करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 8 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 8

अध्याय 8

डॉक्टर सर्वेक्ष्वरण को सांस लेने में कुछ पल लगे, थोड़ा घबरा कर हजारों तरह के आश्चर्य चिन्ह चेहरे पर लिए हुए वैगई को निहारते रहे |

“मेरा बेटा आदित्य तुमसे शादी करेगा | इसके बारे में तुम्हें पहले से ही पता था ?”

वैगई छोटी सी मुस्कान के साथ बोली “एक हद तक गेस किया था डॉक्टर |”

“कै.......... कैसे ?”

वैगई की मुस्कान बड़ी हुई | “एक लड़की और उसके मन को समझने के लिए कई वर्षों की जरूरत है | परंतु एक आदमी को समझने के लिए एक दिन बहुत है | ये विलय वेट्स वर्ड्स के कहा हुआ एक स्वर्ण वाक्य है | आपका बेटा के मुझे दूसरी बार देखते समय ही, उनकी आँखों में मुझे चाहने वाला एक रसाइन दिखाई दिया | बहुत जल्दी ही मेरे पास आकर ‘आई लव यू’ बोलेंगे सोचा | परंतु उससे भी आगे शादी के लिए आकर खड़े होंगे मैंने नहीं सोचा था | वे इससे आगे बढ़कर शादी पर आ रुकेंगे , मेरे इतने दृढ़ता पूर्वक बोलने का एक कारण है डॉक्टर | मैं इस शादी के विषय में क्या जवाब दूँगी उसे जानने के लिए, आपका बेटा आदित्य इसी कमरे में उस बड़ी अलमारी के पीछे छुपकर खड़े हैं वह इस अलमारी के दर्पण में अच्छी तरह ही दिख रहा है डॉक्टर.........”

“करेक्ट !” कहते हुए रुमाल से चेहरे को पोंछते हुए बाहर आए आदित्य कुर्सी पर टिकते हुए बोले |

“अप्पा.......! दिस इस वैगई.........”

“ठीक है........... तुम्हारा जवाब क्या है.......?”

“वो.................. डॉक्टर ?”

“मेरी बहू बनकर आने की बात पर राजी हो ? तुम्हारी मर्जी जानने के बाद ही, तुम्हारे घर जाकर तुम्हारे अप्पा-अम्मा से रीति रिवाज के अनुसार लड़की मागूंगा.........”

“सॉरी डॉक्टर....... मुझे शादी कि अभी कोई जल्दी नहीं है.... पहले मेरी दोनों बहनों कि शादी होनी है | उसके बाद ही मेरी शादी |”

“क्या बात है वैगई.......... घर कि सबसे बड़ी लड़की तुम हो तुम्हारी पहले शादी हो यही तो रिवाज है ?”

“सॉरी डॉक्टर.......! हमारे घर में ये रिवाज थोड़ा अलग है | मेरी एक बहन यमुना के टांग में थोड़ी दिक्कत है, दूसरी बहन तुंगभद्रा के गर्दन में एसिड के लगने से वह भाग काला पड़ गया है ये बात तो आपको पता है ना | उन दोनों दिव्यांगों का शादी के बाजार में क्या मूल्य होगा यह पता नहीं | उस मूल्य को देकर, उनकी शादी करे बिना मेरी शादी नहीं होगी |”

सर्वेक्ष्वरण ने वैगई के हाथ को दबाया |

“ये देखो वैगई..........! सिस्टर दोनों की शादी की फिकर तुम्हें करने कि जरूरत नहीं | पहले तुम्हारी शादी होने दो | फिर उनके लिए जैसे दामाद चाहिए ढूंढ कर, शादी कर देंगे |”

“सॉरी डॉक्टर ! इस वैगई के गले में (ताली) मंगलसूत्र पहन ले तो उसके अप्पा और अम्मा और दोनों बहनों के साथ अन्याय हो जाएगा.........! मैं फिर अपने कर्तव्य को लेकर कुछ भी नहीं कर सकती | पहले यमुना और तुंगभद्रा की शादी होनी चाहिए | उसके बाद मेरी शादी के बारे में सोचूँगी | मैं ऐसे एक फैसले के साथ रह रही हूँ, ये बात हमारे घर पर भी किसी को पता नहीं | मेरे अप्पा शादी के लिए ब्रोकरों को घर पर बुलवा कर, मेरी शादी की बात करते समय ‘मुझे एक अच्छा पढ़ा लिखा दामाद ही चाहिए....... अमीर दामाद ही चाहिए, ऐसा मैंने बोल कर उन ब्रोकरों को डरा कर हमारे घर पर ही न आए ऐसा कर रखा है |”

