स्त्री.........(भाग-27)
हाँ, कामिनी दीदी मैं जानता हूँ कि इनका रिश्ता भी तुम्हारे बराबर ही था, पर अब तो नहीं है न!! तो फिर जिसकी वजह से रिश्ता था वो वजह ही खत्म हो गयी तो फिर क्या सेंस बनती है इनकी उन रिश्तों को निभाने की ? भाई क्या बात कर रहे हो? तुम ये कह रहे हो कि अब मुझे सुनील और सुमन दीदी से रिश्ता तोड़ लेना चाहिए ? मैं उन दोनों की बातें सुन रही थी और कामिनी मेरी तरफ देखने लगी कि जैसे कह रही हो कि मैं चुप क्यों हूँ। विपिन जी आपने ठीक कहा कि मेरा पति से रिश्ता टूट गया है तो उनके भाई बहन से रिश्ते क्यों निभा रही हूँ ? मैं बस इतना ही कहूँगी कि आप प्रैक्टिकल सोच रहे हैं, पर मैं भावनाओं से सोच रही हूँ। मेरे पति के छोटे भाई बहन ने मेरा हमेशा ध्यान रखा, मुझे सपोर्ट किया और आज तक कर रहे हैं.....मेरी सास ने मेरा हमेशा माँ बन कर साथ दिया तो एक रिश्ता टूटने से वो रिश्ते मैं नहीं तोड सकती.....
मेरी बात सुन कर विपिन जी बोले ठीक है, "ये आपकी अपनी राय है, अगर आप इन रिश्तों को निभाती रही तो आप अपने लिए आगे सोच नहीं पाएँगीं"!! "आगे पता नहीं क्या होगा क्या नहीं, अभी तो हमें आज जो अच्छा मिल रहा है, उसको खुले मन से जीना चाहिए"। "आप से बातों में कोई जीत नहीं पाएगा, मैं आपकी सोच की रिस्पेक्ट करता हूँ, पर आप जैसे लोग कम होते हैं और होते भी हैं तो उन्हें "इमोशनल फूल्स" कहा जाता है"! विपिन जी को अपनी बातों का जवाब पसंद नहीं आया तो आखिरी बात में व्यंग्य था गुस्सा!! मुझे समझ नहीं आया,पर मैंने कुछ और बोलना ठीक नहीं समझा...।
भाई तुम्हें बेशक भाभी इमोशनल फूल लगेगी, तुम्हें ही क्यों मुझे भी शुरू में भाभी और अपनी सास ऐसे ही लगी थी जरूरत से ज्यादा इमोशनल, पर मेरी सास ने जो अपनी वसीयत बनायी उससे पता चला कि कितनी प्रैक्टिकल थीं वो, उसके बाद ही जानकी भाभी को जानने का मौका मिला तो पता चला कि जिन्हें हमारे जेठ जी कम पढा लिखा समझ छोड़ कर चले गए, वो कितनी स्ट्रांग हैं। इतना कुछ होने के बाद भी ये हमें अपने परिवार का हिस्सा मानती हैं और हम भी हमेशा इनके साथ हैं.....समझा भाई। अभी तुम जानते ही कितना हो, इसलिए इतनी जल्दी राय मत बनाओ। ठीक है ठीक है, रिलेक्स समझ गया ......दो औरतों को नाराज करना अफोर्ड नहीं कर सकता वो भी जब इतनी सुंदर हों....कह कर वो खुद ही हँस दिए। कामिनी की बातें सुन कर मन को थोड़ी शांति मिली।एक अंजान सा डर लगता रहा है अब तक कि पता नहीं वो कब क्या कर देगी !
