Bandhan Prem ke book and story is written by Dr Yogendra Kumar Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Bandhan Prem ke is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शिवनाथ रत्न पुरस्कार 2022 से सम्मानित इस लघु उपन्यास में है प्रेम की तरंगें...सच्चे प्रेम को किसी बंधन में नहीं बांधा जा सकता है और यह सांसारिक संबंधों से अलग उच्चस्तर का,अनुभूतियों से परिपूर्ण और ईश्वर के श्री चरणों ...और पढ़ेले जाने वाला होता है।जब वतन पर कोई संकट होता है तो एक सैनिक अपने वैयक्तिक प्रेम,घर,परिवार और संसार को छोड़कर तुरंत मातृभूमि की रक्षा के लिए चल पड़ता है।इस उपन्यास में एक तरफ वैयक्तिक प्रेम के गहरे एहसास हैं तो दूसरी तरफ है देश प्रेम की पराकाष्ठा....त्याग.....जय हिंद...
प्रेम है दुनिया का सबसे खूबसूरत नाजुक अहसास....क्या मेजर विक्रम अपनी प्रिया को अपने दिल की बात बता पाए? जानने के लिए पढ़िए यह दूसरा अध्याय...
बंधन प्रेम के: अध्याय 3 पिछली भाग में आपने पढ़ा कि मेजर विक्रम ने शांभवी के समक्ष अपने संदेशों के माध्यम से अपना हृदय उड़ेल कर रख दिया। शांभवी इस संदेश पर आगे क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करती है और ...और पढ़ेइन दोनों को देश के इस अशांत राज्य की घटनाओं में कहां तक पहुंचाते हैं, यह जानने के लिए पढ़िएगा, इस लघु उपन्यास का यह तीसरा अध्याय:- (4) शांभवी के पिता कर्नल राजवीर को सेना से रिटायर हुए लगभग 2 साल हो गए हैं। वे सैनिकों के कल्याण के लिए गठित की गई एक राष्ट्रीय स्तर की समिति में महत्वपूर्ण
· बंधन प्रेम के भाग 4 (मेजर विक्रम और शांभवी की प्रेम कहानी आगे बढ़ती है।वे धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले देश के इस खूबसूरत राज्य की राजधानी की यात्रा पर हैं।…..शांभवी के माता-पिता दिल्ली से लौट रहे ...और पढ़ेऔर वे दोनों एयरपोर्ट पर उन्हें रिसीव करने पहुंच रहे हैं….. आज के इस भाग में पढ़िएगा कि आगे क्या होता है…….) (6) मेजर विक्रम और मेजर विक्रम और शांभवी की कार ठीक समय पर शहर में प्रवेश कर गई। एयरपोर्ट शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर था।ये लोग शहर के बीच से होते हुए एयरपोर्ट की ओर
(एक लंबी यात्रा के यादगार पलों को जीने के बाद मेजर विक्रम और शांभवी वापस लौटे……क्या आज की रात मेजर विक्रम अपना प्रेम प्राप्त कर सकेंगे? क्या शांभवी उन्हें अपने मन की बात बता पाएगी जो कहीं न कहीं ...और पढ़ेअतीत की स्मृतियों से जुड़ी है….. यह सब जानने के लिए पढ़िए इस उपन्यास का आज का यह भाग……… (9) एयरपोर्ट से घर पहुंचते रात हो गई। शांभवी के मम्मी-पापा ने जिद करके विक्रम को घर में ही रोक लिया।विक्रम ने कहा- मैं आप लोगों की बात टालूँगा नहीं,लेकिन एक बार मम्मी-पापा को फोन करके बता देता हूं।अपने मम्मी और