राज बोहरे लिखित उपन्यास चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर - उपन्यास उपन्यास चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर - उपन्यास राज बोहरे द्वारा हिंदी यात्रा विशेष (54) 3.4k 14.2k 6 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर यात्रा वृत्तांत आंनदपुर प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे 1 दशहरे ...और पढ़ेछुटिटयों मे बच्चे एकदम फुरसत में थे, और कई दिनों से मुझसे कह रहे थे कि मैं एक जीप किराये पर लेकर उन सबको चन्ंदेरी, झांसी, ओरछा, दतिया,ग्वालियर और शिवपुरी की यात्रा करा दूं। मैं लगातार इन्कार कर रहा था, क्योंकि छोटे छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने में बहुत सारी परेशानियां आती हैं, यह बात में भलीभांति जानता पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें नए एपिसोड्स : Every Monday चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर -1 765 1.5k चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर यात्रा वृत्तांत आंनदपुर प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे 1 दशहरे ...और पढ़ेछुटिटयों मे बच्चे एकदम फुरसत में थे, और कई दिनों से मुझसे कह रहे थे कि मैं एक जीप किराये पर लेकर उन सबको चन्ंदेरी, झांसी, ओरछा, दतिया,ग्वालियर और शिवपुरी की यात्रा करा दूं। मैं लगातार इन्कार कर रहा था, क्योंकि छोटे छोटे बच्चों के साथ यात्रा करने में बहुत सारी परेशानियां आती हैं, यह बात में भलीभांति जानता सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 2 312 843 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 2 यात्रा वृत्तांत कौशक महल प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे कुछ आगे जाकर चौराहा मिला और वहॉं लगे साईन बोर्ड को ...और पढ़ेसब बच्चे खूब हॅंसे बोर्ड पर एक दिशा में जाने वाले रास्त का नाम लिखा था- ढाकोनी। मैंने बच्चो को समझाया ढाकोनी तो बिगड़ा हुआ नाम है इस जगह का सही नाम है ढाकवनी, यानि छेवला ,पलाश के पेड़ों का वन । यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में यहॉं ढाक का खूब बड़ा जंगल था। पर सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3 210 699 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 3 यात्रा वृत्तांत बादल दरवाजा चन्देरी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे चन्देरी का पुराना मोटर स्टैण्ड शहर के बाहर ही ...और पढ़ेकी पुरानी चहार दिवारी यानि कोट के पास था। लेकिन यहां सब कुछ खुले आसमान के तले था , यात्रियों को सिर छिपाने के लिऐ छाया नही थी। मैंने जीप रूकवाकर एक यात्री से पूछा तो उसने बताया कि नया मोटर स्टैण्ड तो चंदेरी शहर के उस पार पिछोर रोड पर बनाया गया है , पर आप-पास के गांवो सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 4 189 825 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 4 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 4 यात्रा वृत्तांत चन्देरी बत्तीसी बावड़ी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे अब हमारी यात्रा बत्तीसी बावड़ी की तरफ हो रही ...और पढ़ेमैंने बच्चों को बताया कि मैंने कहीं पढ़ रखा था कि बत्तीसी बावड़ी का निर्माण ग्यासुददीन खिलजी ने सन 1485 ईसवी में करवाया था। इस बावड़ी के किनारे पत्थर पर खुदवाकर एक शिलालेख भी लगवाया गया था-कहा जाता है कि इसका पानी मिश्री, शक्कर यानि चीनी और शकरकंदी से मीठा है ं। बत्तीसी बावड़ी में अंदर जाने के लिए एक सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5 168 594 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 5 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 5 यात्रा वृत्तांत चन्देरी परेश्वरन तालाब प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे बत्तीसी बावड़ी को देखने के ...