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किलकारी - उपन्यास
Ratna Pandey
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
अदिति और विजय के विवाह को नौ वर्ष पूरे हो चुके थे लेकिन अब तक भी घर में बच्चों की किलकारियाँ नहीं गूँजी थीं। विजय के माता-पिता तो बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि वे कब दादा-दादी बनेंगे। अदिति और विजय ने क्या-क्या नहीं किया। शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया। मंदिरों में जाकर माथा टेका लेकिन भगवान उनकी पुकार सुन ही नहीं रहा था। इसी तरह एक वर्ष और गुजर गया। धीरे-धीरे निराशा उनके जीवन में गृह प्रवेश करने लगी। अड़ोस-पड़ोस के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर अदिति का मन भी ललचा जाता। कोई उसे भी माँ
अदिति और विजय के विवाह को नौ वर्ष पूरे हो चुके थे लेकिन अब तक भी घर में बच्चों की किलकारियाँ नहीं गूँजी थीं। विजय के माता-पिता तो बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे कि वे कब दादा-दादी बनेंगे। ...और पढ़ेऔर विजय ने क्या-क्या नहीं किया। शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को दिखाया। मंदिरों में जाकर माथा टेका लेकिन भगवान उनकी पुकार सुन ही नहीं रहा था। इसी तरह एक वर्ष और गुजर गया। धीरे-धीरे निराशा उनके जीवन में गृह प्रवेश करने लगी। अड़ोस-पड़ोस के छोटे-छोटे बच्चों को देखकर अदिति का मन भी ललचा जाता। कोई उसे भी माँ
अभी तक आपने पढ़ा अदिति और विजय को विवाह के नौ वर्ष पूरे होने तक भी संतान प्राप्ति नहीं होने के कारण अदिति उदास रहने लगी थी। उसकी उदासी को देखते हुए विजय ने अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने ...और पढ़ेमन बना लिया। इस संबंध में जब विजय ने अपने माता पिता से बात की तो उन्होंने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी सहमति दे दी। अपने माता-पिता की सहमति मिलते ही विजय ने कहा, "तो ठीक है मैं कल ही अदिति से भी बात कर लेता हूँ और . . . " विमला ने बीच में ही टोकते
अभी तक आपने पढ़ा अदिति की अनुमति लेकर अनाथाश्रम से बच्चा गोद लेने का विजय के परिवार ने सामूहिक निर्णय ले लिया और चर्चा इस बात पर शुरू हो गई कि बेटा लें या बेटी। अंततः इसी निर्णय पर ...और पढ़ेकी मुहर लग गई कि बेटा लेकर आएँगे। दूसरे दिन सुबह नहा धोकर तैयार होकर अदिति और विजय अनाथाश्रम पहुँच गए। वहाँ का पूरा मुआयना करने के बाद वह बहुत से बच्चों से मिले जो थोड़े बड़े हो चुके थे। अदिति ने विजय से कहा, "विजय मुझे ऐसा बच्चा चाहिए जिसे मैं अपनी गोदी में लिटा सकूँ। बोतल से उसे
अभी तक आपने पढ़ा कि अदिति ने अनाथाश्रम में जैसे ही चार-पाँच दिन के छोटे से बच्चे को देखा उसने विजय से कहा मुझे यही बच्चा चाहिए। अनाथाश्रम ने कुछ दिनों के इंतज़ार के बाद उन्हें बच्चा सौंप दिया। ...और पढ़ेदोनों उस बच्चे को लेकर ख़ुशी-ख़ुशी अपने घर आ गए। इस समय अदिति मातृत्व प्रेम से सराबोर हो रही थी। वह घर पहुँचे तो विमला ने आरती की थाली लेकर उस बच्चे और अदिति का स्वागत किया। आरती उतारकर वह उन्हें अंदर लेकर आई। सब बच्चे को अपनी- अपनी गोद में ले रहे थे। घर पर उसकी ज़रूरत का सारा
अभी तक आपने पढ़ा अनाथाश्रम से पारस को लाने के एक वर्ष के अंदर ही अदिति प्रेगनेंट हो गई। घर में सभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। जिसकी उम्मीद वे छोड़ चुके थे वह तोहफ़ा पारस के नन्हे ...और पढ़ेघर में पड़ते ही उन्हें मिल गया। अब तो अदिति की देखरेख में पूरे समय विमला लगी ही रहती। उसके खाने-पीने से लेकर दवा तक हर चीज का ख़्याल वही रखती, बिल्कुल अपनी बेटी की तरह। अदिति पूरे नौ माह तक स्वस्थ रही। किसी तरह की कोई परेशानी के साथ टकराव नहीं हुआ और यह नौ माह का समय भी