यादों की अशर्फियाँ - 5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-2 Urvi Vaghela द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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यादों की अशर्फियाँ - 5. पीरियड्स से पढ़ाई तक-2

 पीरियड्स से पढ़ाई तक - 2

  

     रिसेस का घंट बजाता की हम सब क्लासरूम की और धीरे धीरे चलते। बचपन में प्राईमरी में सब या तो लाईन में या तो दौड़ कर जाते थे। मगर अभी जैसे पढ़ाई से कोई नाता ही न हो ऐसे जा रहे थे हम।


    पर जैसे ही क्लास में पहुंचते फिर से धींगामस्ती शुरू फिर भी सभी टीचर्स 9th को अच्छी क्लास कहते थे चाहे कोई भी बेच हो। अब पीरियड था ऐसे टीचर का को स्टूडेंट के प्रश्न से ही बेहाल हो गए थे। नीरज सर जो सामाजिक विज्ञान लेते थे। यह विषय सबको लॉरी की तरह लगता क्योंकि इसमें नींद बहुत आती पर नीरज सर जैसे शिक्षक हो तो ऐसा नींद चुटकी में उड़ जाए। नीरज सर पढाने के साथ मज़ाक करते थे और हर टॉपिक को ऐसे पढ़ाते थे मानो कोई कहानी हो। ऐसे अच्छे शिक्षक को में बहुत प्रश्न पूछती थी और वह सामने मुझे भी पूछते पर में उसका भी जवाब दे देती।

   “तुम एक साथ इतने प्रश्न न पूछा करो। मुझे अटैक आ जाता है” 

  और इसी लिए सर मुझसे कहते की उस परेश रावल की किसी फिल्म के पात्र के भाती मुझे क्वेश्चन मार्क का चिन्ह लगाना चाहिए।

  सर का यह स्वभाव हमे ज्यादा दिन तक नहीं मिला दुर्भाग्य से।

  

    वह कब चले गए मुझे याद नहीं किंतु उसके बाद जो टीचर आए उसको में नहीं भूल सकती। नीरज सर की तरह वह नही थे पर हमने उसकी बहुत मजा ली। टीचर का वर्ण गौर था इसी लिए उनका नाम ' भूरी ' पड़ा। उनका असली नाम हेता टीचर था। उनकी ऊंचाई कम थी। वह दिखने में अच्छे हो ना हो पर पढ़ाई में नही थे। जब कोई टीचर पढ़ाई में स्टूडेंट्स को व्यस्त न रख पाए, स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई की ओर आकर्षित न कर पाए तभी स्टूडेंट अपने मन को किसी ऐसी चीज में पिरोता है की टीचर का पीरियड में टाईम पास हो जाए।

  मेरा और क्लास का हाल कुछ ऐसा ही था।  में, ध्रुवी और माही बुक में एक पेज लेते। जिन पर पड़े अक्षर पर लिखते - व्हाट्सएप । फिर हम तीनो बातें करते जेसे एक ग्रुप में करते क्योंकि हम सामाजिक विज्ञान में कुछ समझ नहीं पाते थे , खुल के बातें भी नहीं हो पाती। टीचर को लगता की चुप चाप  पढ़ रहे है और हमारा काम हो जाता। 

  एक बार छूटी के समय टीचर का पीरियड था। सब और सिर्फ शोर ही था। टीचर सबको पकड़ पकड़ कर होमवर्क दे रहे थे। इसी में ध्रुवी बात करते हुए पकड़ी गई। पर टीचर नए होने के कारण सबका नाम नहीं पता था। ध्रुवी ने अपना नाम माही बताया और माही को डांट पड़ती। इसके नाम को लेकर टीचर ने होमवर्क दिया। फिर दोनो ने दूसरे दिन इनकार कर दिया की होमवर्क माही को मिला था लेकिन माही ने बात नहीं की थी। ऐसे ही जुगाड से ध्रुवी बच जाती थी। 


   ध्रुवी खुद भी बचती और दूसरो को भी बचाती। एक बार क्रिशा ने आईकार्ड नहीं पहना था तो सिर्फ उसे दंड न मिले इस लिए ध्रुवी ने अपना आईकार्ड तोड़ दिया। फिर मैने अपना आईकार्ड निकाल दिया। धीरे धीरे माही, अंजनी, झारा ने भी निकाल दिया। मेना टीचर ने 30 रूपे दंड दिया। दूसरे दिन क्रिशा क्या कोई भी रुपे लेकर नहीं आया और तो और मेना टीचर ने मांगा भी नही। में जानती थी की यह टीचर ने दंड लगाया है धीरेन सर ने नहीं। 

