Teen Ghodon Ka Rath book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Teen Ghodon Ka Rath is also popular in प्रेरक कथा in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तीन घोड़ों का रथ - उपन्यास
Prabodh Kumar Govil
द्वारा
हिंदी प्रेरक कथा
हिंदी सिनेमा का आगाज़ लगभग एक सदी पुराना है। एक सौ दस बरस के सेल्युलॉयड के इस सफ़र में देश के कौने कौने से अभिनय करके नाम कमाने के लिए हज़ारों लोग आए और चले भी गए। कुछ सफ़ल होकर सितारे कहलाए तो कुछ संघर्ष से हार मान कर लौट गए। लेकिन इस सुहाने सफ़र में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न तो कहीं गए, और न ही आसानी से कभी जाएंगे।
क्योंकि ये ऐसे एक्टर या अभिनेता थे जिनका जादू अपने समय में अवाम के सिर चढ़ कर बोला। ये हमेशा के लिए अमर हो गए। इनकी कला अमर हो गई।
ये एक्टर्स अपने समय के नंबर एक कहलाए और अवाम ने इनकी छवि को देवों की तरह पूजा। इन्हें अपना आदर्श बनाया। इनका असर समाज पर खूब दिखाई दिया। लोगों ने इनके नामों को अपनाया, इनके स्टाइल्स को अपनाया।
ऐसा भी हुआ है कि किसी अभिनेता ने शिखर पर अपने जलवों के दस्तखत कर देने के बाद भी अभिनय से विदाई नहीं ली। वह बाद में चरित्र अभिनेता के तौर पर फ़िल्मों से जुड़ा रहा या फिर फ़िल्म निर्माण के किसी अन्य क्षेत्र में अपना हाथ आजमाने चला आया।
ऐसे में किसी और नए अभिनेता ने आकर अपने अभिनय का झंडा गाढ़ दिया और वो बन गया "नंबर वन"!
इस श्रृंखला में हम फ़िल्म जगत के ऐसे ही नायकों की बात करेंगे जो किसी न किसी समय फ़िल्म जगत के "नंबर एक" हीरो बने। नंबर एक अर्थात शिखर का कलाकार जो सर्वाधिक लोकप्रिय हो।
हिंदी सिनेमा का आगाज़ लगभग एक सदी पुराना है। एक सौ दस बरस के सेल्युलॉयड के इस सफ़र में देश के कौने कौने से अभिनय करके नाम कमाने के लिए हज़ारों लोग आए और चले भी गए। कुछ सफ़ल ...और पढ़ेसितारे कहलाए तो कुछ संघर्ष से हार मान कर लौट गए। लेकिन इस सुहाने सफ़र में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न तो कहीं गए, और न ही आसानी से कभी जाएंगे। क्योंकि ये ऐसे एक्टर या अभिनेता थे जिनका जादू अपने समय में अवाम के सिर चढ़ कर बोला। ये हमेशा के लिए अमर हो गए। इनकी कला
देश आज़ाद होने के बाद पहले दशक में अशोक कुमार, भारत भूषण, महिपाल, प्रदीप कुमार, बलराज साहनी, किशोर कुमार, राजकुमार जैसे नायक बेहद सफल और लोकप्रिय फिल्मों के सहारे दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब हो गए ...और पढ़ेलेकिन जब बात शिखर की हो तो तीन नाम सबसे आगे दिखाई दे रहे थे - राजकपूर, दिलीप कुमार और देवानंद ! राजकपूर को लोकप्रिय, उद्देश्य परक तथा सफल फ़िल्मों के सहारे ये गौरव मिला कि उन्हें अपने समय की सर्वोच्च फ़िल्म शख्सियत कहा जा सके। उन्होंने अभिनय के साथ साथ फ़िल्म निर्माण में भी सर्वोच्च प्रतिमान स्थापित किए। श्री
साठ का दशक शुरू होते- होते फ़िल्मों में विश्वजीत, जॉय मुखर्जी, शम्मी कपूर, शशि कपूर आदि भी अपनी जगह बनाते हुए दिखे किन्तु टॉप पर अपनी मंज़िल ढूंढने का दमखम जिन नायकों में दिखाई दिया वो मुख्य रूप से ...और पढ़ेकुमार, सुनील दत्त और मनोज कुमार थे। ये गीत- संगीत भरी मादक मनोरंजक फ़िल्मों का ज़माना था। इसी मधुरता के चलते इसे फ़िल्मों का स्वर्ण युग भी कहा जा रहा था। इस युग की अधिकांश फ़िल्मों में साधारण घरेलू जीवन, समाज की रूढ़ियां, हास परिहास, गीत नृत्य, भावुकता भरे प्रेम व बिछोह आदि का बोलबाला ही प्रमुख रूप से होता
सातवें दशक के उत्तरार्ध में नवीन निश्चल, संजय खान, जितेंद्र, शशिकपूर आदि बहुत लोकप्रिय और सफल हो रहे थे। कई नए नायकों की पहली ही फिल्में ही धमाल मचाने वाली सिद्ध हुईं। किन्तु इस दशक में जिन नायकों की ...और पढ़ेआसमान पर पहुंच रही थी उनमें धर्मेंद्र, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने अभिनय और सफलता के क़िले पर अपना परचम लहराया। धर्मेंद्र का आगमन बहुत पहले से हो गया था। इस दशक में वो मीना कुमारी के साथ फूल और पत्थर, शर्मिला टैगोर के साथ देवर और सायराबानो के साथ आई मिलन की बेला जैसी लोकप्रिय फिल्में दे चुके
अमिताभ बच्चन के जलाल के बाद कुछ सालों के लिए तो फ़िल्म उद्योग में "नंबर वन" की बात ही धूमिल हो गई क्योंकि न तो अमिताभ कहीं गए और न उनकी लोकप्रियता! लेकिन फिर भी उम्र की नदी नया ...और पढ़ेलाती है तो उसके किनारों पर नई हरियाली भी आती है। फिरोज़ खान, अनिल धवन, अमोल पालेकर, राज बब्बर, विनोद खन्ना , शत्रुघ्न सिन्हा, विजय अरोड़ा, सचिन, गोविंदा आदि ने बॉलीवुड में कदम जमाए। संजीव कुमार, ऋषि कपूर और मिथुन चक्रवर्ती के रूप में भी फ़िल्म जगत को बेहतरीन और सफल नायक मिले। हर तरह की भूमिका निभाने वाले संजीव