को उलझा कर रखा गया जिस से जनहानि बहुत ज्यादा नही हो पाई........सुबह सूरज की किरण पड़ते ही यह सभी वैम्पायर किसी गुप्त ठिकाने पर पहुंच गये थे......शायद पेट्रो उनको निर्देशित कर रहा था.....जो वैम्पायर लीसा ने कैद किये थे तेज धूप आते आते वो सभी सामान्य हो गए।

लीसा,हरजीत सिंह और सारी की सारी टास्क फोर्स रात भर शहर में पेट्रो को ढूंढने की कोशिश करती रही.....पर कुछ भी हाथ न लगा.........और विवेक रात से ही डटा था देहरादून पुलिस के कंट्रोल रूम में.........शहर में लगे हुए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज वह बड़ी बारीकी के साथ चेक करने में लगा था।

आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण था ,क्योकि दिन में नए नवेले वैम्पायर्स तो बाहर निकल नही सकते.....क्योकि वैम्पायरो को रात के समय काबू करना बहुत मुश्किल होता है......अब तक पेट्रो भी बहुत शक्तिशाली हो चुका था....इसलिए अगर इस मुसीबत से निजात पानी है....तो दिन में ही इनको हर हाल में ढूंढ कर खत्म करना ही सबसे बेहतर विकल्प था।

सुबह 4 बजे की कुछ सीसीटीवी फुटेज विवेक के सामने स्क्रीन पर चल रही थी......जिसमे शहर के उत्तरी छोर स्थित फन वैली के सामने से कूंदते फांदते निकलते हुए कुछ वैम्पायर दिखाई दिए....विवेक ने इस जगह के बारे में कन्ट्रोल रूम में मौजूद पुलिस अधिकारियों से विस्तृत जानकारी जुटाई तो पता चला कि....यह रास्ता पर्यटक स्थल 'रोबर्स केव' की ओर जाता था...... तपती गर्मी के इस मौसम में यह गुफाएं सुनसान ही रहती है.....और यहां पहाड़ियों के काफी संकरे होने के कारण सूरज की रोशनी भी पहुंच नही पाती है जिस वजह से दिन में भी काफी अंधेरा रहता है।

"यस......आई एम हंड्रेड परसेंट स्योर....वो सब इसी जगह होंगे"..…... राहत भरी मुस्कुराहट के साथ विवेक ने तुरन्त ही टास्क फोर्स को इसके बारे में सूचना दी ।

तुरन्त ही आगे की रणनीति बना कर टास्क फोर्स ने सबसे पहले ड्रोन कैमरों से उस पहाड़ी क्षेत्र की निगरानी शुरू कर दी थी.......परिणाम मनमुताबिक था......कैमरे में उन अंधेरी गुफाओं में कुछ वैम्पायर्स की गतिविधियां रिकॉर्ड हो गयी थी।

स्पेशल टास्क फोर्स की टीम के साथ साथ भारी मात्रा में विध्वंसक अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर इंडियन आर्मी की एक बड़ी टुकड़ी बख्तरबंद गाड़ियों और टैंक लेकर पेट्रो को नेस्तनाबूद कर देने के इरादे के साथ उस ओर रवाना हो चुके थे.......जल्दी ही वैम्पायर्स और इंसानों के मध्य एक निर्णायक जंग की शुरुआत होने जा रही थी।
क्योकि पेट्रो को खत्म करना अब बहुत ही आवश्यक हो गया था.......
इन सब घटनाओं का सजीव प्रसारण शैतान सम्राट ड्रैकुला देख तो नही पा रहा था....पर अपनी शैतानी इंद्रियों की मदद से वह इस घटनाक्रम को महसूस जरूर कर रहा था........ड्रैकुला के निर्जीव जैसे पड़े शरीर मे अब थोड़ी थोड़ी हरकत होने लगी थी......शायद उसके सीने में धंसे उस चमात्कारिक क्रॉस एवं उसको जकड़े हुए दिव्य कैद क्षेत्र का प्रभाव कम होता जा रहा था.........और आखिर होता भी क्यो न.......पेट्रो लगातार वैम्पायर्स शक्तियों व उनकी गतिविधियों को दिन दूनी रात चौगनी तरक्की के साथ बढ़ाता जा रहा था।

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अभी तक पुलिस व आर्मी का निर्णय था कि किसी भी इंसानी वैम्पायर पर जानलेवा हमला नही किया जायेगा..... पर अब मौके की नजाकत को देखते हुए कुछ लोगो को बचाने के लिए सारी दुनिया के बेकसूरों को खतरे में डालना उचित नही था.....इसलिए अब वैम्पायरो पर किया जाने वाले इस हमले का उद्देश्य पेट्रो को खत्म करना था.....फिर यदि बीच मे कोई भी इंसानी वैम्पायर आ जाये तो इसको भी ध्वस्त कर देने का निर्णय फोर्स को लेना पड़ा।

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दोपहर के तीन बज चुके थे....रॉबर्स हिल के चप्पे चप्पे पर मोर्चा संभाले हुए जवान तैनात थे.......पहाड़ियों को चारों ओर से घेरे हुए टैंक्स और आसमान में मंडराते फाइटर प्लेन बस हमला किये जाने का आदेश पाने का इंतजार कर रहे थे।

अगर वैम्पायर्स की जगह पर अन्य अपराधी होते....तो उनको पहले हथियार डाल कर बाहर आने की कड़ी चेतावनी दी जाती उसके बाद आगे की कोई कार्यवाही की जाती........पर ये तो वैम्पायर्स थे.....इनको थोड़ा भी समय देने का मतलब था खुद का भारी नुकसान करवाना।

लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ सूरी ने वायरलेस पर अपनी आर्मी विंग को आदेश दिया....."कमांडो रेडी तो अटैक नाउ.......थ्री....टू....वन.......अटैक।"

सारा क्षेत्र धमाकों की गूंज से कांप उठा......फाइटर प्लेन गुफाओं में बम बरसा रहे थे....तो टैंक्स भीषण आग उगल रहे थे........चारो ओर आग ही आग नजर आने लगी.......बाहर अपनी टीम को गाइड करते हुए हरजीत सिंह भी वैम्पायर्स की प्रतिक्रिया का इंतजार करते हुए पूरी तैयारी के साथ मुस्तैद खड़े थे।

.......... कहानी जारी रहेगी......