सर्वेक्ष्वरण मुस्कुराए | “तुमने किस वक्त उन बातों को बोला, वह अब तुम्हारी हाथ की पहुँच की दूरी पर है वैगई.......... ! मेरा बेटा तुम्हें चाहता है इस एक कारण से तुम्हें ढूंढ कर इतना बड़ा भाग्य तुम्हारे पास आया है...........”

“सॉरी इसे मैं अपना सौभाग्य नहीं सोच रही हूँ | डॉक्टर........ मेरे कर्तव्य के बीच में आए एक स्पीड ब्रेकर ही सोच रही हूँ |”

आदित्य का चेहरा पत्थर सा हो गया और सर्वेक्ष्वरण का चेहरा सफ़ेद पड़ गया |

“क्या बोला........ ‘स्पीड ब्रेकर’ ? तुम्हें ढूंढ कर तुम्हारे पास आया सौभाग्य किस तरह का है तुम्हें पता नहीं ! मैं जो अक्षय पात्र तुम्हें दे रहा हूँ उसे मना कर, मैं भीख ही मांगूँगी तुम्हारा कहना मुझे आश्चर्य में डाल रहा है |”

वैगई कोई बात बोलने की सोचती इससे पहले अभी तक चुप रहा आदित्य बीच में बोला |

“एक मिनिट मिस वैगई........! अप्पा ने कुछ ज्यादा हर्ट करने लायक बोल दिया सोचता हूँ , सौभाग्य अक्षय-पात्र ऐसे शब्द उनके उत्सुकता के कारण बाहर आए | आप उसकी परवाह न करें | आप मेरी लाइफ पार्टनर बननी चाहिए ,ये मेरी इच्छा थी | उसमें आपको रुचि नहीं है तो ना सही | मेरे तरफ से तो ये सिर्फ ‘एप्लिकेशन’ ही था | इसे स्वीकार करना या अस्वीकार करना आपकी इच्छा है | यदि आपको सोचने के लिए समय चाहिए तो दो दिन समय ले लीजिएगा, कोई जल्दी नहीं है.......”

“मैंने ऑलरेडी सोच लिया सर |”

“आपका फैसला ?”

“मुझे अक्षय-पात्र नहीं चाहिए सर |” वैगई कह कर फिर से उठकर कमरे के दरवाजे को खोल कर बाहर आई |”

सर्वेक्ष्वरण ने पत्थर जैसे ठोस बने चेहरे से बेटे की ओर देखा |

“उसको कितना घमंड है देखा...........?”

“दैट इज वैगई...........”

“आगे क्या करें बोलो............”

“आपकी इच्छा की लड़की को देख कर खत्म करो किस्सा |”

“तुम एक ब्रेन स्केन करके देख लो अच्छा रहेगा वैगई |”

“क्यों...........?”

“तुम्हें सुचमुच में अक्ल है क्या....... या उस जगह मिट्टी है या वहाँ कुछ और है पता चल जाएगा |”

“ये गुस्सा किसलिए अर्चना |”

ये सिर्फ गुस्सा नहीं है | दुनिया का सबसे बड़ा गुस्सा | तुम्हारे गाल पर चार-पाँच खींच के लगाएंमन करता है | मिसज आदित्य में बदल कर, केलिफोर्निया उड़कर जाने के मौके को छोडकर ऐसे एक रुपये की मूँगफली के पेकेट से झूम कर मेरे सामने आराम से बैठी हो तुम.......... तुम्हें क्या कहें, बोलो |”

समुद्र के तट पर ज्यादा भीड़ नहीं होने से अर्चना ज़ोर से तेज आवाज में ही वैगई को डांट रही थी | वैगई एक मूँगफली को ध्यान से फोड़ कर, उसे ध्यान से मुंह में डालते हुए गुस्से में लाल पीले हुए अर्चना को देख मुस्कुराई |

मैंने जो किया वह गलत है क्या ?