कम से कम उस दिन डर कुछ तो कम हुआ था......जब तक विपिन जी आसपास रहते तो कुछ अजीब सा एहसास होता था......शायद उनका खुल कर बोलना मुझे पसंद आ रहा था या फिर मुझे बेवजह देखते रहना। तकरीबन रोज ही वो रात को फोन करते थे...दिन भर की बातें वो मुझे बताते और धीरे धीरे मैं भी बताने लगी थी.....किसी दोस्त की कमी महसूस करती थी जो धीरे धीरे विपिन जी भरते जा रहे थे। सुमन दीदी के घर मैंने तारा को भी ले जाना चाहा पर उसने मना कर दिया.....वो बोली आप जाओ, मैं नीचे ध्यान रखूँगी और शाम को इनको चाय नाश्ता दे दूँगी आप आराम से आ जाना। मैं जानती थी कि मुकेश के आसपास रहना तारा को अच्छा लगता है, उसको खिला कर उसको खुशी मिलती है और वो एक दिन भी छोड़ना नहीं चाहती थी....वैसे तो उसकी पढाई पूरी हो गयी थी, पर उसको यहाँ ठीक लग रहा था तो ये मेरे लिए भी ठीक था, काफी काम जो संभाल लेता है। सुमन दीदी के घर पर सबसे मिलना हुआ। कामिनी के पापा तो नहीं आए थे, पर उसके साथ विपिन जी और उनकी माताजी आई थी...। सबसे बहुत अच्छे से मिली वो और जब मैंने नमस्ते की तो बोली," जितना सुंदर काम करती हो, खुद भी बहुत सुंदर हो तुम"! सबके सामने इस तरह अपनी तारीफ सुन कर समझ ही नहीं आया कि क्या कहूँ, बस हाथ जोड़ दिए.....बहुत अच्छा लगा था सबसे मिल कर। जीजा जी बहुत ही सहज और सरल हैं तो ऐसे ही बातों बातों में बोले अब बस जानकी के लिए कोई अच्छा सा लडका मिल जाए तो हम शादी कर दें तो हमारी ये जिम्मेदारी पूरी हो जाए....क्यों सुनील मैं ठीक कह रहा हूँ न, साथ ही उन्होंने सुनील भैया को भी शामिल कर लिया। अरे वाह! ये तो बहुत अच्छा सोचा आप लोगों ने मैं खुद इनसे कुछ दिन पहले यही बात कह रहा था...ये विपिन जी ने कहा तो सबका ध्यान इन पर गया तो कामिनी ने बात को संभाल लिया...हाँ, जीजाजी मैं और भाई गए थे वर्कशॉप तब हम दोनों भी यही बात कर रहे थे। क्या जीजा जी आप को मैं बोझ लगती हूँ, जो मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हो और सुनील भैया आप भी? आप से ये उम्मीद नहीं थी, कहते हुए मेरी आँखो में आँसू आ गए। बहुत दिनों के बाद आँसुओं से मेरी मुलाकात हुई थी। शायद उस दिन सब का प्यार पा कर दिल भर आया था....क्या भाभी आप भी कैसी बातें करती हैं? आप हम पर बोझ नहीं है, बस हम चाहते हैं कि आप को अकेलापन दूर कर दें, सुनील भैया समझाते हुए बोले.....बिल्कुल ठीक कह रहा है सुनील, जीजाजी ने मेरे सर पर अपना हाथ रखते हुए कहा, रिश्ते में तुम बड़ी हो हम चारों से पर उम्र में छोटी हो...जानकी जिंदगी लंबी है, मेरा साला तो बेवकूफ निकला जो हीरे को छोड़ गया, पर तुम मेरी बहन जैसी हो,तो घर तो बसाना है और अब तो तुम सेल्फ डिपेंडेंट हो गयी हो, अपने आप को दूसरा मौका देकर तो देखो।ठीक है, मैं सोचूंगी इस बारे में, पर क्या आज सिर्फ बातें करनी हैं या कुछ खाना भी है, मैंने माहौल को बदलने के लिए कहा तो विपिनजी बोले हाँ, प्लीज कुछ खिला भी दीजिए बहुत भूख लगी है.....