Stree book and story is written by सीमा बी. in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Stree is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
स्त्री.... - उपन्यास
सीमा बी.
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
स्त्री एक ऐसी खूबूसरत औरत की कहानी है जिसका जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। जिसने हर चुनौती से लड़ते हुए अपने आत्मसम्मान को बचाए रखा और अपने आप को समाज में स्थापित कर ये दिखा दिया कि एक औरत चाहे तो क्या नहीं कर सकती? बस यही है कहानी की नायिका जानकी की कहानी उसकी जबानी.....
स्त्री......
मैं जानकी एक बहुत ही साधारण परिवार में असाधारण खूबसूरती लिए पैदा हुई थी। पिताजी एक सरकारी कर्मचारी थे और माँ गृहिणी। हम लोग तीन बहन भाई थे और मैं सबसे बड़ी। मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता था पर हमारे यहाँ लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया लिखाया नहीं जाता था आज से लगभग 30 साल पहले। वैसे तो हम तीनों ही होशियार थे, बहुत मुश्किल से पिताजी ने 8 कक्षा तक पढने दिया क्योंकि आगे पढने के लिए लड़को के साथ सहशिक्षा स्कूल जो एकमात्र सरकारी स्कूल था जाना पढता.....इसलिए गाँव में लड़कियों को पढने के सपने को आँखों में ही दफनाना पड़ता..।
स्त्री एक ऐसी खूबूसरत औरत की कहानी है जिसका जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। जिसने हर चुनौती से लड़ते हुए अपने आत्मसम्मान को बचाए रखा और अपने आप को समाज में स्थापित कर ये दिखा दिया ...और पढ़ेएक औरत चाहे तो क्या नहीं कर सकती? बस यही है कहानी की नायिका जानकी की कहानी उसकी जबानी.....स्त्री.........मैं जानकी एक बहुत ही साधारण परिवार में असाधारण खूबसूरती लिए पैदा हुई थी। पिताजी एक सरकारी कर्मचारी थे और माँ गृहिणी। हम लोग तीन बहन भाई थे और मैं सबसे बड़ी। मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता था पर हमारे यहाँ लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया
स्त्री.........(भाग-2)हमारी कक्षाएँ बहुत अच्छी चल रही थी। इस बार रामलीला में मुझे सीता नहीं बनाया गया। मुझे बहुत बुरा लग रहा था। फिर माँ ने बताया कि अब मैं सयानी हो गयी हूँ, इसीलिए पिताजी ने ही मना किया ...और पढ़ेलड़कियाँ ही सीता बनती हैं, माहवारी शुरू होना मतलब स्त्री की श्रेणी में मैं आ गयी हूँ, माँ ने मुझे समझाते हुए कहा.........मेरे मन में बहुत सवाल थे पर माँ के गुस्से को भी मैं जानती थी फिर भी हिम्मत करके बोल ही दिया की माँ सीता माता भी तो स्त्री ही थीं......माँ ने कहा," हाँ मुझे पता है, पर
स्त्री.......(भाग-3)बारात दूर से आने वाली थी तो 2-3 दिन रुकने का इंतजाम किया गया था.... 10-15 लोगो की बारात थी और बाकी हमारे गाँव के लोग और रिश्तेदार....शादी हँसी खुशी निपट गयी...पिताजी ने बहुत कहा कि विदाई एक दिन ...और पढ़ेकर की जाए पर दूल्हे ने बहुत काम है, कह कर अगले दिन ही चलने की ठान ली....पर मेरी सास ने कहा कि विदाई में दुल्हन का भाई साथ जाता है और फिर अपनी बहन को पग फेरे के लिए साथ ले आता है, पर हम बहुत दूर रहते हैं तो परेशानी होगी ...ये सोच कर राजन हमारे साथ गाँव
स्त्री.......(भाग-4)जब बहुत देर हो गई बैठे हुए तो मैं हाथ मुँह धोने के लिए उठ गयी.....मन तो कर रहा था कि नहा लूँ, पर समझ नहीं आ रहा था कि ऐसे नहाने जाऊँ या नहीं? काफी सोचने के बाद ...और पढ़ेसंदूक से कपड़े निकाले और नहाने चली गयी।नहाने के लिए गुसलखाने में पानी का ड्रम भरा रखा था। ड्रम देख कर याद आया कि ननद ने बातो ही बातों में बताया था कि यहाँ पानी की किल्लत बहुत है, तो सब संभल कर इस्तेमाल करते हैं.....मैंने वहीं पास रखी बाल्टी में पानी लिया और कुछ देर में नहा कर निकली......जैसे
स्त्री.....(भाग-5)धीरे धीरे मैं अपनी सास के निर्देशों का पालन करते हुए घर के सभी उनकी तरहसे करना सीख रही थी.....वो जैसे कहती मैं वैसे बिना कुछ कहे और पूछे करती जाती, इससे वो बहुत खुश रहती थीं और उनके ...और पढ़ेरहने से मुझे भी खुशी होती...। मेरी ननद और देवर का व्यवहार मेरे साथ बहुत अच्छा था। सच कहूँ तो दीदी मेरी सहेली बन गयी थी......मैं पढाई में बहुत मेहनत कर रही थी। समय रेत की तरह हाथ से फिसलता सा महसूस हो रहा था। दिन भर घर के काम और पढाई में ही उलझी रहती......बस पति से एक दूरी