यादों की अशर्फियाँ - पूर्वभूमिका Urvi Vaghela द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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यादों की अशर्फियाँ - पूर्वभूमिका

समर्पण

में अकसर सोचती थी की अगर हम कोई अच्छा काम करे तो हमारे माता पिता एवम् परिवार वालो की कीर्ति तो बढ़ेंगी ही पर उन शिक्षको और दोस्तो का क्या जिसने भी हमारी सफलता में अमूल्य योगदान दिया है। यह कहानी उन्ही पर, उन्ही से और उन्ही के लिए है। यह उन खास शिक्षको जिसने मुझे इस काबिल बनाया की में यह लिख सकू और मेरे सहारे उन दोस्तो को समर्पित है।

 

पूर्वभूमिका

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवों महेश्वर

गुरू साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः

    यह श्लोक से हमारी यूं कहे तो जिंदगी शुरू हुई थी। हमारी असली जिंदगी यानी स्कूल की जिंदगी जहां हमने पहली बार अपने माता पिता से दूर अपने दम पर रिश्ते बनाए - दोस्ती के रिश्ते। जिंदगी के यूं तो कई यादगार पल होंगे किन्तु स्कूल के जो पल थे वह सिर्फ यादगार ही नहीं किन्तु ऐसे थे की अगर हमे वापस स्कूल में भेजे तो उससे बड़ा कोई सुख नहीं है। हम में से कोई ऐसा नहीं होगा जो स्कूल में अगर मोका मिले तो न जाना चाहे। में भी जाना चाहती हू इस लिए फिर एक बार उन यादों, जो किसी अशर्फी से कम नहीं। हम सबसे ज्यादा उन हसीन पलों को ही तो याद करते है। और वह फिर से जीना चाहते है।

    पर यह तो मुमकिन नहीं इस लिए मेरा यह छोटा सा प्रयास से उन यादों को बटोर कर एक किताब का स्वरूप दु ताकि जब भी हम उसे पढ़े या कोई भी उसे पढ़े तो वापस उसी खुशियों के सागर में डुबकी लगा सकें।

   यह कहानी के रूप में मेरे निजी जीवन के यादगार पल है। इसमें जिसका भी निरूपण किया है चाहे वह दोस्त हो या टीचर उनको मेरी नजर से देखा गया है। वह वास्तव में ऐसा न भी हो। यह कहानी उसी निखालसता से लिखी गई है जो हर स्टूडेंट अपनी स्कूल के दिनों के अपने दोस्तो और शिक्षको को देखता है।

   इस कहानी में किसी टीचर की निंदा करना या अपमान करने का भाव नहीं है बल्कि यह सिर्फ उन दिनों के निखालस भाव का निरूपण है। जो हर किसी ने अपने स्कूल के दिनों में अवश्य अनुभव किया होगा।

     यह कहानी उन दोस्तो की ज्यादा है मेरी कम जिसने मेरी स्कूल लाइफ को इतना खूबसूरत बनाया। उस सफर में साथ चलने वाले हमसफर दोस्तो के नाम ही यह सफर शुरू करने जा रही हु जो केवल एक किताब में नही पूरी हो सकती। इसलिए यह कहानी 9th के स्कूल के दिन, ट्यूशन के दिन और ऐसे ही 10th के स्कूल और ट्यूशन के दिन चार भागों मे विभाजित है। यह भाग पहला है।

  यह भले ही अपने स्कूल की कहानी ना हो पर हर किसी इंसान के अंदर छुपा नटखट सा स्टूडेंट की कहानी है और एक बार फिर उसी स्कूल में जाने की खुशी महसूस होगी।

उर्वी वाघेला

 

 

  • अनुक्रम

 

  1. वेलकम टू किशोर विद्यालय
  2. डेमो लेक्चर्स
  3. मॉनिटर का चुनाव
  4. गुरुपूर्णिमा
  5. पीरियड्स से पढ़ाई तक
  6. स्वतंत्रता दिन
  7. शिक्षक दिन
  8. सबसे अदभुत - नवरात्रि
  9. दिवाली की छुट्टियां

 

वेकेशन के बाद

 

  1. टाइम टेबल की लड़ाई
  2. कंप्यूटर लैब की धमाल
  3. रिसेस और प्रिलिम्स
  4. दीपिका मेम का रिजाईन
  5. पेपरस्टाइल : द बिग इश्यू
  6. 9th के आखरी दिन