Ibne Safi लिखित उपन्यास चिराग का ज़हर

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चिराग का ज़हर द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
इब्ने सफ़ी (1) और अब उस इमारत में कोई नहीं रहता था । केवल एक लड़की विस्तृत कम्पाउन्ड के अन्दर बने हुये सर्वेन्ट क्वार्टर...
चिराग का ज़हर द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(2) पिछले दस बारह दिनों से प्रतिदिन आसिफ नीलम हाउस पहुँच जाता था। दिन वहीं व्यतीत करता और सन्ध्या होते ही सिपाहियों का प...
चिराग का ज़हर द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(3) "जो दिल में आये वह कहो और समझो―" आसिफ ने कहा "मगर सच्ची बात यही है कि मामिला कुछ भी नहीं है— केवल बात का ब़तंग...
चिराग का ज़हर द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(4) "श्री मान जी !" युवक ने दयनीय स्वर में कहा "केवल इतनी सी अभिलाषा है कि आप अपनी कार में मुझे स्थान दे दें―" "क्यों स्...
चिराग का ज़हर द्वारा  Ibne Safi in Hindi Novels
(5) हमीद ने फिर कुछ नहीं कहा। वह विन्ड स्क्रीन की ओर देखने लगा। काफी दूर एक मोटेल की रोशनी दिखाई दे रही थी। "यदि आप आज्ञ...