(19)
उसे विदा करके विनोद उसी मनहूस कमरे में आया और दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया। यहाँ के पूरे मैक्नोज्म को वह पहले ही देख और समझ चुका था। तहखाना भी देख डाला था । तहखाना बहुत बड़ा था। कई कमरे थे और बिजली का एक पूरा आटोमेटिक सिस्टम मौजूद था। उसने तहखाने ही के एक कमरे में ट्रान्समीटर्स और अपने दूसरे सामान रख छोड़े थे। उसने स्लेब हटाया और सीढ़ियाँ ते करता हुआ नीचे पहुँच कर उसी कमरे में आया फिर एक ट्रान्समीटर का स्वीच आन करके बोला ।
"हलो जीरो नाइन हलो हार्ड स्टोन हियर... क्या वह अभी तक मौजूद है ?"
"जी हाँ―" दूसरी ओर से आवाज आई "अब तक उसकी तलाश में कई आदमी आ चुके हैं मगर अभी तक कोई उसके ठिकाने तक नहीं पहुँच सका है।"
“आने वालों में से किसी को तुम ने पहचाना ?"
"जी नहीं श्रीमान जी !”
"इस बात की कोशिश करना कि वह तारा झील में गोता न लगाने पायें ! अगर सन्ध्या तक वह कहीं न जाये तो फिर उसे कैद करके नीलम हाउस के पीछे वाले चटियल मैदान तक ले आना । सूचना भेजते रहना । मैं ट्रान्समीटर से टेप रेकार्डर अटैच कर रहा हूँ-सब सुन लूगा ।"
"हमें विश्वास है कि वह अपने ठिकाने से बाहर नहीं निकलेगा । शायद वह समझता है कि अगर वह बाहर निकला तो कत्ल कर दिया जायेगा। हमें उसे कैद करके लाना ही पड़ेगा ।"
"अगर ऐसा ही हुआ तो अच्छा है— ओवर ऐन्ड आल-" विनोद ने कहा और उनका स्वीच आफ करके दूसरे ट्रान्समीटर का स्वीच आन कर दिया । जब दूसरा जोर से आवाज आ गई तो बोला। " इट इज हार्ड स्टोन"तुम लोग इस समय कहाँ हो ?"
"कैप्टन हमीद का पीछा करते हुये आर्लेक्वनू तक हम लोग आये हैं। कैप्टन साहब मेकअप में रहने के बाद भी पहचान लिये गये हैं- यह इसलिये कह रहा हूँ कि एक आदमी बराबर उनके पीछे लगा हुआ है।"
"हमीद को यह सूचना दो कि उसे रेमन्ड की कोठी में दाखिल होना है और वहाँ जो कुछ भी पड़े उसे भुगतना है । तुम में से एक आदमी बराबर हमीद के साथ रहेगा मगर दरुल उसी समय देगा जब यह देखेगा कि हमीद का जीवन खतरे में पड़ गया है। वह हमीद से एक ही सवाल करेंगे वह यह कि " कर्नल विनोद को क्या मालूम है।" इसका उत्तर हमीद को यह देना है कि "विनोद को सब कुछ मालूम है और उसने तलाश कर लिया है-ओवर ऐन्ड आल - ।"
स्वीच आफ करके उसने फिर ट्रान्समीटर पर ही सम्बन्ध स्थापित किया था और कह रहा था ।
"हेलो आपरेटर-नोट डाउन - ग्यारह बजे आप होम और फारेन सेक्रेटरी के साथ नीलम हाउस पहुँच जायेंगे क्लोज- साहब तक सूचना पांच बजे तक पहुँच जाये ओवर ऐन्ड आल ।”
