Aakhir wah kaun tha book and story is written by Ratna Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aakhir wah kaun tha is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आख़िर वह कौन था - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। उसकी माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे। माँ के निधन के बाद एक दिन सुशीला ने जिस बिल्डर के लिए उसकी माँ काम कर रही थी उसे अपनी माँ की जगह काम पर रख लेने के लिए मनाया। बिल्डर ने उसकी दर्द भरी बातें सुनकर उसे काम पर रख लिया। शांता ताई सुशीला की पड़ोसन थी। एक बार शांता ताई कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी विमला की ससुराल गई थी। जब वह लगभग दस बारह दिन में वापस आईं तो उन्होंने महसूस किया कि सुशीला अब उदास रहने लगी है। उन्होंने सुशीला से उदासी का कारण पूछा तो सुशीला ने कहा ताई माँ की याद आती है। लेकिन कुछ महीनों में ही सुशीला के शरीर में आ रहे बदलाव से शांता ताई को समझ में आ गया कि उसकी उदासी का कारण क्या है। उन्होंने सुशीला से पूछा बिटिया कौन है वह, बता दे तो तेरा ब्याह उसके साथ करा दूंगी।
इस कहानी के पहले सीजन में आपने पढ़ा कि सुशीला एक सोलह वर्ष की गरीब मजदूर की बेटी थी। उसकी माँ एक बिल्डिंग पर काम करते समय, गिर कर स्वर्ग सिधार गई थी। पिता तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके ...और पढ़ेमाँ के निधन के बाद एक दिन सुशीला ने जिस बिल्डर के लिए उसकी माँ काम कर रही थी उसे अपनी माँ की जगह काम पर रख लेने के लिए मनाया। बिल्डर ने उसकी दर्द भरी बातें सुनकर उसे काम पर रख लिया। शांता ताई सुशीला की पड़ोसन थी। एक बार शांता ताई कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी विमला
पूजा के समाप्त होते ही प्रसाद बाँटने की बारी आई तब प्रसाद लेने के लिए वही बच्चा फिर दौड़कर वहाँ आया। इस बार करुणा का मन नहीं माना और उन्होंने उस बच्चे को पास बुलाकर उससे पूछा, “तुम्हारा नाम ...और पढ़ेहै?” “राजा…,” इतना ही कह कर वह बच्चा प्रसाद हाथों में लिए वहाँ से भाग गया और करुणा की नज़रों से ओझल हो गया। भूमि पूजन समाप्त हो गया। सभी लोग अपने-अपने घर चले गए। कुछ ही दिनों में वह आलीशान ऑफिस जिसकी रूप रेखा पहले ही तैयार हो चुकी थी, अपने अस्तित्व में आ गया। आदर्श के ऑफिस के
राजा के मुँह से यह बात सुनते ही श्यामा के मन में रोपित हुआ बीज अंकुरित हो गया। उसके मन के अंदर की शक़ की सुई अपने पति आदर्श की तरफ़ घूम गई। श्यामा ने इधर-उधर देखा कि किसी ...और पढ़ेध्यान तो नहीं है उसकी तरफ़। लेकिन सब अपने-अपने दोस्तों के साथ बात कर रहे थे। श्यामा ने पूछा, “कहाँ रहते हो?” “वह सामने वाली खोली में।” “क्या करते हो?” राजा ने थोड़ा हैरान होते हुए जवाब दिया, “जी कॉलेज जाता हूँ।” वह सोच रहा था आख़िर मैडम उसके बारे में इतना सब क्यों पूछ रही हैं? क्या जानना चाहती
करुणा की बातें सुनकर श्यामा ने कहा, “माँ परंतु मैं तो पढ़ी लिखी हूँ। अपने पैरों पर खड़ी हूँ। मैं क्या करूं? आदर्श ने केवल मुझे ही नहीं तीन लोगों को धोखा दिया है। उस गरीब मज़दूर की इज़्जत ...और पढ़ेमेरा स्वाभिमान छीना और उस बच्चे से पिता का नाम छीना। इसके अलावा मेरे परिवार की खुशियाँ भी छीनी। मुझे समझ नहीं आ रहा है माँ, मैं किस रास्ते पर जाऊँ। एक तरफ़ कुआं है तो दूसरी तरफ़ खाई।” “माँ मैं उसे इतना प्यार करती हूँ कि उसे छोड़कर मैं भी कभी ख़ुश नहीं रह पाऊंगी। मैं ऐसे दोराहे पर
श्यामा के मुँह से यह सुनकर सुशीला थोड़ा हिचकिचाई लेकिन फिर संभल कर बोली, “मैडम आप क्या पूछना चाहती हैं, मैं जानती हूँ? जाने दो ना मैडम, मेरा जीवन तो बिगड़ गया पर आपका सुधरा हुआ है उसे वैसे ...और पढ़ेरहने दो। क्यों बिगाड़ना चाहती हो?” “यह बताओ सुशीला कि तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ वह जबरदस्ती था या तुम्हारी मर्जी के साथ?” “मैडम मैं तो सोलह साल की अल्हड़ थी, माँ बाप मर चुके थे। माँ ने तो काम के दौरान ही दम तोड़ा था। मैं माँ के मरने के बाद मेरी माँ के बदले का काम मांगने