Raahbaaz book and story is written by Pritpal Kaur in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Raahbaaz is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
राहबाज - उपन्यास
Pritpal Kaur
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
मेरी राह्गिरी (1) शुरुआत मैंने वक़्त की धार में एक पैर छुआ कर देखा था और मेरा पैर दहक गया था बुरी तरह. ये नदी मेरी ख्वाहिशों ने गढ़ी थी. मैं नींद में डूबा बेखबर ख्वाबों से हार कर सोने और जागने के बीच तैर और डूब रहा था. मेरी ख्वाहिशें दिन पर दिन हाथ पैर चलाती जवान और फिर बूढ़ी होती जा रही थी. मैंने सोच लिया था कि जिन लोगों ने मेरे हाथ पैर बांध कर मुझे लाचार कर छोड़ा है उनकी एक न चलने दूंगा. मैं जानता हूँ मेरे पूरे परिवार की उम्मीदें मुझ पर टिकी हुयी
मेरी राह्गिरी (1) शुरुआत मैंने वक़्त की धार में एक पैर छुआ कर देखा था और मेरा पैर दहक गया था बुरी तरह. ये नदी मेरी ख्वाहिशों ने गढ़ी थी. मैं नींद में डूबा बेखबर ख्वाबों से हार कर ...और पढ़ेऔर जागने के बीच तैर और डूब रहा था. मेरी ख्वाहिशें दिन पर दिन हाथ पैर चलाती जवान और फिर बूढ़ी होती जा रही थी. मैंने सोच लिया था कि जिन लोगों ने मेरे हाथ पैर बांध कर मुझे लाचार कर छोड़ा है उनकी एक न चलने दूंगा. मैं जानता हूँ मेरे पूरे परिवार की उम्मीदें मुझ पर टिकी हुयी
मेरी राह्गिरी (2) मेरा फ्लिंग उस दिन रोजी आधे घंटे बाद मेरे ऑफिस में थी. मैंने तब तक अपने क्लाइंट को निपटा दिया था. जल्दी में डील पूरी करने के चक्कर में उस दिन अपना थोडा सा नुक्सान भी ...और पढ़ेलिया था. लेकिन दिल में मलाल नहीं हुआ था. ऐसा होता है मेरे साथ. बिज़नस में बहुत कम समझौता करता हूँ. दिल लगा कर अपनी सारी मेहनत और दिमाग झोंक कर सौदे करता हूँ. यानी बेच और खरीद का कारोबार. लेकिन रोज़ी ने मुझ पर जादू सा कर दिया था. इसकी दो वजहें हो सकती हैं. एक तो ये कि
मेरी राहिगिरी (3) फ्लिंग का नतीजा निम्मी सो चुकी थी. बच्चे ज़ाहिर है अपने अपने कमरों में थे. सो ही चुके थे वे भी. निम्मी ने मेरी हलचल पर एक बार आँख खोल कर मुझे देखा था फिर करवट ...और पढ़ेकर सो गयी थी. उसे मेरे देर से आने की आदत है. कभी काम की वजह से तो कभी देर रात तक होने वाली मेरी बिज़नस पार्टियों की वजह से. आज जैसी मदमस्त वजह पहले कभी हुयी नहीं थी. एक अजीब सी बात मैंने अपने अन्दर उस रात महसूस की थी. पहली बार ऐसा हुआ था कि मैंने निम्मी के
रोज़ी की राह्गिरी (4) मेरा नशा दिन के हर पहर की अपनी एक अलग तासीर होती है. रात की तासीर अँधेरे से उपजती है और नशे में ढलती है. मैं तो दिन रात एक नशे में रहती हूँ. मेरे ...और पढ़ेका नशा. मेरी ज़िन्दगी को पल-पल एक-एक घूँट रस ले कर पीने का मज़ा. मैं जानती हूँ ये ज़िन्दगी मुझे इस बार कई कोशिशों के बाद मिली है. मैं इसे गवाना नहीं चाहती. मैं हर सुबह एक खुमारी के साथ उठती हूँ. दिन चढ़ता जाता है और मैं काम के नशे में चूर होती जाती हूँ. मेरा काम शुरू होता
रोजी की राह्गिरी (5) मन क्यूँ बहका मुझे नियोग करना था. इसके लिए मुझे किसी देवता का आव्हान करना होगा. लेकिन आज के इस युग में कोई देवता मुझे कहाँ मिलेगा? ये कैसे हो सकता था कि मुझे कोई ...और पढ़ेमिले. मैं उस वरदान के चलते एक कोई मन्त्र पढ़ूं और कोई सूर्य जैसा कान्तिमान देवता आ कर मेरी कोख हरी कर जाए. मुझे तो इस कलियुग में मर्दों के बीच में से एक ऐसा मर्द ढूंढ निकालना था जो परायी स्त्री का उपभोग भी करे लेकिन उसके मन में कोई मलिन भाव न हो. एक ऐसा मर्द जिसके मन