“छीं छीं गलत नहीं ,महान बेवकूफी उससे ज्यादा बोलो तो, तुम्हारा दिमाग खराब है |

“मत बड़बड़ा अर्चना |”

“सहन नहीं हो रहा है ना ! तू ऐसा मुंह पर बोल कर आई, उससे तो अच्छा था यों कहती मैं सोच कर बोलुंगी कह कर आ सकती थी ना ?”

“उसमें सोचने को क्या है ?”

“वैगई........ तुमने अच्छे अवसर को मिस कर दिया | तुम आदित्य से शादी कर लेती तो तुम्हारी बहनों का ग्राफिक्स चार्ट एवरेस्ट को छू लेता | उसके बाद तुम्हारी दोनों बहनों का एक अच्छी फैमिली से रिश्ते भी आते |”

“मैंने भी उस पॉइंट पर विचार किया | बट...........”

“क्या बट........... बोलो..........”

“मेरे आदित्य के लिए मना करने का कारण केवल बहनें नहीं है |”

“फिर ?”

“मेरा प्रेम है.........”

अर्चना आँखें फाड़ कर देखने लगी |

“क्या बोली..........प्रेम.........!”

“हाँ........”

अर्चना ने होंठो को जोड़ कर ज़ोर से सिटी बजाई | फिर सिर को एक ओर झुका लिया |

“वह भाग्यवान कौन है........?”

“ईलमचेरियन...........”

“वह मैट्टीओचै पत्रिका का प्राइम रिपोर्टर ही तो........”

“हाँ............”

“मैंने इसकी उम्मीद नहीं की थी वैगई ! कोई भी पुरुष तेरे मन को चंचल नहीं कर सकता मैंने सोचा |”

“यही तो आश्चर्य है.......... शरीर के अंदर हार्मोन्स का तमाशा है उसे मैं कंट्रोल नहीं कर पाई | आई फेल अर्चना |”

“सॉरी वैगई ! तुम्हारे मन के अंदर जो प्रेम था उसे न समझ कर मैंने तुम्हें चाहे जैसे डांट दिया | पर ये आदित्य क्या……… बिलगेट्स ही तुम्हें चाहे तो ठीक ‘हाउस फुल का बोर्ड’ दिखाना पड़ेगा |”

वैगई ने दीर्घ श्वास छोडा | “पिछले दस दिनों से चीफ डॉक्टर सर्वेक्ष्वरण मुझसे ठीक तरह से बात नहीं कर रहेहैं | बट आदित्य ऐसा नहीं है | उनसे शादी करने से मना करने को उन्होंने ध्यान नहीं दिया और साधारण ढंग से बात कर रहेहैं | मैंने यदि ध्यान नहीं भी दिया हो तो बुलाकर गुड मॉर्निंग बोलते हैं| ऐसी परिस्थिति में मैं इस अस्पताल में काम करने में अपने को गिल्टी फ़ील करती हूँ | दूसरा कोई काम ढूंढकर इसे छोड़ दूं, सोच रही हूँ | तुम क्या कर रही हो अर्चना ?”

अर्चना ने वैगई के कंधे को थपथपाया | “नो नो इस काम को छोड़ कर दूसरा करने की योजना भी मत करो | चीफ डॉक्टर को दुख हो सकता है फिर भी वे तुमसे नाराज नहीं होंगे | समय के साथ साथ वह नाराजगी भी चली जाएगी | मुझसे पूछो तो, तुम्हारे प्रेम प्रसंग को पहले ही डॉक्टर से कह सकती थीं |”

अर्चना के बोलते समय ही वैगई के वेनिटी बैग से सेलफोन की आवाज आ गई |

वैगई मुस्कुराई |

“ये ईलम चेरियन का ही है |”

“कैसे बोल रही हो..........?”

ठीक साढ़े छ: बजे फोन करने को बोला | अभी समय साढ़े छ:” वैगई ने बोलते हुए वेनिटी बैग से सेलफोन निकाल कर कान में लगाया |

“हैलो........”

दूसरी तरफ से एक पुरुष की आवाज घबराई हुई सी आई |

“वैगई हो क्या ?”

“हाँ”

“मैं ईलम चेरियन का दोस्त नवनीत कृष्णन बोल रहा हूँ | आप तुरंत रवाना होकर वह वडपरणी में जो वाणी अस्पताल है वहाँ आ सकते हो क्या ?”

“क्या बात है ?”

“ईलमचेरियन का एक छोटा सा एक्सीडेंट |”

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