Tarzani se Anamika tak book and story is written by Rajesh Maheshwari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tarzani se Anamika tak is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तर्ज़नी से अनामिका तक - उपन्यास
Rajesh Maheshwari
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
उपरोक्त स्वरचित कविताएँ मेरे जीवन का आधार हैं और इनकी भावनाएँ मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। मानव अपने जीवन की पहली श्वांस से मृत्यु की अंतिम श्वांस तक संघर्षरत् रहकर अपनी कल्पनाओं को हकीकत में परिवर्तित करने हेतू प्रयासरत् रहता है। मैंनें कभी खुशी कभी ग़म के बीच जीवन के चौसठ बसंत बिताकर अभी तक के जीवन में जो कुछ देखा सुना और समझा उन्हें प्रेरणादायक घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यह रोचक होने के साथ-साथ प्रेरणास्पद भी रहे, ऐसा मेरा प्रयास है। इस पुस्तक को सजाने, सँवारने में श्री श्याम सुंदर जेठा, श्री राजेश पाठक एवं श्री देवेन्द्र राठौर का अमूल्य सहयोग प्राप्त होता रहा है। मैं उनके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
आत्मकथ्य नवनिर्माण जीवन में मंथन से अनवरत् सृजन सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मान-सम्मान ...और पढ़ेकरने हेतु मानव कर रहा है सतत् प्रयत्न जीवन में धर्म से कर्म बनाता है कर्मवीर मोह-माया, दुख और सुख हैं हमारी छाया, जीवन रहे व्यस्त निरन्तर रहे सृजनशील और रहे प्रयासरत् धैर्य सहित आत्म-मंथन में ऋतुओं का आगमन और निर्गमन होता ही रहेगा और मानव जीवन की दिशा प्राप्त करता ही रहेगा। जीवन का आधार मेहनत, ईमानदारी, लगन, तप, त्याग और
1. दृढ़ संकल्प ठंड से ठिठुरती हुयी, घने कोहरे से आच्छादित रात्रि के अंतिम प्रहर में एक मोटरसाइकिल पर सवार नवयुवक अपने घर वापिस जा रहा था, उसे एक चैराहे पर कचरे के ढ़ेर में से किसी ...और पढ़ेबच्चे के रूदन की आवाज सुनाई दी। जिसे सुनकर वह स्तब्ध होकर रूककर उस ओर देखने लगा, वह यह देखकर अत्यंत भावुक हो गया कि एक नवजात लडकी को किसी ने कचरे के ढ़ेर में फेंक दिया है। अब उस नवयुवक के भीतर द्वंद पैदा
११. समानता का अधिकार एक वृक्ष जो उम्रदराज हो चुका था और कभी भी जमीन पर धराषायी होने की स्थिति में था। वह अपनी जवानी के दिनो को याद कर रहा था जब उसकी चारों दिषाओं ...और पढ़ेफैली हुई षाखाओं के नीचे पथिक आराम करते थे और बच्चे फलों का आनंद लेते थे। एक वृद्ध व्यक्ति उसके तने का सहारा लेकर विश्राम करने लगा। वह मन ही मन सेाच रहा था कि उसका एक पुत्र और पुत्री दो बच्चे है। उसने अपने पुत्र पर पुत्री की अपेक्षा
२१. जहाँ लक्ष्मी का निवास वहाँ सरस्वती का वास रामकिषोर नगर के प्रसिद्ध उद्योगपति थे। वे अपनी पत्नी एवं तीन पुत्रों के साथ सुख, समृद्धि एवं वैभव का जीवन व्यतीत कर रहे थे। एक दिन उन्हें ...और पढ़ेमें लक्ष्मी जी ने दर्षन देकर कहा कि मैं बहुत समय से तुम्हारे यहाँ विराजमान हूँ, अब मेरा समय यहाँ से पूरा हो चुका है और मैं दो तीन दिन में प्रस्थान करने वाली हूँ। तुम और तुम्हारे परिवार ने मेरी बहुत सेवा सुश्रुषा की है इसलिये मैं चाहती हूँ
३१. आपातकाल मेरे जीवन का स्वर्णिम काल श्री अजय विश्नोई जबलपुर ही नही बल्कि मध्य प्रदेश में भा.ज.पा. के वरिष्ठ एवं महत्वपूर्ण नेताओं में अपना विषिष्ट स्थान रखते है। वे अपनी स्पष्टवादिता, ईमानदार व्यक्तित्व एवं ...और पढ़ेराजनीति के लिये जाने जाते है। उनसे चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि उनके जीवन का स्वर्णिम काल आपातकाल के दौरान विभिन्न जेलों में बिताए हुए दिन है। उनकी बात सुनकर आष्चर्यचकित होकर मैंने उनसे पूछा यह कैसे संभव है और इन स्वर्णिम दिनों में आपके अनुभव जो कि देष के युवाओं के