Ishq hai sirf tumse book and story is written by Heena katariya in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ishq hai sirf tumse is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ईश्क है सिर्फ तुम से - उपन्यास
Heena katariya
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
"सुलतान .... सुलतान मल्लिक नाम है मेरा!" २५ साल का लड़का अरमानी शूट में आंखे बंद करके! टेबल पर दोनो पाव रखकर आराम से बैठा हुआ था! उसके व्यक्तित्व से साफ साफ दिख रहा था की वह एकदम गुरुरी और आदर के साथ बुलाए जाने का धनी था! ना तो उसे पसंद आएगा की कोई उसकी बात की तौहीन करे!? और ना ही वह ऐसे लोगों को चैन से जीने देता है । "और एक बार मैं जो ठान लेता हूं! उसे मैं किसी भी कीमत पर हासिल करके रहता हूं! और ना तो यहां किसी में भी इतनी हिम्मत है की मुझे रोक सके और ना आगे भी किसी में हिम्मत होगी! तो बेहतर हो
"सुलतान .... सुलतान मल्लिक नाम है मेरा!" २५ साल का लड़का अरमानी शूट में आंखे बंद करके! टेबल पर दोनो पाव रखकर आराम से बैठा हुआ था! उसके व्यक्तित्व से साफ साफ दिख रहा था की वह एकदम गुरुरी ...और पढ़ेआदर के साथ बुलाए जाने का धनी था! ना तो उसे पसंद आएगा की कोई उसकी बात की तौहीन करे!? और ना ही वह ऐसे लोगों को चैन से जीने देता है । "और एक बार मैं जो ठान लेता हूं! उसे मैं किसी भी कीमत पर हासिल करके रहता हूं! और ना तो यहां किसी में भी इतनी हिम्मत
बाबा ..... बाबा रुकिए....! ऐसी आवाज देती हुई लड़की! दौड़ते हुए आ रही थी! । जब तक वह करीब ३६ साल के आदमी के पास पहुंचती दौड़ने की वजह से वह हाफ रही थी । तभी वह आदमी कहता ...और पढ़े। रहमान: नाज कितनी बार कहां है की ऐसे पागलों की तरह भाग के मत आया करो!? और तुम आगे पीछे भी देखती नहीं! बाइक या कार से टकरा जाती तो! ।नाज: अरे! बाबा लेकिन बात तो सुने मेरी! आप... अपना फ़ोन और पर्स घर भर ही भूल गए थे और कब से कॉल पे कॉल आए जा रही है
सुलतान टावल लपेटे बाथरूम से अपने रूम में आया ही था की देखता है महरीन उसके कमरे में बेड पर बैठी हुई थी! । जैसे ही वह उसे देखता है! तो मानो किसीने उसे कच्चा करेला खिला दिया हो ...और पढ़ेमुड़ बिगड़ जाता है। वह उसे नजर अंदाज करते हुए बेड पर पड़े शर्ट को लेने के लिए आगे बढ़ता है! । वह जैसे शर्ट उठाता है! महरीन भी उसे दूसरी और से पकड़ लेती है। जिस वजह से सुलतान गुस्से में उसकी ओर देखता हैं। सुलतान: महरीन क्या बदतमीजी हैं! ये!? । महरीन: क्या मैने क्या किया!? । सुलतान:
नाज कॉलेज से घर की ओर जा ही रही थी की तभी आवाज आती है । जरा सुने...!? ।नाज़: ( पीछे मुड़ते हुए ) ... ( सुबह टकराई थी वह लड़का था। ) जी! बोले!? ।लड़का: आप की पैन ...और पढ़ेगई थी! आज जब हम...! ।नाज: ओह! शुक्रिया! । ( पेन लेते हुए.... मुड़ने ही वाली थी। ) ।लड़का: सॉरी! मैंने अपना नाम नहीं बताया! साहिर! साहिर हसन.... ।नाज: ( मन में: मैने क्या आचार डालना है नाम जान के । ) जी! ।साहिर: वैसे आपने अपना नाम भी नहीं बताया!? ।नाज: जी!? ।साहिर: आपका नाम!? नाज: सॉरी! पर मैं
सुलतान कार लेकर अपने घर की ओर जा ही रहा था। उसके माथे पर ना ही सिकन थी ना ही कोई अफसोस। यह उसके रोजमरा के कामों में से एक था । जैसे सभी लोग ऑफिस जाते है.... बिजनेस ...और पढ़ेहै वैसे ही उसके लिए था। उसके दिमाग में एक भी बार ख्याल नहीं आया की वह अभी अभी एक इंसान.... और वो भी जिंदा इंसान के साथ खेलकर या फिर कहे की चौंट पहुंचाकर आया है। शायद उसके अंदर जो भी इंसानी जज्बात थे वह रहे ही नहीं। क्योंकि ना ही उसे अभी खुशी का अहसास होता है और