Prabodh Kumar Govil लिखित उपन्यास सेहरा में मैं और तू

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सेहरा में मैं और तू द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
ओह! शुरू शुरू में ये अविश्वसनीय सा लगा था।बिल्कुल असंभव! नहीं, ऐसा हो ही कैसे सकता है? इसकी कल्पना करना भी कल्पनातीत है।...
सेहरा में मैं और तू द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
ये उन दिनों की बात थी जब राजमाता जीवित थीं। इतना ही नहीं, बल्कि तब तक महाराज साहब ने भी इस दुनिया से कूच नहीं किया था और...
सेहरा में मैं और तू द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
पुरानी बातों का कोई भी अस्तित्व चिन्ह अब यहां नहीं था। अब न राजमाता जीवित थीं और न ही उनके उस छोटे सुपुत्र के बारे में क...
सेहरा में मैं और तू द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
( 4 )हल्की - हल्की धूप सिर पर चढ़ आई थी। मैस वाला लड़का बार बार पहाड़ी की तरफ़ देखता फिर सेब के रस के बर्तन को देखता। वह...
सेहरा में मैं और तू द्वारा  Prabodh Kumar Govil in Hindi Novels
आज अकादमी में बहुत खुशी का माहौल था। जिसे देखो वही एक दूसरे से हंस - हंस कर उत्साह से बात कर रहा था। ऐसा लगता था जैसे को...