Carodo-Carodo Bijliya book and story is written by S Bhagyam Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Carodo-Carodo Bijliya is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - उपन्यास
S Bhagyam Sharma
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
इस तमिल के उपन्यास के मूल लेखक राजेश कुमार हैं । अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा ने किया है।
यह उपन्यास नारी प्रधान है। इस उपन्यास की नायिका वैगई है। जो हजारों मुश्किलों से नहीं डरती। उसमें सेवा भाव और समाज सेवा कूट-कूट कर भरा है। उसका जीवन एक अंधेरा आकाश है। उसमें करोड़ों करोड़ों बिजलियां। उस अल्पायु में उसने सोचा बिजली से ज्यादा एक मिट्टी के दिये का प्रकाश ही निरंतर हो यही बहुत है । पर उसकी सोच झूठी। क्यों----? विधि को भगवान को समझा कर रखना चाहिए ? नायिका के बारे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं। उसका समाज से टक्कर लेना वह भी अहिंसा के तरीके से बहुत मुश्किल का कार्य था। वह हर किसी तरह के चैलेंज को स्वीकार करती थी। यही उसकी खूबी थी। यह बहुत ही इंटरेस्टिंग उपन्यास है जरूर पढ़िए आपको अच्छा लगेगा।
मूल लेखक - राजेश कुमार अनुवाद - एस. भाग्यम शर्मा राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के ...और पढ़ेकी संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों हो या कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा | तमिलनाडु में इनकी कहानियों और उपन्यासों की बहुत ज्यादा मांग है | इसीलिए
अध्याय 2 वैगई अपने फोटो को कुछ क्षणों तक देखती रही फिर ईलम चेरियन से होठों पर चिपकाई हुए मुस्कान के साथ पूछा “आप जिसे प्रेम करते हो यह वही लड़की है ना ?” “हाँ.......” “कितने दिनों से इसे ...और पढ़ेकर रहे हो........?” “एक साल से...........” “वह लड़की तुमसे प्रेम करती है ?” “मालूम नहीं ! एक साल से उसके पीछे घूम रहा हूँ | आज तक उसके पास से कोई भी सिग्नल नहीं मिला है |” “ये लड़की आपसे प्रेम नहीं करती तो आप आत्महत्या करके मर जाओगे | ऐसा ही है ना ?” “हाँ” “अभी तक तीन बार
अध्याय 3 आधी सीढ़ियों में ऐसे ही खड़ी हो गई वैगई | बिरयानी और व्हिस्की की गंध हवा में जो आ रही थी उसको सूंघते हुए, एक क्षण के लिए सोचा | ‘जगह ठीक नहीं है वापस चली जाए ...और पढ़े‘वापस चली जाए’ सोच को कार्य में परिणित करने एक सीढ़ी नीचे उतरी तभी सीढ़ियों के ऊपरसे गंजे सिर वालेने आवाज दिया | “कौन है ?” वैगई ने ऊपर देखा | तहमद और कुर्ते में वह पचास साल का आदमी दिखा | बाएं हाथ की अंगुली में बची हुई सिगरेट धीमा धुआँ छोड़ रही थी | वैगई दुबारा एक सीढ़ी
अध्याय 4 वैगई की बात को सुन कर दूसरे तरफ की वाणी सुब्रमणियम स्तंभित रह गई | “नहीं वैगई...! किसी से भी हमें किसी तरह की समस्या नहीं चाहिए | उस दयानिधि ट्रस्ट के लोगों ने रुपयों के मामले ...और पढ़ेजैसा करने को कहा है, वैसा ही करो | बेकार टकराना ठीक नहीं है...........” वैगई हंसी | “टकराहट तो होगी ही........ परंतु वह अहिंसा की टकराहट होगा ? “मैं नहीं समझी !” “मैडम........... ये समस्या मैं हेंडल कर लूँगी | उस पाँच लाख रुपयों को किस-किस काम में उपयोग में लेना है, आप लिस्ट बना कर रखना, बस |” “वैगई
अध्याय 5 इंटरकॉम पर थोड़ी देर बात करके रिसीवर को वापस जगह पर रखने पर आदित्य का चेहरा पसीने से भीग गया | “मिस वैगई.........” “सर.............” “मैुझे और आपको तुरंत अकाउंट सेक्शन में जाना है....” “सर एनीथिंग रॉन्ग.....?” “आई. ...और पढ़ेके लोग आए है..........” वैगई के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आई| आई. टी. के लोग ही तो हैं ? आने दो......!” “क्या है वैगई........ वे हम लोगों के साथ बैठ कर चाय पीने नहीं आ रहे हैं | दे हेव कम फॉर रेड ” आदित्य के घबराने से वैगई की मुस्कान बड़ी हो गई | “साहब...........! क्या टैक्स