सीरियस वाला माहौल विपिन जी की उस बात पर हँसी में बदल गया....।खाना खा कर चाय पी कर मैंने उनसे विदा ली और बाहर आ गयी, चलो भाभी मैं आपको छोड़ आता हूँ, अभी तो ये सब बातें कर रहे हैं, सुनील भैया बाहर आ गए....नहीं भैया आप सब लोग बातें कीजिए, मैं चली जाऊँगी। अरे जीजा जी, आप रहने दीजिए, वो बिजनेस वुमेन हैं, अपने आप चली जाएँगी....विपिन जी भी बाहर आ गए।
नहीं भैया, ऐसी कोई बात नहीं है, चलिए आप ही छोड़ दो, सुनील भैया अपनी कार की तरफ बड़े तो विपिन जी ने कहा आप दीदी और सबके साथ बैठिए, मैं छोड़ आता हूँ और हमारा सामान कितना तैयार हुआ वो भी देख लूँगा। ऐसा है तो तुम ही छोड़ आओ विपिन पर तुम वापिस आ जाओगे न ? कहीं रास्ता भूल जाओ।
टेंशन मत लीजिए, सुमन दीदी का घर नहीं भूलूँगा। अब कार में हम दोनों ही थे, दोनों ही खामोश बैठे थे, अचानक वो बोले, "सॉरी जानकी जी, उस दिन मैंने बहस की पर आज की बातों को सुन कर लगा कि इमोशनल होनो बुरा नहीं है। आप की सब रिस्पेक्ट करते हैं क्योंकि आपने रिश्तों को बाँध कर रखा है। मुझे जब कामिनी दीदी ने बताया था आपके बारे में तो सोचा था कि कोई इतना अच्छा भी कैसे हो सकता है, पर अब लग रहा है कि आप अच्छे हो तो आपके आस पास के लोग अपने आप अच्छे हो जाते हैं"। "अब आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं इतनी तारीफ करके और सॉरी बोल कर"....
जानकी मैं विदेश में काम करके बोर हो गया था, अब मैं अपने देश वापिस आ गया हूँ, माँ का भी मन अच्छे से लग नहीं पाया तो मैं यहाँ से बिजनेस की शुरूआत करने जा रहा हूँ तो मेरे साथ काम करना चाहोगी? आपके साथ काम? मुझे तो यही आता है जो मैं कर रही हूँ!! मैं अपने अलग अलग जगहों पर स्टोर्स खोल रहा हूँ। एथनिक स्टोर जहाँ औरतो के दुप्पटे से लेकर लँहगे तक होंगे तो मेरे पहले स्टोर के लिए कुछ आर्डर रेडी कर दोगी? ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं जरूर करूँगी, आप सारी जानकारी हमसे शेयर कर दीजिएगा.....काम हम कर देंगे। मैंने कहा तो वो खुश हो गए.....आप हमें सैंपलंस देना हम एस्टीमेट बता देंगे और अगर डिजाइनर कोई आपका हो तो उन्हें भेज दीजिएगा ज्यादा अच्छा रहेगा। क्या बात है आप तो काम की बात करते हुए बिल्कुल प्रोफेशनल टोन में आ जाती हैं!
विपिन जी ने कहा तो मैं भी खुल कर ही अपनी बात बोली कि आप ने मुझसे पूछा काम के लिए तो काम की बात करते हुए तो इमोशनल होने से काम नहीं चलेगा विपिन जी......आप एक टाइम में एक ही स्टोर खोलेंगे या एक साथ और जगहों पर भी ? नहीं पहले एक से शुरू करता हूँ, फिर आगे देखता हूँ, कि एक साल में ही दूसरा ओपन करता हूँ या कुछ टाइम बाद।ठीक है विपिन जी आप किसी और को भी साथ लाना चाहें तो किसी दिन आ जाइएगा, फिर बैठ कर बात कर लेंगे....