और पढ़ेबच्चे परेश्वरन तालाब देखने का लोभ छोड़ नही पाये। दूर से ही सफेद रंग से पुते मंदिरों और घाट के पास के खुले बरामदों की वजह से यह तालाब सबको खूब अच्छा लग रहा था। पास जाकर हमने देखा कि परमेश्वरन तालाब एक ऐसा कुण्ड या तालाब है जो किसी नदी की बजह से बनी हुई झील या सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 6 156 642 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 6 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 6 यात्रा वृत्तांत चन्देरी नवखंडा महल प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे जागेश्वरी देवी का मंदिंर आधी पहाड़ी पर चढ़ जाने के बाद ...और पढ़ेमें बना है। यह मंदिर एक गुफा में बना है लेकिन यह गुफा भी खूब लम्बी-चौड़ी है। जाने किस सदी में पहाड़ के सख्त पत्थर को काटकर खूब बड़ी गुफा निकाल ली गई है , जिसमें एक बड़ा बरामदा तथा एक मंदिर निकाला गया है। सैकड़ों सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 7 126 648 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 7 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 7 यात्रा वृत्तांत चन्देरी, कटी घाटी प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे मैंने बच्चों को बताया कि तारीख 28 जनवरी 1528 केा बाबर ने ...और पढ़ेसांगा का दोस्त होने के कारण चंदेरी के राजा मेदिनीराय पर हमला कर दिया था। लेकिन बाबर बड़ा परेशान हो गया था। चंदेरी की जीतना आसान न था। चन्देरी के चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ थे केवल दो रास्ते ऐसे थे जिनसे होकर चन्देरी में प्रवेश किया जा सकता था, वहां मेदिनी राय की बहादुर सेना की टुकड़ियां बैठी सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 8 135 594 चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 8 chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 8 यात्रा वृत्तांत चन्देरी, - राजघाट बांध प्रसंग लेखक राजनारायण बोहरे दोपहर तीन बजे हम लोग कटी ...और पढ़ेदेखने के लिए निकले। चंदेरी के किले के ठीक सामनें लगभग एक किलोमीटर दूर एक पहाडी को बीच से काटकर रास्ता बनाया गया है, इस पहाडी दर्रे कोही कटी घाटी कहते है। जिस पहाडी को काटा गया है वह पहाडी 250 फुट उंची है और यह काटा गया रास्ता 190 फुट लंबा है। रास्ते की चौड़ाई 39 फुट है सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर - 9 138 768 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 9 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 9 यात्रा वृत्तांत लेखक राजनारायण बोहरे ललितपुर से झांसी की तरफ बढ़े तो पाया कि अब खूब चौड़ी और चिकनी रोड थी। जीप बडी आसानी से ...और पढ़ेगति से भाग रही थी। मेरी नजर जीप की रफृतार वाले मीटर पर पडी , ज्यांेही सुई 60 से उपर होती में ड्रायवर बूटाराम को टोंक देता और गाडी की रफ्तार घट जाती । नौ बजने में दस मिनिट शेष थे , तब हम झांसी पहॅुच गये थे । जेल रोड चौराहे पर ही एक होटेल देखकर मैंने सुनो अभी पढ़ो चन्देरी, झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 10 105 543 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 10 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair10 हमारी जीप ने पुराने ओरछा शहर के ...और पढ़ेसे दरावाजे में प्रवेश कर लिया था और अब चारों ओर का नजारा बड़ा मनोरम दिख रहा था। दूर दूर तक फैले खेत और यहॉं वहॉ झांकते पुरानी हवेलियों, चौकियों और मंदिरों के सुनो अभी पढ़ो चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 11 120 678 चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 11 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 11 यात्रा वृत्तांत चतुर्भज मंदिर प्रसंग राम राजा मंदिर के बाहर आने पर हमने देखा कि बायीं ओर के टीले पर ऊंचे ऊंचंे शिखरों वाला पुराने ...