चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3 राज बोहरे द्वारा यात्रा विशेष में हिंदी पीडीएफ

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चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3

चन्देरी, झांसी-ओरछा और ग्वालियर की सैर 3

chanderi-jhansi-orchha-gwalior ki sair 3

यात्रा वृत्तांत

बादल दरवाजा चन्देरी प्रसंग

लेखक

राजनारायण बोहरे

चन्देरी का पुराना मोटर स्टैण्ड शहर के बाहर ही किले की पुरानी चहार दिवारी यानि कोट के पास था। लेकिन यहां सब कुछ खुले आसमान के तले था , यात्रियों को सिर छिपाने के लिऐ छाया नही थी। मैंने जीप रूकवाकर एक यात्री से पूछा तो उसने बताया कि नया मोटर स्टैण्ड तो चंदेरी शहर के उस पार पिछोर रोड पर बनाया गया है , पर आप-पास के गांवो के लोग पुरानी जगह ही इकट्ठे हो जाते हैं तो यहॉ भी बसें रूक जाती हैं ।

सामने ही लोक निर्माण विभाग का सरकारी गेस्ट हाउस था मैंने ड्रायवर से जीप उधर मोडने को कहा। रेस्ट हॉउस के चौकीदार से मैंने पूछा कि हमको कुछ देर रूकना है, जगह खाली है या नही ? तो उसने बताया कि जगह खाली है, और हम आराम से ठहर सकते हैं । फिर क्या था, मैंने इशारा किया और बात ही बात में बूटाराम और चौकीदार ने जीप में से बिस्तरे और अटेचियॉं निकाल ली और हॉल में जाकर रख दी।

ठंडा पानी पीकर हम लोग आराम करने लगे। सन्नी और हन्नी तो इस बीच सो ही चुके थे। मैंने दूसरे सब बच्चों को आराम करने की सलाह दी। सबलोग ऑखं जबरन बंद कर लेट गये ।

दोपहर दो बजे हम लोग उठ गये और चंदेरी की दर्शनीय स्थलों की यात्रा पर चल पड़े।

सबसे पहले हमने चंदेरी के कलात्मक प्रवेश द्वार देखने का निर्णय लिया और रेस्ट हॉउस के पास बने दिल्ली दरवाजे को देखने जा पहंचे । यह दरवाजा पत्थरों से बना हुआ है । रास्ते के दोनोंऔर दिवारे बनी हुई है। जो खुब ऊंचाई तक उपर चली गई है और आप फिर गोल घूमती हुई मिल जाती है। जहॉ से दरवाजे की मेहराब शुरू होती है। यहॉं दोनोंतरफ पत्थरों पर शेरो की मूर्तियां बैठाई गई हैं । ऐसे शेर को शार्दुल कहा जाता है जो कि पुराणों में ताकत के रूप बताये गये हैं और देवी दुर्गा को ऐसे ही सिंह पर सवार बताया गया है , घोड़े की तरह लम्बी चोच दार गरदन वाले ऐसे सिंह अब जंगल में नही मिलते हैं।

दिल्ली दरवाजे के बाद हमने फकीर दरवाजा देखा इस दरवाजे में बडी शानदार मेहराबे बनाई गई है ।

अब हमारा उद्देश्य बादल महल दरवाजा देखना था। मैदान मे बना या दरवाजा दूर से ही यात्रि और पर्यटनों को भी अपनी तरफ बुलाता हुआ लगता है । पत्थर से बनाई गई दो मीनारों को मैहराब बनाकर एक दुसरे से जोडा गया है , जिससे नीचे लगभग बारह फिट चौड़ा रास्ता निकल आता है।बादल दरवाजा पचास फिट ऊंचा है और पच्चीस फुट चौड़ा है ।

अंशु ने पुछा कि मामाजी यह दरवाजा किस जगह जाने के लिए बनाया गया था। तो मैंन बताया कि चंदेरी में मेदिनि राय नामक राजा राज करता था यह दरवाजा था तो महल का दरवाजा पर राजा मे किसी युद्व में विजयी होने के बाद यादगार के रूप मे इसका निर्माण करवाया होगा

इस दरवाजे के पास आगे जाकर कोई महल भी नही है और इसके दोनो तरफ दीवारें भी नही जुडी है।, इसलिए इसे प्रवेश द्वारा कहना कठिन है, निश्चिंत ही यह दरवाजा किसी यु़द्व मे विजयी होने का यादगार स्तंभ है बादलों से बाते करने के कारण ऊंचे दरवाजे को बादल दरवाजा कहतें होगें

़़़़़़़़़़

चन्देरी की लोकेशन-सडक मार्ग से अशोकनगर से 66 किलोमीटर/ललितपुर से 30 कि0मी0/शिवपुरी से 140 कि0मी0

चन्देरी तक पहुंचने के साधन-अशोकनगर, ललितपुर और शिवपुरी तीनों स्थान से बस चलती है या निजी किराये के टैक्सी वाहन

ठहरने के लिए स्थान- चंदेरी में म0प्र0 पर्यटन विकास निगम का होटल ताना बाना, म0प्र0 लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह और 2 निजी होटल