Pranava Bharti लिखित उपन्यास चंपा पहाड़न | हिंदी बेस्ट उपन्यास पढ़ें और पीडीएफ डाऊनलोड करें होम उपन्यास हिंदी उपन्यास चंपा पहाड़न - उपन्यास उपन्यास चंपा पहाड़न - उपन्यास Pranava Bharti द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां (45) 3.7k 8.2k 15 चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे ने ...और पढ़ेहाथ आगे की ओर किया जिसमें से रक्त टपकता हुआ एक गाढ़ी लकीर सी बनाने लगा, उसका दिल काँप उठा| हालांकि वह इस दृश्य की साक्षी नहीं थी लेकिन यह भी इतना ही सच था कि वह दृश्य बारंबार उसकी आँखों के सपाट धरातल को बाध्य करता कि वह उसकी साक्षी बने ! उसका मन वृद्ध होते हुए शरीर के पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें पूर्ण उपन्यास चंपा पहाड़न - 1 700 1.4k चंपा पहाड़न (1) आसमान की साफ़-शफ्फाक सड़क पर उन रूई के गोलों में जैसे एक सुन्दर सा द्वार खुल गया | शायद स्वर्ग का द्वार ! और उसमें से एक सुन्दर, युवा चेहरा झाँकने लगा, उसने देखा चेहरे ने ...और पढ़ेहाथ आगे की ओर किया जिसमें से रक्त टपकता हुआ एक गाढ़ी लकीर सी बनाने लगा, उसका दिल काँप उठा| हालांकि वह इस दृश्य की साक्षी नहीं थी लेकिन यह भी इतना ही सच था कि वह दृश्य बारंबार उसकी आँखों के सपाट धरातल को बाध्य करता कि वह उसकी साक्षी बने ! उसका मन वृद्ध होते हुए शरीर के अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 2 447 785 चंपा पहाड़न (2) अठारह-उन्नीस वर्ष की चंपा शहर के किसी सलीके से परिचित नहीं थी | यद्धपि हमारे देशभक्तों की कुर्बानियों से देश आज़ाद होने के पूरे आसार थे किन्तु यह तो तथ्य था ही कि अंग्रेजों का प्रभुत्व ...और पढ़ेपर बुरी प्रकार हावी था | ये अंग्रेज़ अपनी अंग्रेजियत को भुनाने के प्रयास में रत रहते थे | अपने भोग-विलास के दुष्कृत्यों से पहाड़ों पर निवास करने वाली भोली-भाली घास काटने जाती खूबसूरत नवयौवनाओं को किसी न किसी प्रकार अपने लपेटे में ले ही लेते थे | ज़माना उनके प्रभुत्व से बरी होने की फ़िराक में था किन्तु बरी अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 3 437 1.2k चंपा पहाड़न (3) “शी नीड्स ए डॉक्टर ---” जैक्सन बुदबुदाए और पास खड़े मह्तू से आस-पास के बारे में पूछताछ करने लगे “साहेब ! दूसरे गाँव में एक बैद जी रहते हैं, नाथूराम बैद, वो बहुत मशहूर ...और पढ़ेयहाँ ” “कितनी दूर है गाँव --?” जैक्सन ने पूछा “लगभग पन्द्रह मील तो होगा साहब !” “ हूँ—“जैक्सन सोच में पड़ गए थे “फ्रैंड !एक काम हो सकता है हम मह्तू को लेकर चलते हैं फिर आप लड़की को लेकर सुबह कहीं इसको ठिकाना दिलाने की कोशिश करना मुझे नहीं लगता यह बिना दवाई के अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 4 412 918 चंपा पहाड़न 4 गुड्डीकी माँ एक अध्यापिका थीं, अन्य लोगों से कुछ अधिक समझदार और संवेदनशील ! उनके कमरे से एक लंबा, संकराछज्जा चंपापहाड़नकी रसोई तक जाता, वह एक भाग से दूसरे भाग में ऐसे जुड़ा हुआ था जैसे ...और पढ़ेही घर के दो भाग हों|छुट्टी के दिन माँ की दृष्टि भी अपने पीछे के दरवाज़े से चंपा कीकोठरीपरचिपकीरहती|आते-जाते वे चंपा पर ऐसे दृष्टि रखतीं मानो कोतवाल हों और उन्हें यह‘ड्यूटी’सौंपी गई हो कि उस खूबसूरत कातिल पर दृष्टि रखी जाए|उसे तो क्या मालूम?