और पढ़ेका बना हुआ एक विशाल मंदिर दिख रहा था। पूॅंछने पर पता चला कि यह चतुभर््ुाज मंदिर है। मंदिर के सामने बनी चौड़ी सीढ़ियां चढके हम मंदिर के सामने बने खुले चबूतरे तक तक पॅहुचें तो मंदिर की ऊंचाई और कलाकारी से बनाई गई गुम्बदों व झरोखों, खिड़कियों को देखके मुग्ध होगये। हमने देखा कि मंदिर की छतंे तीस फिट सुनो अभी पढ़ो चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 12 138 690 चंदेरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 12 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 12 यात्रा वृत्तांत सावन भादों और हरदौल बैठका प्रसंग जब हम रामराजा मंदिर के सामने से होते हुए हरदौल बैठका की तरफ जा रहे थे ...और पढ़ेहमने देखा कि सामने की तरर्फ इंट चूना से बनी लगभग साठ फिट ऊॅंची दो मीनारें एकदम पास पास खड़ी दिख रही थी। पास में जाकर हमने देखा कि वहां पुरातत्व विभाग का एक परिचय बोर्ड लगा था। जिस पर लिखा था- सावन भादों। सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 13 96 501 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 13 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 13 चौराहे पर जाकर हमने एक रेस्टोेरेंट में दाल रोटी चावल का भोजन किया । अब हम रामराजा मंदिर के ठीक सामने वाली रोड़ पर चल रहे थे। ...और पढ़ेदेखा कि चारांे और से नदी ने उस पहाड़ी को घेर रखा था, जिस पर सारे के सारे महल बने हुए थे।नदी के उपर बने पुल से होकर ही महलांे की तरफ जाया जा सकता था। पुल पार करते ही सामने किले का विशाल परकोटा था। परकोटे की दीवार सात फिट चौड़ी और बीस फिट उंची थी। परकोटे के सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 14 126 606 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 14 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 14 राज महल मे हम लोग बारह निकले तो नीचे जहॉंगीर महल में घुस गये। यह महल बराबर लंबाई चौड़ाई में है। इसकी दो मंजिलें दिख रही थी,महल ...और पढ़ेचारो कोनों में कमरे है और बीच में आंगन के बीचोबीच एक हवादार कमरा भी है। जिसके उपर शानदार गुंबद हे। चार कोने पर बने कमरों के उपर भी गुम्बदें बनी है। सभी गुंबदे एक ही आकार की थी। महल के पीछे के कमरों मे से एक में पानी की नाली बनी हुई थी। गाइड ने बताया कि यह रानियों सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 15 75 531 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 15 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 15 लगभग दो फंर्लाग चलने के बाद सामने ही हमको बेतवा नदी का पुल दिखाई दिया। लगभग तीन सौ फुट लंबे पुल के नीचे छल छल करती बेतवा नदी भूरे ...और पढ़ेकी चट्टानों से खेलती , रूकती,ठोक्कर मारती हुई बह रही थी। नदी के उस पार पंक्तिबंद्व ढंग से कुलमिलाकर चौदह समाधिंया बनी हुई थी, जिनमे उॅंचे उंचे शिखर दूर से बडे़ अच्छे लग रहे थे। समाधियों को गांव की भाशा छतरी कहा जाता है। छतरियों वाला घाट कंचन घाट के नाम से जाना जाता है। राजा मध्ुकरशाह, इंन्द्रजीत शाह सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 16 72 522 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 16 Chanderi-Jhansi-Orchha-Gwalior ki sair 16 खजुराहो रोड के ओरछा तिगैला तक आकर हम लोगों को अब बरूआसागर जाने के लिए खजुराहों छतरपुर धुबेला या निवाड़ी की दिशा में मुड़ना पड़ा । यहॉं से 16 ...और पढ़ेदूर था- बरूआ सागर ।यह गांव झांसी का प्रमुख गांव है। इसमें झांसी का जवाहर नवोदय विद्यालय भी है और कई प्रसिद्व बाग भी यहां है। शाम हो चली थी। पांच बजे थे। हमारी जीप बरूआसागर गावं को दांयी और छोड़ती हुई निवाडी की तरफ निकल गई लगभग आधा किलोमीटर ही चले थे कि रोड के बायीं ओर एक सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 17 81 495 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 17 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 17 सुबह बच्चों से पूछा कि झांसी में क्या देखना चाहेगें तो एकमत होकर सबने कहा कि झांसी का किला । हम लोग आठ बजे जीप में बैठे और पुराने बस ...