यह सन्देश विनोद ने अपने विभाग के डी० आई० जी० के लिये आपरेटर को नोट कराया था फिर वह कमरे से बाहर निकल आया था और तहखाने का एक लम्बा गलियारा तै करता हुआ उस कमरे में आया जिसमें एस० पी० को फेंक गया था। तहखाने का सिलसिला अस्ल इमारत से सर्वेन्ट क्वार्टर्स तक था । तहखाने तक पहुँचने के लिये एक सीढ़ी मनहूस कमरे से थी और दूसरी नूरा के क्वार्टर से थी। एस० पी० उसे देखकर आंखें तरेरने लगा। विनोद ने उसके मुख से कपड़ा निकाला और बोला ।
"मैं तुम्हें आत्महत्या नहीं करने दूँगा — इसलिये हाथ बंधे ही रहेंगे।"
"तुमने कानून भंग किया है—” एस० पी० चीखा।
"मैं खुद कानून हूँ—'' विनोद ने कठोर स्वर में कहा " इस तहखाने में केवल तुम्हारे कारण बहुत से लोगों ने सिसक सिसक कर दम तोड़ा है- तुम भी न बच सकोगे।"
"तुम्हें भ्रम हुआ है कर्नल -" इस बार एस० पी० ने कोमल स्वर में कहा "हर आदमी की कार्य प्रणाली भिन्न होती है । तुम्हारे ही समान मैं भी अपराधियों का पता लगाना चाहता था-"
"और इसकी उत्तम प्रणाली यह थी कि तुम मुझे गोली मार दो-"
विनोद ने व्यंग भरे स्वर में कहा "मुझे तुम पर उसी समय सन्देह हुआ था जब मुझे यह मालूम हुआ था कि तुम ने नूरा की रक्षा के लिये सिपाही नियत किये हैं और जब नूरा के कमरे में उन सिपाहियों की मौजूदगी में नूरा नहीं मिली थी. मगर फिर भी मैं तुम्हें इस शर्त पर फाँसी के तख्ते पर नहीं पहुँचने दूंगा कि तुम यह बता दो कि नूरा के क्वार्टर में किसकी लाश थी और उसे क्यों कत्ल किया गया था और किसने कत्ल किया था ?"
"लाश पंकज की थी उसे फरामुज जी ने कत्ल किया था..इस लिये कत्ल किया था कि पंकज हमारा साथी था...।”
"इसका अर्थ यह हुआ कि तीन टोलियां हैं-” विनोद ने कहा "फरामुज—तुम और हेमियर क्यों ?"
"हां"
"तुम्हारे साथियों में कार्टन डोंगे और पंकज थे— और तुम लोग उस देश के लिये काम कर रहे थे जिसके दूतावास का एक आफिसर रेमन्ड है—ठीक है ना ?"
"हा... "
“ फरामुज के साथियों के क्या क्या नाम हैं ?”
"यह हम नहीं जानते "हाँ इतना अवश्य जानते हैं कि उसके बहुत से साथी हैं ।"
"नोलम हाउस में पहले जो लाशें मिली थीं वह किसकी थीं ?"
"यह भी हम नहीं जानते । वह सारा ड्रामा फरामुज ही का स्टेज किया हुआ था। हो सकता है कि उनमें से कुछ सचमुच मरे हों और शेष लाशे उसने मुर्दाखाने से खरीदी हों।"
"और खुद उसकी मौत का ड्रामा ?" विनोद ने पूछा ।
"हम इतना जानते हैं कि उसने खुद गोलियां भी चलाई थीं और एक लाश भी इस प्रकार रखवा दी थी कि यह विश्वास हो जाये कि वह दुर्घटना का शिकार हो गया ।" “अब यह बताओ की लाशें किस प्रकार सूज जाया करती थीं ?"
"उस चिराग से जहरीली गैस निकलती थी - वह जिसके शरीर पर पड़ जाती थी उसका शरीर ऐसा हों जाता था जैसे उसे खोलते हुये पानी में उबाल डाला गया हो इसके अतिरिक्त कमरे में दाखिल होते हीं लगने वाले झटके या उस लम्बे हाथ द्वारा होने वाली मौत बिजली का कारनामा था।"
अन्तिम प्रश्न – वह कौन सी वस्तु थी जिसके लिये तुम लोग आपस में लड़ पड़े थे ?"
