Dastak Dil Par book and story is written by Sanjay Nayak Shilp in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dastak Dil Par is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दस्तक दिल पर - उपन्यास
Sanjay Nayak Shilp
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
आज से एक कहानी श्रृंखला शुरू कर रहा हूँ, ये वो कहानी है जिसने मुझे लंबी कहानियों को लिखने की क्षमता प्रदान की थी और कहानीकार से उपन्यास कार बनने को प्रोत्साहित किया
"दस्तक दिल पर" भाग-1
पहली किश्त-
आज ख़ुद से ही ख़ुद का सवाल है कि क्या मुझे उससे रूहानी इश्क जैसा ही इश्क है या स्वार्थ है.... ???...कुछ तो कहना होगा दिल को सवालों का जवाब देना ही होगा। हमारी ये कहानी ही एक प्रोटोकॉल से शुरू हुई थी मैंने तो उसे कह दिया था कि हमारी बात मेरी उपलब्धता के आधार पर ही हो पाएगी। वो जब मन आये मुझसे बात नहीं कर सकती। उसे उस दिन बुरा लगा था बहुत, पर मुझे उससे जो भी रिश्ता जोड़ना था वो सच्चाई के धरातल पर ही जोड़ना था। मैं जानता था कि मेरे इस प्रोटोकॉल से हमारी बढ़ती नज़दीकियां दूरियों में बदल सकती थी, मगर मैं ऐसा नहीं चाहता था। ख़ैर उसे मेरा सच बोलना ही सबसे ज्यादा भाता था।
एक दिन उसने कहा मुझसे कि उसके किसी नज़दीकी ने कहा है कि आप से कोई इसलिए जुड़ जाता है कि आप आसानी से उपलब्ध हो। उसने यही सवाल मुझसे पूछ लिया था, “क्या आप मुझसे इसलिए जुड़े हो कि मैं आसानी से उपलब्ध हूँ??” उसके इतना पूछने पर जानता हूँ कि उसने ये नम आँखों से पूछा होगा, मगर शायद उसे नहीं पता चला या हो सकता है चल भी गया हो कि मेरी भी आंखे भीग गईं थी। बस मैंने उसे फिर सच ही बोला “सुनिये, आप से इसलिए नहीं जुड़ा कि आप आसानी से उपलब्ध हो। आसानी से तो बहुत लोग उपलब्ध हैं मुझे, पर आपसे मुझे कोई ऐसा रिश्ता लगता है जिसे आप और मेरे सिवा कोई नहीं जान सकता, ख़ैर मुझे नहीं पता क्या बात है।” मेरे इस सच ने जाने उसे क्या समझाया होगा, फिर भी वो बोली चलो अब बाद में बात करूँगी।
आज से एक कहानी श्रृंखला शुरू कर रहा हूँ, ये वो कहानी है जिसने मुझे लंबी कहानियों को लिखने की क्षमता प्रदान की थी और कहानीकार से उपन्यास कार बनने को प्रोत्साहित किया"दस्तक दिल पर" भाग-1पहली किश्त- आज ख़ुद ...और पढ़ेही ख़ुद का सवाल है कि क्या मुझे उससे रूहानी इश्क जैसा ही इश्क है या स्वार्थ है.... ???...कुछ तो कहना होगा दिल को सवालों का जवाब देना ही होगा। हमारी ये कहानी ही एक प्रोटोकॉल से शुरू हुई थी मैंने तो उसे कह दिया था कि हमारी बात मेरी उपलब्धता के आधार पर ही हो पाएगी। वो जब मन
"दस्तक दिल पर"किश्त- 2गुलाबी सर्दी का अहसास हो रहा था।दिल मे धुकधुकी लगी थी कि कहीं देर हो जाने की वजह से वो मना न कर दे। मैं भी ये सोच कर असमंजस में था कि उसके पड़ोसी क्या ...और पढ़ेपशोपेश की स्तिथि थी ,तभी मेरा मोबाइल बजा। वही थी...पूछा "कहाँ हो?" मुझे कुछ पता होता तो बताता! उसने कहा "अब मत आना जाओ लौट जाओ".....दिल धक्क से बैठ गया, जैसे किसी ने ऊंची बिल्डिंग से फेंक दिया हो। मैंने हौले से कहा ठीक है, मेरी मरी मरी आवाज सुन उसने ऑटो वाले को फ़ोन देने को कहा। शायद उस
दस्तक दिल पर किश्त-3 हम दोनों उठ खड़े हुए , वो जीने पर आगे आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे पीछे था , रात का कोई 1.30 का समय हो चला था , अभी अभी दिवाली गुजरी ...और पढ़ेसारे आस पास के घरों में बिजली की सुंदर लड़ियाँ लटक रही थी। बहुत सुंदर वातावरण था, उसके घर पर भी सुंदर लड़ियाँ जगमग कर रही थी, वो लड़ियाँ झूले के आस पास भी लगाई हुई थी, मैंने कहा "ये लाइट्स…..", वो मेरा मतलब समझ गई और उसने सारी बत्तियां बुझा दी, हम दोनों झूले के पास आ गए थे
दस्तक दिल पर- किश्त 4 मैं होटल के कमरे में आ गया था, सोने के लिए कम्बल में घुस गया था, रह रहकर पूरी रात आंखों के आगे घूम रही थी, मैंने आँखें जोर से बंद कर ली , ...और पढ़ेउसका हथेलियों से ढका हुआ चेहरा बार बार सामने आ रहा था।दिल बैठा जाता था, मैंने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी थी, मैं ये भी नहीं कह सकता था कि शराब के नशे में हुआ सब, क्योंकि जिस वक्त मैंने वो शर्मिंदगी भरी हरकत की थी, उस वक़्त तो नशा कब का काफूर हो चुका था अगर शराब के नशे
"दस्तक दिल पर" किश्त- 5 मैं बिस्तर छोड़ कर उठ खड़ा हुआ और जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया, मेरे साथी भी साथ थे। हमने एक ऑटो ले लिया था, ऑटो अपनी गति से ऑफिस की ...और पढ़ेचल पड़ा। मुझे थोड़ी सुस्ती महसूस हो रही थी पूरी रात सोया जो नहीं था, और परसों रात की भी नींद थी । मैं थोड़ा सा उनींदा था मगर सुस्त नहीं था, मैं चिर परिचित रास्ते से गुजर रहा था। इस रास्ते से मुझे बड़ा लगाव था क्योंकि रास्ते के एक मोड़ से मेरे ऑफिस को रास्ता जाता था, उसी