राज सर का डिजिटल टीचिंग
सामाजिक विज्ञान से बोरिंग सब्जेक्ट कोई नहीं है। बहुत ही कम स्टूडेंट्स होंगे जिसको यह सब्जेक्ट पसंद हो और हम उनमें से बिलकुल नहीं थे। कनक टीचर के साथ शुरू शुरू में तो अच्छा लगा पर धीरे धीरे उन में भी बोर होने लगे क्योंकि अब वह भूगोल पढ़ा रहे थे और उनमें भी कांग्रेस आ जाता था। कभी कभी तो उनको ज्यादा काम होता था ट्यूशन का तो वह हमे पूरा चेप्टर लिखने दे देते थे। हम सब अब वैसा ही फील कर रहे थे जैसा मेना टीचर की क्लास में करते थे। अब तो सिर्फ मेहुल सर का लेक्चर ही बचा था जिनके लिए हमे आने का मन हो पर वह भी टाइम टेबल के अनुसार काम आता था क्योंकि वह 10th में ज्यादा वक्त देते थे।
हम एक दिन इसी बात का जिक्र स्कूल में कर रहे थे तभी माही की नज़र एक कार पर पड़ी जो स्टाफ के पार्किंग में खड़ी थी। जिस पर किसका नेम भी लिखा था शायद 'भूमि' था। हम सोच रहे थे की किसने यह स्कुलबस की जगह गाड़ी रख दी। कहीं यह धीरेन सर की तो नहीं पर भूमि तो कोई नहीं है जिसका नाम उसकी गाड़ी में हो। हमने कई तुक्के लगाए पर समझ नहीं पाए।
उस दिन, ट्यूशन में मेहुल सर के लेक्चर के बाद एक अनजान सर आए और साथ में कनक टीचर भी थे। उन्होंने आ कर हमसे उनका परिचय करवाया।
“ यह राज सर है, वंथली के स्कूल के प्रिंसिपाल। सर वैसे तो सभी सब्जेक्ट्स के मास्टर है पर वह आपका सामाजिक विज्ञान लेंगे। सर, प्लीज़….” कनक टीचर ने अपना भाषण पूर्ण किया और चल दिए। हम समझ गए की कनक टीचर ने अपनी सामाजिक विज्ञान के टीचर की पदवी छोड़ दी और इस सर ने दे दी। सर के हंसते हुए चहेरे ने हमारी परेशानी को छू मंतर कर दिया । सर ने भी अपना इंट्रोडक्शन दिया। सर महाराष्ट्र के रहने वाले थे और उनकी एक बेटी भी थी जिसका नेम भूमि था जो हमने उस कार में पढ़ा था। सर वंथली के किसी गवर्नमेंट स्कूल के प्रिंसीपाल थे। उन्होंने मजाक करते करते अपनी बात बताई की प्रिंसीपाल को सभी विषय आने चाहिए क्योंकि कोई न कोई टीचर छूटी पर होता है। जैसे मैथ्स के टीचर छूटी पर हो तो उनको मैथ्स पढ़ाना पड़ेगा और इंग्लिश के हो तो इंग्लिश। प्रिंसीपाल छूटी नहीं ले सकते क्योंकि वह कहा छूटी मांगने जाए और उसका काम और कोई कर भी नहीं सकता। इस तरह सर ने दूसरे डेमो लेक्चर के टीचर्स की तरह आते ही बुक निकलकर पढ़ाना शुरू नहीं कर दिया और यही बात हमे इंप्रेस कर गई और ऊपर से सर ने मैजिक शो किया। हा, सर मल्टी टैलेंटेड थे उन्होंने हकुभा जादूगर के साथ काम किया था। पहले मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की सर सच बोल रहे थे। पर जब सच में उन्होंने जादू करके दिखाया तब यकीन आया।
सर ने हमारे पास से एक सिक्का लिया और हमे कहा की ध्यान से देखना, अब में आपकी आंखों के सामने यह सिक्का मेरे हाथ के अंदर डाल दूंगा। हमने कहा की ऐसा थोड़ी ना होता है और सर ने भी कहा की "ऐसा होना संभव है जादू से। अगर में ऐसा कर दूं तो आप मानेंगे न की यह जादू है।”
फिर हम सब भी ध्यान से देखने लगे। पहले सर ने हाथ में सिक्का डालने की कोशिश की। फिर कोहनी से हाथ को मोड़ा और खोलते ही सिक्का गायब। हम सब को चोक गए की यह सच था क्या? हमने सर की तलाशी ली कहीं उन्होंने चालाकी करके सिक्का गायब तो नहीं कर दिया क्योंकि हम इतने भी छोटे नहीं थे की यह न समझे की सिक्का कभी हाथ में नहीं जा सकता पर हम इतने भी शातिर नहीं थे की यह पा लगा सके की सिक्का आखिर गया कहा? हम सबने आपने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके तुक्का लगाया की शायद सिक्का पैन्ट की जेब में तो नहीं है या फिर शर्ट में या तो मुं में। पर हमारा शक गलत था। ध्रुवी ने मुझे कान में कहा की सर के शर्ट के कोलर में होगा। पर मैने अनसुना कर दिया यह कह कर की सर ने खुद शर्ट को चेक करके दिखाया।फिर और दो तीन सिक्के को गायब करके दिखाया तब भी हम समझ नहीं पाए। फिर सबने अपने सिक्के वापस मांगे तो सर ने बाहर जाने की अनुमति मांगी तो हमने माना कर दिया की आप तो ने सिक्के लायेंगे तो? सर ने फिर हमको ट्रिक बताई की उन्होंने हाथ मोड़ने के बहाने सिक्के तो दूसरे हाथ से शर्ट के अंदर डाल दिया था । इस लिए शर्ट चेक करते वक्त भी नहीं दिखा था। धुलू का अंदाजा सही था की उनका हाथ पीछे गया मतलब कोलर में नहीं तो शर्ट में हो सकता था। फिर सिक्के लाने बाहर गए।