"सुनो कर्नल विनोद अब तक मैं तुम्हारे प्रश्नों के सही उत्तर इस लिये देता रहा कि अगर मैं न बताता तब भी तुम किसी न किसी प्रकार मालूम कर लेते—यह भी हो सकता है कि मालूम करने के बाद उसकी तस्दीक मुझपे की हो मगर तुम्हारे इस प्रश्न का उत्तर हम में से कोई नहीं दे सकता चाहे उसकी जान ही क्यों न चली जाये। वैसे तो हम सब एक दूसरे के शत्रु हैं मगर इस मामले में हम एकता बद्ध हैं।"
"मैं केवल तुम्हारे मुख से सुनना चाहता था वर्ना मुझे मालूम हो चुका है— विनोद ने मुस्कुराते हुये कहा “मैंने तारा झील से हेमियर को बरामद होते देखा था—और वह वस्तु भी मेरे हाथ लग चुकी है -।"
"तुम झूठ कहते हो।" एस० पी० गुर्राया।
"थोड़ी देर बाद अपनी आँखो से देख लेना -।"
"तुम्हारे लिये वह बेकार है कर्नल । हो सकता है कि उससे तुम्हें हानि पहुँच जाये इसलिये कि तनिक सी भी असावधानी के कारण वह फट...।"
एस० पी० अचानक रुक गया— कुछ क्षणों तक विनोद को फटीफटी आँखों से देखता रहा—फिर लहरा कर गिरा और चेतना खो बैठा। विनोद के अधरों पर मुस्कान फेल गई। उसने अन्धेरे में तीर फेंका था मगर वह निशाने पर बैठ गया था। एस० पो० के मुख से निकलने वाले शब्द "फट ने यह साबित कर दिया था कि वह जिस वस्तु को तलाश कर रहे हैं वह बम हैं और कदाचित तारा झील के अन्दर छिपा दिये गये हैं—प्रकट है कि वह बम ऐसे ही महत्व पूर्ण होंगे कि उनमें एक विदेशी शक्ति दिलचस्पी ले रही है—एस० पी० जैसे जिम्मेदार आफिसर ने गद्दारी का है और एस० पी० इसी शॉक के कारण बेहोश हो गया है कि अनजाने में उसके मुख से "फट" शब्द निकल गया था । उसने एस०पी० के दोनो पैर भी बांध दिये और फिरोजा को तलाश करने लगा मगर फिरोजा नहीं मिली। फिर वह उस कमरे में आया जहां उसने ट्रान्समीटर लगा रखे थे। टेप पर उसने वह सन्देश सुने जो उसके लिये भेजे गये थे ।
शिकारी के बारे में यह सूचना थी कि उसने अपने निवास स्थान से निकल कर तारा झील में गोता लगाया था और जब उभरा था तो उसके हाथों में जस्ते का एक वजनी और चौकोर डब्बा था । कुछ लोग झोन के आस पास मंडराते हुये देखे गये थे। हमीद के बारे में यह रिपोर्ट थी कि वह आलेक्चनू से निकला था और नूरा का पीछा करता हुआ रेमन्ड के मकान में दाखिल हो गया था । यह सारी सूचनायें साढ़े सात बजे तक की थीं और अब साढ़े आठ बज रहे थे ।
हमीद सात बजे तक आर्लेक्चनू में अकेला बैठा बोर होता रहा फिर उठने हो जा रहा था कि उसी समय हाल में रेमन्ड दाखिल हुआ इसलिये उसे एक जाना पड़ा था। रेमन्ड कुछ परेशान नजर आ रहा था । वह हमीद कुछ कहें की मेज के पास वाली मेज पर आकर बैठ गया था। कुछ ही देर बाद नूरा भी दाखिल हुई थी और तीर के समान आकर रेमन्ड की मेज पर बैठ गई थी। चूँकि हमीद मेकअप में था इस लिये नूरा उसे पहचान नहीं सकी थी। नूरा कह रही थी ।
"आज रात निर्णय हो जायेगा - अन्तिम संघर्ष होगा- "
"हुआ क्या ? और फिर तुम इस प्रकार घूम रही हो - पुलिस तुम्हारी, तलाश में होगी।"
"एस० पी० लापता हैं ! विनोद को तहखाने का भेद मालूम हो गया है। हमारे आदमी हेमियर का पता लगाने में सफल हो गये हैं और उस की तलाश में गये है। रह जाता है मेरा मामला तो हमीद भागा हुआ है और विनोद लापता है-फिर मुझे किसकी चिन्ता है । बच जाता है फरामुज तो आज उससे अन्तिम फैसला हो जायेगा ।"
"वह कैसे ?"
