ईश्क है सिर्फ तुम से - 4 Heena katariya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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ईश्क है सिर्फ तुम से - 4

नाज कॉलेज से घर की ओर जा ही रही थी की तभी आवाज आती है । जरा सुने...!? ।
नाज़: ( पीछे मुड़ते हुए ) ... ( सुबह टकराई थी वह लड़का था। ) जी! बोले!? ।
लड़का: आप की पैन गिर गई थी! आज जब हम...! ।
नाज: ओह! शुक्रिया! । ( पेन लेते हुए.... मुड़ने ही वाली थी। ) ।
लड़का: सॉरी! मैंने अपना नाम नहीं बताया! साहिर! साहिर हसन.... ।
नाज: ( मन में: मैने क्या आचार डालना है नाम जान के । ) जी! ।
साहिर: वैसे आपने अपना नाम भी नहीं बताया!? ।
नाज: जी!? ।
साहिर: आपका नाम!?
नाज: सॉरी! पर मैं जरूरी नहीं समझती नाम बताना! और ( पैन दिखाते हुए ) शुक्रिया! । ।
साहिर: अच्छा! सुने! मुझे लगता है! आप मुझे गलत समझ रही है! मेरा इरादा बेआराम करना नहीं था... और ना ही मैं यहां जानबूझ कर आया हूं! मैने आपको आवाज दी थी लेकिन आप सुबह शायद जल्दी में थी इसीलिए नहीं सुना!।
नाज: देखिए! मैने ना बात तो बढ़ाना नहीं है! ना...! ।
साहिर: ( नाज की बात काटते हुए ) अगर आपको मेरी नियत पर गुमान हो रहा है! तो ठीक है! मैं आईंदा आप से बात नहीं करुंगा! और मेरे जहन में ऐसा कुछ नहीं था की मैं आपको बैचेन करु! माफी चाहता हूं! और अभी हम इत्तेफ़ाक़ से मिले है। ( इतना कहते ही वह चला जाता है। ) ।
नाज: ( साहिर जिस ओर जा रहा था, देख रही थी! की कहीं उससे गलती तो नहीं हुई! । फिर वह अपने घर चलने लगती हैं । सारे रास्ते वह साहिर के बारे में ही सोच रही थी ।) मैं आ गई! ( दरवाजा खोलते हुए ) अम्मी! खाना लगा दे! बड़ी जोरो से भूख लगी है।
साद: ओय! अम्मी बाहिर गई हैं! तो ये बकरी की तरह मिमियाना बंद करो! ।
नाज: ( गुस्से में अपने भाई की ओर देखते हुए ) तो तुम यहां क्या कर रहे हो!? तुम्हे क्यों साथ नही ले गई! कम स कम! सुकून तो होता घर में । ( खाना लेते हुए ) ।
साद: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) अम्मी ने मना किया है! वर्ना मैने दिखाना था क्या हाल करता तुम्हारा! ।
नाज: हां! हां! अब बेयल को बांधकर ही रखना चाहिए! ।
साद: बंदर की बहन! अब! तुम अपनी हद से बाहिर जा रही हो! ।
नाज: ( जीभ निकालते हुए ) शुरू तुमने किया था! अब भुगतो! वैसे बंदर तो तुम हो ही तुम्हे शक है क्या इसमें!? । ( अपने कमरे में चली जाती है । ) ।

बैग को टेबल पर रखकर! वह पलंग पर बैठते हुए टीवी चालू करती है! । और खाना खाते हुए! वह टीवी देखने लगती है । वह खाना खा ही रही थी की उसका फॉन बजता है । वह उठते हुए! " क्या मुसीबत है! चैन से खाना भी नहीं खाने देते । " । स्क्रीन पर देखती है तो अनजान नबर था! शायद कोई जरूरी कॉल हो! उठाते हुए! ।