हम सबने बाते करना शुरू कर दिया की अब ट्यूशन में मज़ा आएगा तभी सर वापस आ गए। और उन्होंने बातों ही बातों में आर्टिकल सीखा दिया हालांकि वह इंग्लिश का था फिर भी और वह भी मैजिक से। हम सब खुश थे। सर ने बहुत ही अच्छे से मज़ाक करते हुए हमे पढ़ाना शुरू किया। हम सब भी एंजॉय कर रहे थे।
फिर दूसरे दिन स्कूल में में और माही खड़े थे तभी भूमि लिखी हुए कार निकली जिसमें राज सर बैठे थेहम सबने बाते करना शुरू कर दिया की अब ट्यूशन में मज़ा आएगा तभी सर वापस आ गए। और उन्होंने बातों ही बातों में आर्टिकल सीखा दिया हालांकि वह इंग्लिश का था फिर भी और वह भी मैजिक से। हम सब कुछ था। हमने गुड मॉर्निंग भी कहा था और अब जाके यह गाड़ी का राज खुला।
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में खुशाली के घर थी। में ट्यूशन के वक्त के पहले पहुंच जाती थी क्योंकि मुझे मेरी दीदी ऑफिस जाते समय ट्यूशन छोड़ देती पर में स्कूल मे क्या करू? इसलिए में खुशाली के घर थोड़ी देर बैठती थी जो स्कूल के नज़दीक था। हम दोनों राज सर की ही बात कर रहे थे। उन्होंने आज सबको कंपलसरी बुक लाने को कहा मणिक सर की तरह और कहा था की एक सरप्राइज़ था। उसका जादू देखने के बाद पता नहीं कौन - सा सरप्राइज़ देने वाले थे। हमने यह बात राज सर पर ही छोड़कर उमिया स्टोर की और चल पड़े। वहा से हमने बहुत सी चॉकलेट, खट्ट मीठी गोलियां आदि लिया।
ट्यूशन में पहोचते ही हमने पहले मणिक सर का लेक्चर पढ़ा, बाद में मेहुल सर फिर आया सरप्राइज़ का लेक्चर। पर सर क्लास में आने की जगह उन्होंने हमे कंप्यूटर लैब में बुलवाया। हम सब भी चूक गए ट्यूशन में कंप्यूटर? यह तो स्कूल में होता है। हम गए तो पता चला की राज सर ने प्रोजेक्टर शुरू करवाया था। शायद मैंने यह पहले लैब में नहीं देखा था। हम सबको लाइन में बैठने के लिए कहा बुक के साथ। फिर हमे दिखाया वीडियो जो हमारा सामाजिक विज्ञान की टेक्स्टबुक का एक चेप्टर का ही था। मतलब सर अब वीडियो से पढ़ाएंगे जैसे सभी आंदोलन के चित्र, वीडियो के साथ। ऐसा लग रहा था की मूवी देख रहे है। सर साथ में समझा भी रहे थे। सच में सामाजिक विज्ञान कभी भी इतने इंटरेस्ट के साथ हमने कभी नहीं पढ़ा था।
जैसे पहले कहा की सर मल्टी - टैलेंटेड थे। उनको मैजिक के अलावा एक्टिंग का भी काम किया था। किसी टीवी शो में उसने रोल किया था। हमे पहले तो यकीन नहीं आया फिर उन्होंने प्रोजेक्टर में दिखाया भी था यहां तक की बाहुबली फिल्म की शूटिंग क्लिप भी दिखाई थी। आम तौर पर टीवी सीरियल की शूटिंग मिल जाती है पर मूवी की शूटिंग मिलनी मुश्किल होती है ऐसा सर ने कहा था। हम बहुत मजा कर रहे थे।
फिर तो रोज का हो गया। सर टॉप लर्निंग नाम की एप्लीकेशन से सारे विडियोज लेकर आते थे और हम देखते थे। धीरे धीरे यह आदत बन गई थी। हम पीछे बैठने लगे और मस्ती करने लगे। में तो एक छोटे से डेस्क में घुस गई थी और जैसे ही माही को बुलाने लगी मेरा सर टकरा गया। पर चोट देखने के बजाय हम तो हंस पड़े। ध्रुवी भी पीछे बैठ कर माही और क्रिशा को पीछे से बुलाती, गुदगुदी करती और बाते करवाती। हमने जो पल लैब में गुजारे वह सचमुच यादगार थे पर यह ज्यादा दिन टिक न सका। पता नहीं एक दिन सर चले गए कोई रीजन दिए बिना। हमने उसे बहुत मिस किया।