"फिरोजा..." नूरा ने मुस्कुरा कर कहा '
"अच्छा अब उठो । अब तुम्हारे यहाँ चलेंगे क्योंकि कार्टन और डोगे तुम्हारे ही यहां आयेंगे - " फिर दोनों उठ गये और हमीद भी उनके पीछे लग गया। उसने रेमन्ड के मुख से इतना और सुना ।
"मुझे यह सूचना मिली थी कि हमीद आर्लेक्चनू में देखा गया है--"
"तुम्हें भी यह सूचना मिली थी ?"
फिर क्या कहा गया- वह हमीद नहीं सुन सका। वह दोनों कार पर बैठ कर रवाना हुये और हमीद मोटर सायकिल से । वह दोनों तो रेमन्ड के मकान में सदर दरवाजे से दाखिल हुये थे मगर हमीद अपनी मोटर सायकिल एक जगह छिपा कर चार दीवारी द्वारा कम्पाउन्ड में दाखिल हुआ था और फिर पिछले भाग से इमारत में दाखिल होकर एक कमरे के निकट पहुँच गया था ।
" कमरे में खामोशी छाई हुई थी मगर हमीद यह महसूस कर रहा था कि कमरे में नूरा और रेमन्ड मौजूद हैं। वह आधा घन्टे तक सांस रोके खड़ा रहा। कमरे में किसी भी प्रकार की आवाज नहीं उभरी थी— फिर कई आदमी कमरे में दाखिल हुये जिनमें कार्टन और डोंगे के अतिरिक्त दो और ऐसे थे जिन्हें महत्व दिया जा सकता था। इसलिये कि उन दोनों की कमर से नाल लगी हुई थी। उनमें से एक की डाढ़ी भूरी ओर बाल सुन हरे थे और जो हमीद के लिये अपरिचित था मगर दूसरा परिचित था और वह था फरामुज जी।
"आखिर तुम दोनों साथ ही मिल गये" रेमन्ड ने अट्टहास लगाते हुये कहा "फरामुज को गोली मार दो।"
"ठहरो ! जल्दी न करो..." नूरा ने कहा फिर भूरी डाढ़ी वाले को सम्बोधित किया "क्यों मिस्टर हेमियर- बम देना चाहते हो या अपनी जान ?"
"मेरे पास केवल चार हैं । मैंने उन्हें इसलिये गुप्त रखा था कि कहीं तुम्हीं लोग न तबाह हो जाओ----बहर हाल वह चारों ले लो और मुझे छोड़ दो---- मगर यह भी सुन लो कि पांचवा बम फरामुज जी के पास है। बिना उसके यह चारों बेकार हैं और इन चारों के बिना पांचवा बेकार है ।"
"पांचवां बम कहाँ है ?" कार्टन ने फरामुज जी से पूछा।
"नीलम हाउस में..." फराज जी ने कहा "मैं इसका समर्थन करता हूँ कि आरम्भ में हेमियर के कारण मैंने पर्याप्त धन कमाया था। मुझे यह नहीं मालूम था कि हेमियर किस खतरनाक आविष्कार में लगा हुआ है। मैं तो यह समझता था कि यह पेड़ों में लगाने वाले कीड़ों को मारने के लिये कोई गैस तैयार कर रहा है। यह मेरे शिकारी मित्र की हैसियत से मेरे साथ रहता था और इसने अपने प्रयोग के लिये तारा झील के पास वाला इलाका चुन रखा था। एक दिन मुझसे इसने यह कहा था कि यह किसी मानव शरीर पर उसका परीक्षण करना चाहता है और नीलम हाउस ही में परीक्षण करना चाहता है। मैंने मुर्दाखाने से लावारिस लाशें खरीदीं और इसने परीक्षण आरम्भ कर दिया। परीक्षण काल ही में मुझे इसका ज्ञान हो गया कि जहरीली गैस वाले बम वास्तव में हेमियर के खतरनाक खेल हैं। और यह उन बमों को किसी युद्ध प्रिय देश के हाथों बेचना चाहता है। मैंने उनमें से एक बम गायब कर दिया और खुद छिप गया— तब तक नीलम हाउस वीरान हो चुका था और वही बम इस समय नीलम हाउस में है मगर तुम्हें नहीं मिल सकता चाहे मुझे मार डालो चाहे जिन्दा रखो।"