Yaado ki Asarfiya book and story is written by Urvi Vaghela in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Yaado ki Asarfiya is also popular in जीवनी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
यादों की अशर्फियाँ - उपन्यास
Urvi Vaghela
द्वारा
हिंदी जीवनी
में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया है। यह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है।
समर्पण में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया ...और पढ़ेयह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है। * पूर्वभूमिका गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर गुरू साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः यह श्लोक से हमारी यूं कहे तो जिंदगी
1. वेलकम टू किशोर विद्यालय किशोर विद्यालय, याद करते ही आंखो के सामने खड़ी हो जाती है वह खूबसूरत गुलाबी इमारत, जिसके सामने न जाने कब से खड़ा हुआ नीम का घना पेड़। उस पेड़ पर लगा वह घंट ...और पढ़ेछूटी होने पर हमे अवर्णनीय खुशी देता पर जब वह आखरी बार बजा तो जेसे कान सुन रह गए। उस घंट ने जेसे हमारी स्कूल से हररोज मिलने की आदत,चाह और आनंद को छीन लिया। उस पेड़ के नीचे पार्क की हुई टीचर-सर के वाहन, घर तक पहुंचाती मस्ती की वह पीली दो स्कूल बस और सामने लगी हुई, आर्मी
2. डेमो लेक्चर्स सुबह यूं तो सबको प्यारी लगती है पर बचपन की वह सुबह को हमने सबसे ज्यादा धिक्कारा है जब छुट्टियों के बाद सुबह 6 बजे न चाहते हुए मम्मी की लगातार आवाज या उस कमबख्त अलार्म ...और पढ़ेआवाज से उठना पड़ता है। बाहर बारिश का मौसम है। अकसर बारिश का मौसम सुहाना होता है पर उन बच्चो से पूछो जिसको बारिश किसी दुश्मन के राजनीति की तरह परेशान करती है। मानो की बारिश की सोची समझी साजिस हो की जब स्कूल जाने का वक्त हुआ नही की बारिश शुरू। सुबह का माहोल काफी अच्छा होता है लेकिन
3. मॉनिटर का चुनाव क्लासरूम में शोर करना तो जैसे स्टूडेंट्स का जन्मसिद्ध अधिकार था। और टीचर को इसे रोकना उसका मिशन था। टीचर तो हर वक्त क्लास में नही रह सकते इस लिए क्लास में ...और पढ़ेही एक विद्यार्थी को चुनकर उसे क्लास की रखवाली करने का काम सोपते थे। मॉनिटर बनना मेरा सपना था पर वह अब तक पूरा नहीं हो पाया था। मॉनिटर का चुनाव होशियार बच्चो में से होता था। इस साल मेरे क्लास के होशियार स्टूडेंट्स स्कूल छोड़ कर चले गए थे। वह लोग कह कर भी गए थे अगले साल तुम
4. गुरुपूर्णिमा आकाश में अंधकार छाया हुआ था। सब और छाता और रेनकोट दिखाई दे रहे थे। खड्डे गंदे पानी से भर गए थे और इसी गंदे पानी की वजह से हमारा यूनिफॉर्म, जूते खराब हो जाते थे फिर ...और पढ़ेस्कूल जाने का एक उत्साह था। स्कूल पहुंचते ही प्रार्थना के लिए हमारा ठिकाना होता है क्लासरूम क्योंकि जो बॉयज पहले कंपाउंड में खुले आसमान के नीचे बैठते थे उसे बारिश से बचने के लिए लॉबी में बिठाते थे और लॉबी में बैठने वाली हम गर्ल्स क्लासरूम में बैठते थे जहां प्रार्थना काम मस्ती ज्यादा होती थी। बारिश के छोटे