At eleven o'clock book and story is written by Rajesh Maheshwari in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. At eleven o'clock is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रात के ग्यारह बजे - उपन्यास
Rajesh Maheshwari
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
आत्म कथ्य नारी ईश्वर की इस सृष्टि की संचालन कर्ता भी है और इसकी गतिशीलता का आधार भी। नारी से मेरा तात्पर्य जीव-जन्तु पेड़-पौधों में उपस्थित नारी तत्व से भी है। मानव के संदर्भ में जब हम नारी को देखते हैं तो उसके दोनों रुप हमारे सामने आते हैं एक सृजनकर्ता के रुप में और दूसरा संहारक के रुप में। उसका सृजनात्मक स्वरुप मानवीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में दिखलाई देता है तो उसके संहारक स्वरुप ने अनेक युद्ध भी कराये हैं और विकृतियां व वीभत्सता भी दी है। आज समाज में जितने अपराध हो रहे
आत्म कथ्य नारी ईश्वर की इस सृष्टि की संचालन कर्ता भी है और इसकी गतिशीलता का आधार भी। नारी से मेरा तात्पर्य जीव-जन्तु पेड़-पौधों में उपस्थित नारी तत्व से भी है। मानव के ...और पढ़ेमें जब हम नारी को देखते हैं तो उसके दोनों रुप हमारे सामने आते हैं एक सृजनकर्ता के रुप में और दूसरा संहारक के रुप में। उसका सृजनात्मक स्वरुप मानवीय सभ्यता और संस्कृति के विकास में दिखलाई देता है तो उसके संहारक स्वरुप ने अनेक युद्ध भी कराये हैं और विकृतियां व वीभत्सता भी दी है। आज समाज में जितने अपराध हो रहे
अनीता ने समझाते हुए कहा कि जीवन में सब कुछ किसी को नहीं मिलता। सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं जिनके बीच हमें सामन्जस्य करना ही होता है। हम भावनाओं को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। हमारे मन ...और पढ़ेमस्तिष्क में विचारों का आना-जाना लगा रहता है। इससे विचारों में परिपक्वता आती है। भावनाओं को नियन्त्रित करना कठिन होता है। ये वायु के समान तेजी से आती हैं और आंधी के समान चली जाती हैं। यही जीवन है। भावनाओं और विचारों की समाप्ति जीवन का अन्त है। हम भावनाओं की गति को कम कर सकते हैं। परन्तु इन्हें पूरी
मानसी ने तीन माह तक राकेश से कोई संपर्क नहीं किया। राकेश भी यह सोचकर कि किसी जरुरतमन्द की मदद की है दस हजार रूपयों की बात भूल गया था। एक दिन अचानक मानसी का फोन आया- आप कैसे ...और पढ़े? ठीक हूँ। तुम कैसी हो ? मैं भी अच्छी हूँ। आपने तो पिछले तीन माह में एक बार भी मेरी खोज-खबर नहीं ली ? मैंने सोचा तुम अपने काम में लगी होगी। जब मिलोगी तो बात करुंगा। मैं दो माह तक अस्पताल में भरती रही। आपने एक बार भी मेरी हालत जानने का प्रयास नहीं किया। सुनकर राकेश को
होती थी। उस समय वह मन्दिर में इसे ऊंचे स्वर में गाया करती थी। आज वह मन ही मन ईश्वर से वही प्रार्थना कर रही थी। इतनी कृपा दिखाना हे प्रभु कभी न हो अभिमान। मस्तक ऊंचा ...और पढ़ेमान से ऐसे हों सब काम। रहें समर्पित करें देषहित, देना यह आशीष। विनत भाव से प्रभु चरणों में झुका रहे यह शीश। करें दुख में सुख का अहसास रहे तन-मन में यह आभास। धर्म से कर्म, कर्म से सृजन, सृजन में हो समाज उत्थान। चलूं जब इस दुनियां का छोड़ ध्यान में रहे तुम्हारा नाम। दर्शन के बाद जब
रह गया है। जब वे सामान लेकर होटल पहुँचते हैं तो देखते हैं कि राकेश अभी भी हाथ में व्हिस्की का गिलास लिये बैठा है। उसके चेहरे पर मुस्कराहट थी। दूसरे दिन सुबह सभी देर से उठे थे। बादल ...और पढ़ेहुए थे। रात को कुछ पानी भी गिर गया था। बरसात का प्रभाव होटल के बाहर हर ओर दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे पूरी पचमढ़ी को धोया गया हो। ठण्डक भी बढ़ी हुई थी। मानसी राकेश और गौरव के कमरे में आ गई थी। वहीं बैठकर वे चाय पी रहे थे। गौरव ने राकेश से पूछा- आज