वह तो बिलकुलनन्हीसी थी, इत्तीसी !माँ के साथ ही कभी कभी नानी भी आमिलतींजो कुछ ही दूरी अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 5 440 1.2k चंपा पहाड़न 5. वकील साहब केअंग्रेज़मित्रमि. जैक्सन भारतीय संगीत, नृत्य व अन्य भारतीयकलाओंके प्रति बेहद संवेदनशील थे| वे वकील साहब के शौक सेभलीप्रकार परिचित हो चुके थे और इसी शौक के कारण उन दोनों की मित्रतापरवानचढ़ीथी|दिल्ली आने पर वे ...और पढ़ेबाई’के पास ठुमरी सुनाने ले जाया करते थे|जैक्सन के बाक़ी मित्रों को शराब वशबाबमें रूचि थी, उनकीटोलीमेंगोरोंके साथ सांवले हिन्दुस्तानी भी थे जिन्हें मुफ़्त के मज़े लूटने की आदत पड़ चुकी थी और जब कभी जैक्सन का शिकार पर जाने वालों काकाफ़िलादिल्ली से शुरू होता उसमें कई लोग ऐसे भी आ जुड़ते जिन्हें जैक्सन पसंद नहीं करते थेकिन्तुउनको कई अन्य अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 6 427 1k चंपा पहाड़न 6 मह्तूजैक्सन साहब का विश्वासपात्र बावर्ची भी था और ड्राइवर भी रात के अंधेरों में ऊबड़-खाबड़ रास्तों में से किस प्रकार गन्तव्य तक पहुँचा जा सकता है, वह बखूबी जानता था यह सब तो ठीक परन्तु वकील ...और पढ़ेयह समझने में अपने आपको असफल पा रहे थे कि वे उस युवती को किसके पास और कहाँ ठिकाना दिला सकेंगे?उनका अपना परिवार तो उसे अपने यहाँ स्वीकार नहीं करेगा तब?यह भी समस्या थी कि यदि वे जैक्सन को मना कर देते हैं तब वह गोरा क्यासोचेगाकि इस हिन्दुस्तानी को अपने देश की लड़की के प्रति इतनी भी हमदर्दी नहीं है?बेचारेपशोपेश में अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 7 369 863 चंपा पहाड़न 7. मायाको एक-दो बार और लोगों ने भी सचेत किया थाकिन्तुवह पूरी तरह से उस पर विश्वास करती थी, उसे लगता लगभगपचपनवर्ष से ऊपर की गंगादेई, जिसके दो बड़े-बड़े भरपूरमर्दबेटे थे और न जाने कितने नाती-पोते भी, ...और पढ़ेसब बातों मेंक्योंपड़ेगी?मायाको उसकी ज़रुरत थी, कई वर्षों से वह उस घर में थी, गुड्डीके पिता गंगादेई को न जाने कहाँ से बहुत खोज-बीनकरलाए थे, वर्ष भर में ही उन्हें काल ने अपना ग्रास बना लिया थाअत:मायाके मन में गंगादेई के प्रति एक नाज़ुक सा भाव बना हुआ था|माँ के ऊपर वह अपनीपुत्रीका उत्तरदायित्व छोड़कर उन्हें उस बंधन में नहींबाँधनाचाहती अभी पढ़ो चंपा पहाड़न - 8 - अंतिम भाग 445 931 चंपा पहाड़न 8. चंपा अब लगभग पैंतालीस वर्ष की होने को आई थी, उसका यज्ञादि कानित्यकर्मवैसे ही चलता लेकिनगुड्डीके विवाह के पश्चात वह फिर से बंदकोठरीके एकाकीपन से जूझने लगी थी|हाँ !मायाका साथ हर प्रकार से उसके लिए बहुत ...और पढ़ेथा| उन दिनों फ़ोन आदि की अधिक सुविधा न होने के कारण चिट्ठियाँ लिखी जातीं| माँ केममतापूर्णस्नेहमय शब्दों में चंपा माँ कीलोरियोंकी गूँज सुनाई देती, चंपा हर चिट्ठी में उसे अपना प्यार-दुलारअवश्यप्रेषितकरती| गुड्डीके पति एक बड़े सरकारी संस्थान में कार्यरत थे|कुछ वर्षों के पश्चात उनका दिल्ली से बंबईतबादलाहो गया और स्थानीय दूरियाँ और बढ़ गईं|उनको बंबई में निवास के साथ अभी पढ़ो अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी કંઈપણ Pranava Bharti फॉलो