नाज: हैलो!? .... हैलो!? । ( लेकिन सामने से आवाज नहीं आती । ) । हैलो!? अब फॉन किया है तो बात भी करो!? या फिर पैसे बिगाड़ने का शौक है!? । ( आवाज आती है । ) ।
अनजान नंबर : " काम हो गया!? । "
नाज: ( नंबर की ओर देखते हुए ) देखे! आई मीन सुने! पहले आप अपना नाम तो बताए!? और कौन से काम की बात कर रहे है! आप!? ।
अनजान नंबर: अपने बॉस से पूछो! और मुझे दो सेकंड में जवाब दो! और सबसे बड़ी बात मुझे बेफिजूल की बाते पसंद नहीं! आई बात समझ में! ।
नाज: अरे! अजीब मनहूस आदमी हो! एक तो खुद फॉन करते हो! ना नाम बता रहे हो! ना पता!? और ऊपर से अकड़ भी दिखा रहे हो!? ।
अनजान नंबर : देखो! आखिरी बार कह रहा हूं! मुझे सिर्फ जवाब हां या ना में चाहिए! ये बकबक सुनने की आदत नहीं है! । काम हुआ या नहीं! ।
नाज: ( फोन को कान से हटाते हुए एक दो सेकंड के लिए देखती है । ) अजीब ही नहीं! दिमाग से पैदल भी हो! किसी अच्छे से आलिम से इलाज करवा लेना अपना ! ( इतना कहते ही वह फोन काट देती है। ) ।

वह फिर से बेड पर बैठते हुए खाना खाने लगती है! । और टीवी की चैनल बदल ही रही थी की तभी न्यूज में किसी के मर्डर की खबर आ रही थी! जिस वजह से! वह चैनल रोकते हुए! खाना खाने लगती है। खाना ठंडा होने की वजह से बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था पर भूख की वजह से वह खा रही थी। और उस आदमी को भला बुरा कह रही थी। तभी मुदीर परिवार से बात करती है । जो रोए जा रहा था । नाज देखकर सोच ही रही थी की पता नहीं क्या हासिल कर लिया! इस आदमी को मार के। ऐसे कैसे इंसान किसी को भी मार देता है!? हाथ नहीं कांपे होगे उसके!? रहम नहीं आया होगा उसे!? और पता नहीं खुदा से डर क्यों नहीं लगता की वह जब बदला लेगा तो कोई भी बचा नहीं सकेगा । नाज बस सोच ही रही थी की उसकी अम्मी की आवाज आती है ।

सादिया: नाज...! साद!? ।
नाज: ( उठकर दरवाजा खोलते हुए ) जी अम्मी!? ।
सादिया: नीचे आओ!? ।
नाज़: अभी आई! ( टीवी... और लाइट को बंद करते हुए( नीचे हॉल की ओर जाती हैं । ) ।
सादिया: ( सोफे पर बैठते हुए ) तुम्हारी फूफी आ रही आज! ।
नाज: ( चौंकते हुए ) फूफी! उन्हें कौन सा नया तमाशा करना है अब!? ।
सादिया: ( आंखे दिखाते हुए ) नाज!? ।
साद: अम्मी ठीक ही तो कह रही है! जब भी आती है! कोई ना कोई तमाशा करके ही जाती है।
नाज: आप उन्हें साफ साफ क्यों नहीं कहती की मैने शादी नहीं करनी! ।
सादिया: पागल हो गई हो!? ऐसी बाते किसी भी रिश्तेदार ने सुनी ना तो कहीं भी रिश्ता नहीं होगा! और तुम दोनों तमीज से पेश आना! मुझे कोई भी शिकायत नहीं चाहिए।
साद: अम्मी जब वो कह रही है उसने नही करनी शादी तो रहने दे ना! और वैसे भी अब्बू की मर्जी के बिना तो ये रिश्ता होने से रहा! तो आप! ।
सादिया: ( साद की और चप्पल फेकते हुए ) ज़बान लड़ाना बंद करो! और जाओ काम करो अपना! ।
साद: ( सिर को सहलाते हुए ) आप के पास जवाब नहीं होता तब यही करती है आप! ( जल्दी से अपने कमरे की ओर भागने लगता है इससे पहले की दूसरा चप्पल लगे। ) ।
सादिया: नाज! तुम भी जाओ अपना काम करो! ।
नाज़: ( उठते हुए ) जी अम्मी! ।


अपने कमरे का दरवाजा बंद करते हुए! हाए अल्लाह क्या मुसीबत है ये! आखिरी बार बचा ले मैने, इसके बाद कुछ भी नहीं मांगना तुझ से! । बस इस बार किसी भी तरह रिश्ते की बात टल जाए! अगली बार ऐसा कुछ हो इससे पहले ही मुझे यूएस निकलना पड़ेगा! । वर्ना यहां रहना खतरे से खाली नहीं है! । बस किसी भी तरह सलीम को किसी से प्यार हो जाए! ताकि मेरा पीछा छूट जाए! । मदद कर दे या खुदा! मैने ऐसे ही बुड्ढी हो जाना है! इन सारी बातों का टेंशन लेते लेते! । इतना कहते ही वह बेड पे जाके सो जाती है।