ठीक है मैं आता हूँ 1-2 दिन में आपके पास....बातों में रास्ते का भी पता नहीं चला और हम पहुँच गए.....। वो गाड़ी से बाहर निकल कर मेरे पास आ गए और अपना हाथ आगे बढा कर बोले, अब हाथ तो हम मिला सकते हैं, साथ बिजनेस करने वाले हैं। जी जरूर कह कर मैंने भी अपना हाथ आगे कर दिया। बहुत गर्मजोशी से हाथ मिला कर चले वो तो चले गए, पर मेरा हाथ काफी देर तक उनके हाथ की गर्माहट महसूस करता रहा.....। सच कहूँ तो उनका मेरे साथ काम करने की बात गले तो नहीं उतरी थी, पर मैंने जाहिर नहीं होने दिया। हाँ, पर मुझे उनसे बात करना तो अच्छा लगता है.....क्या औरत और आदमी का एक ही रिश्ता हो सकता है? क्या हम दोस्त नहीं हो सकते! ये बात कहती हूऎ अपने आप से तो जो मेरे अंदर की जानकी है न वो मुझे डरपोक कहती है।
2 दिन बाद ही विपिन जी और उनके साथ एक लड़की आयी जिसका नाम रोशनी था और वो एक अच्छी फैशन डिजाइनर थी.....वो मेरी वर्कशॉप को देख कर खुश नहीं दिखायी दी थी और मुझो भी वो ऐसे देख रही थी, जैसे मैं उसके स्टेटस से मैच नहीं करती, पर मुझे इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ा कभी और न पड़ेगा। वो विपिन जी से इंग्लिश में बात करते हुए कह रही थी, Really, these people will do work for us? yes Roshni ofcourse, they made beautiful sarees for my mother nd my sister......विपिन जी ने उसे जवाब दिया तो वो बोली "लेट्स सी", तारा विपिन जी को देख कर चाय बनाने जाने लगी तो मैंने उसे आँखो से रूकने का इशारा किया और उसे पानी लाने को कहा..तब तक रोशनी को आरती हमारी कलेक्शन दिखा रही थी।
विपिन जी ने बताया कि रोशनी उनकी अच्छी दोस्त है। फैशन डिजाइनर थी तो उसके कपड़े भी उसी तरीके के थे और हमारी ड्रैस डिजाइनर अनिता सिंपल से टॉप और जींस में थी, वो भी ब्राडैंड नही थी तो रोशनी मैडम उसको भी हिकारत भरी नजरों से देख रही थी....कभी काम देखती तो कभी हमारा कारखाना। काफी देर ये सब चलता रहा और विपिन जी भी उसकी बात तसल्ली से सुन रहे थे। काफी टाइम हो गया था तो मैंने ही पूछ लिया Ms Roshni are you satisfied with our handwork samples or not? मेरी बात सुन कर बोली Not much Ms. Janaki...
Your work is average types. I saw good handwork at Jain sons... मुझो उसकी बात सुन कर हँसी आ गयी, पर मैंने अपने आप को रोक लिया। जैन संस पर आप लोग कब गए?
वहीं से अभी आ रहे हैं क्यों क्या हुआ?
मैंने पूछा तो जवाब विपिन जी ने दिया। आप वहाँ से मुझे दिखाने के लिए सैंपल लाए होंगे? यस, हम लाए हैं...कह कर रोशनी कार से सैंपल लेने चली गयी। वापिस आयी तो उसके हाथ में एक सलवार सूट का बैग था, जब बैग से सूट निकाला तो जैन संस के टैग के साथ वीवर्स का छोटा सा टैग अटैच था, जिसे मैंने उन दोनों को दिखाया, और फिर अपना विजिटिंग कार्ड भी आगे कर दिया। रोशनी का चेहरा देखने लायक था। मिस रोशनी आपको मेरी वर्कशॉप, मेरी मैनेजर कम ड्रैस डिजाइनर और मेरा आउट लुक पसंद नहीं आया.....काम तो आपने ठीक से देखा ही नहीं। विपिन जी आप को कोई खुद का सैंपल क्रियेट करवाना चाहिए था अपनी फैशन डिजाइनर से, तभी तो आपके स्टोर पर कुछ अलग होगा तो बिकेगा। मुझे नहीं पता कि इस टाइम विपिन जी मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे पर मुझे जो कहना था कह दिया और वो हाँ, आपने ठीक कहा कह कर चले गए......।
क्रमश:
स्वरचित
सीमा बी.