और पढ़ेके पास स्थ्ति ऐतिहासिक झांसी के किले को देखने जा पहंचे । यह किला भारत की आजादी की पहली लडाई में एक बड़ा केन्द्र बनकर उभरा था। यह किला एक उंची पहाडियां पर बनया गया था। कहते कि इसे ओरछा के बंुदेला राजा वीर सिंह देव ने बनवाया था। किले में सेना रहती थी । सरकारी दरबार और जेल बगैरह सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 18 63 510 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 18 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 18 दोपहर के साडे ग्यारह बज चुके थें। ग्वालियर रोड पर पांचवा किलोमीटर पार करते हमने देखा कि ग्वालियर की झांसी से दूरी 102 किलोमीटर है । झांसी से रेल द्वारा ...और पढ़ेग्वालियर पहॅुचा जा सकता है। दतिया स्टेशन भी गवालियर जाते समय रास्ते में मिलता है। दतिया यहॉ से 27 कि.मी. है । पंाचवे और छठवे किलोमीटर के बीच में हमने रोड पर एक बोर्ड लगा देखा जिसमें उनाव बालाजी के लिए जा रहे मार्ग का संकेत था। मुझे पता था कि भारतवर्श मे सुर्य के गिने चुने मंदिर है जिनमें सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 19 66 483 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 19 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 19 आध घंटे मे हम दतिया पहॅुच गये। बस स्टेंड से एक रास्ता दतिया नगर के लिए तथा दुसरा रास्ता करणसागर तालाब के लिए जाता था। मैंने जीप को करण सागर ...और पढ़ेओर मुड़वा दिया। यहॉं से आधा किलोमीटर दूर ही यह तालाब है । राजा शुभकरण बदेला ने सन 1737 ई. मे यह तालाब बनवाया था। तालाब किनारे से होकर यह रोड निकलती थी जिस पर हम बढ रह थे। यही रोड दतिया जिले की तहसील सेंवडा और भंाडेर को जाती थी। तालाब देखकर हम प्रसन्न हो उठे। करण सागर सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 20 81 495 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 20 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 20 सुबह लॉज मालिक राजा सिंह यादव से पता लगा कि दतिया मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है। पहले यह विंन्ध्यप्रदेश मे था। दतिया मे कलेक्टर, एस,पी और जिला न्यायाधीश ...और पढ़ेकार्यालय के लिए खूब बडी़ इमारत बनवायी गई हैं, लॉज मालिक ने बताया कि इस इमारत बनाने वाले ठेकेदार चाण्डी को इमारत बनाने का कोई मेहनताना ही नही मिला जिससे कि एक समय दतिया का सबसे धनाढय रहा यह ठेकेदार इन दिनों बेहद गरीबी में दिन काट रहा है और इंतजार कर रहा है कि उसे भुगतान मिले तो वह सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 21 78 423 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 21 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 21 सोनागिरी गांव में प्रवेश के पहले हैं। इमे एक सरकारी रेस्ट हाउस और अस्पताल दिखाई दिया। गांवके बीचो.बीच स्थित, सोनागिरी मंदिरों के प्रवेश द्वार पर हमने जीप ...और पढ़ेसामने ही मंदिरो की पहाडी पर जाने का प्रवेश द्वार था। जीप मे जूते मौके उतार के हम लोग मंदिर वाली पहाड़ियांे के प्रवेष द्वार तरफ चले तो वहॉ। घूम रहे एक सज्जन ने हमे हाथ धोने का संकेत दिया। हैण्ड पंप चला कर पानी से हाथ पंाव धोकर हम आगे बढ़ लिए। पता लगा कि पहाडी पर सुनो अभी पढ़ो चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर - 22 102 621 चन्देरी-झांसी-ओरछा-ग्वालियर की सैर 22 Chanderi-Jhansi-Orchha-gwalior ki sair 22 सुबह आठ बजे हम लोग दतिया से सेंवड़ा की और रवाना हुए। सेवडा यहॉं से 65 किलोमीटर है । सेवडा दतिया जिले की एक तहसील है । बताते है ...और पढ़ेइस जगह पर फिल्म यतीम, डकैत और तीसरा पत्थर की शूटिंग भी हो चुकी है । साडे दस बजे हम लोग सेवड़ा पॅहुचें। बस स्टैंड से सीधा रास्ता बाजार होता हुआ सिंध नदी के लिए जाता था। हम उसी रास्ते पर आगे बढे। बाजार में प्रवेष करने के लिए भी एक ख्ूाब बड़ा दरवाजा था। भीतर दोनो और सजी सुनो अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ राज बोहरे फॉलो