   पर उन 30 रूपे ने ऐसा जादू किया की क्रिशा के नाश्ते में कभी वेफर्स ही हुआ करती थी जो अब घर का बनाया हुआ नाश्ता आने लगा। 


  हमारे फ्रेंड कहो तो फ्रेंड और टीचर कहो तो टीचर या फिर फ्रेंडली टीचर ज्यादा सही रहेगा नसरीन टीचर के लिए। वह संस्कृत लेते थे। उनका पीरियड कभी टेंशन वाला नही होता था। उसका पढ़ने का तरीका इतना अच्छा था की हमे याद अपने आप रह जाता था। 

 

  नसरीन टीचर हमारे इतने करीब थे हमे यह तब पता चला जब वह अचानक स्कूल छोड़ कर चले गए। मुझे याद है की जब टीचर आखरी बार मुझे खिड़की में से डायरी देकर गए थे और कह कर गए की तुम रखना में कल नहीं आऊंगी। मुझे तब कहा पता था की वह आखरी सच में आखरी होंगा। हम सब बहुत ही नर्वस हो गए थे। 

  उस वक्त दीपिका मेम का पीरियड था। सारी गर्ल्स को नहीं पता था लेकिन टीचर मुझे कह कर गए थे। 

  “ तुम्हे पता है क्या?”

  में सिर्फ हां में सिर हिला पाई।

  “ अभी वह पीरियड में होंगे तुम बाद में उसे मिलने जाना।”

 

 जब टीचर बस में जा रहे थे तो में कुछ नहीं बोल पाई पर टीचर ने कहा

 “ तुमने मेरा घर देखा है न। जरूर आना हा तुम सब।” 

   सच में उस वक्त टीचर ने हमारा दिल जीत लिया। इसका बड़ा उदाहरण मेरे आँसु थे। 

 

   

   गणित विषय जैसे कोई राक्षस हो। सब स्टूडेंट इससे डरते थे। पर सर ऐसे आए थे की अब तो उसकी कोई टेंशन ही नही था। ज्यादा स्टूडेंट को 30 में 30 अंक आते थे। आप सोच रहे होंगे की सर बहुत अच्छा समझाते होंगे पर आप गलत है। सर मार्क देने में अच्छे थे। आसान सवाल पूछते थे और हम जीत जाते थे लेकिन जब मुझ जैसे स्टूडेंट सर से प्रश्न करता है तभी असली परीक्षा शुरू होती है और सर उसमे फेल हो जाते थे। कभी कभी तो में जिस प्रश्न को पूछती वह परीक्षा में नही पूछूंगा ऐसा कह कर टाल देते थे और अगर में प्रश्न ट्यूशन टीचर से या खुद से सॉल्व कर लूं तो वही प्रश्न का जवाब बोर्ड में किसी स्टूडेंट के द्वारा लिखवा कर पढ़ा देते थे। 

  उसका पीरियड में पढ़ाई तो होती ही नहीं थी। इस लेक्चर में धूलु को काफी मौका मिल जाता था सबको परेशान करने का। उसके पास बैठी माही को चुपके से मारना और ऐसे मारना की लगे की मेने मारा है। झारा जो हमारी आगे बैठती थी उसे बेंच नीचे से गुदगुदी करना। शांत क्लास में झारा की हसीं केसी लगेगी वह तो आप ही कल्पना कर लेंगे। 

  एक बार तो माही और धुलू ने मिल कर ऐसी मज़ाक की जो झारा के जिंदगी का दुःखद मज़ा था। माही ने दूसरे मोबाईल नंबर से धुलू के मार्गदर्शन पर झारा को एक लड़के के नाम से मैसेज किया और फिर क्या?  वह तो डर गई की कोन लड़का इसके बारे में इतना जानता है। और जब उसे पता चला की यह सॉफ्ट माही ने किया तो वह शौक हो गई। 


    पर कुछ भी हो डर के ज्यादा ऐसे सर ही अच्छे। में नहीं मेना टीचर का अनुभव बोल रहा है।