तर्ज़नी से अनामिका तक - भाग १ Rajesh Maheshwari द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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तर्ज़नी से अनामिका तक - भाग १

आत्मकथ्य

नवनिर्माण

जीवन में मंथन से

अनवरत् सृजन

सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मान-सम्मान

प्राप्त करने हेतु

मानव कर रहा है सतत् प्रयत्न

जीवन में धर्म से कर्म

बनाता है कर्मवीर

मोह-माया, दुख और सुख हैं

हमारी छाया,

जीवन रहे व्यस्त

निरन्तर रहे सृजनशील

और रहे प्रयासरत्

धैर्य सहित आत्म-मंथन में

ऋतुओं का आगमन और निर्गमन

होता ही रहेगा

और मानव जीवन की दिशा

प्राप्त करता ही रहेगा।

जीवन का आधार

मेहनत, ईमानदारी, लगन,

तप, त्याग और तपस्या,

सत्य, अहिंसा, सदाचार,

सहृदयता और परोपकार

इनका नही है कोई विकल्प।

ये सभी हैं हृदय में

स्पंदन के प्रणेता।

इनके होने से ही

मन कहलाता है मंदिर।

सत्य की होती है पूजा

पाप और पुण्य का निर्णय

जीवन में सही लक्ष्य और

सही राह चुनने की

अपेक्षा व प्रतीक्षा हो

ऐसा लो मन में संकल्प।

मनसा-वाचा-कर्मणा

जीवन का एक रूप बनेगा।

जीवन में सफलता का आधार

और इनके चिंतन-मनन व प्रेरणा से

होता है जीवन का समग्र विस्तार।

मेरे अत्यंत आत्मीय, सहृदय अभिन्न मित्र के.कुमार (चार्टर्ड एकाउंटेंट) की स्मृति में सादर समर्पित।

उपरोक्त स्वरचित कविताएँ मेरे जीवन का आधार हैं और इनकी भावनाएँ मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। मानव अपने जीवन की पहली श्वांस से मृत्यु की अंतिम श्वांस तक संघर्षरत् रहकर अपनी कल्पनाओं को हकीकत में परिवर्तित करने हेतू प्रयासरत् रहता है। मैंनें कभी खुशी कभी ग़म के बीच जीवन के चौसठ बसंत बिताकर अभी तक के जीवन में जो कुछ देखा सुना और समझा उन्हें प्रेरणादायक घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यह रोचक होने के साथ-साथ प्रेरणास्पद भी रहे, ऐसा मेरा प्रयास है। इस पुस्तक को सजाने, सँवारने में श्री श्याम सुंदर जेठा, श्री राजेश पाठक एवं श्री देवेन्द्र राठौर का अमूल्य सहयोग प्राप्त होता रहा है। मैं उनके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

राजेश माहेश्वरी

106 नयागांव हाऊसिंग सोसायटी

रामपुर, जबलपुर 482008 (म.प्र)

मो. नं. 9425152345

क्रं. कहानी

1. दृढ़ संकल्प

2. हृदय परिवर्तन

3. प्रतिभा पलायन

4. संत का मार्गदर्षन

5. विष्वास

6. गुमषुदा बचपन

7. कर्तव्य

8. कर्म करें मालिक बने

9. वन्य जीव संरक्षण

10. महानता

11. समानता का अधिकार

12. षिक्षा ही स्वर्णिम भविष्य का आधार

13. सब दिन होत ना एक समाना

14. सकारात्मक सोच

15. आत्सम्मान

16. दिषा बोध

17. विद्यादान

18. एक नई परिकल्पना

19. सृजन

20. योगयात्रा

21. जहाँ लक्ष्मी वहाँ सरस्वती का वास

22. प्रभु भक्ति

23. संगति का प्रभाव

24. कर्तव्य से संतुष्टि

25. आध्यात्मिक ज्ञान की आवष्यकता

26. प्रायष्चित

27. नैतिकता

28. संकल्प

29. अंतिम दान

30. चापलूसी

31. आपातकाल मेरे जीवन का स्वर्णिम काल

32. धर्म और कर्म

33. सेवा भाव

34. अनुभूति

35. लक्ष्य एक रास्ते अनेक

36. वटवृक्ष

37. सब का दाता है भगवान

38. आपदा प्रबंधन

39. जुए की लत

40. नवोदय

41. संकल्प ही सफलता का सूत्र है

42. अक्षय पात्र

43. षव की षवयात्रा

44. भ्रात प्रेम

45. विदाई

46. उपचार या उपकार

47. अप्रतिम चाहत

48. प्रायष्चित

49. हिम्मत

50. नवजीवन

51. हुनर

52. कर्तव्य परायणता

53. नेता जी

54. यम्मा

55. भिखारी की सीख

56. ईमानदारी

57. उपकार

58. नियति

59. एक नया सवेरा

60. षहादत और समाज

61. जागरूकता

62. सच्चा संत

63. सच्चा स्वप्न

64. मूर्तिकार

65. सेवक की सेवा

66. आषादीप

67. सफलता आधार

68. वाणी पर नियंत्रण

69. ईष्वर कृपा

70. देहदान

71. संत जी

72. लघुता एवं प्रभुता

73. षांति

74. संुदरता

75. दृष्टिकोण

76. भ्रात द्रोह

77. अहंकार

78. सुख

79. सुख की बंदरबाँट

80. मित्र हो तो ऐसा

81. समाधान

82. ज्ञान

83. मार्गदर्षन

84. रहस्य

85. समय की पहचान

86. मानवीयता

87. खंडहर की दास्तान

88. सीख

89. राष्ट्र का विकास

90. षिक्षा

91. फिजूलखर्ची का दुष्परिणाम

92. सच्चा जीवन

93. करूणामयी व्यक्तित्व

94. हृदय परिवर्तन

95. साहसिक निर्णय

96. हेन संेग की व्यथा

97. ज्ञान की खोज

98. अनुकरणीय आदर्ष

99. चाणक्य

100. जनसेवा

101. नैतिकता का तालाब

102. जीवन को सफल नही सार्थक बनाए

103. युवा

104. अनुभव

105. षिल्पकार की कला

106. सेठ गोविंददास की सिद्धांतवादिता