Meri pagli meri humsafar book and story is written by Apoorva Singh in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Meri pagli meri humsafar is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - उपन्यास
Apoorva Singh
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों न मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल से घर जो आ रहे हैं।सभी इनके स्वागत सत्कार के बारे में चर्चा कर रहे हैं।शोभा शीला कमला राधिका प्रेम चित्रा रवीश स्नेहा सुमित परम किरण सभी के चेहरो पर मुस्कान के साथ एक ही प्रश्न है बच्चे इतने दिनों बाद घर आ रहे हैं क्या किया जाये ऐसा कि वो बेहद खुशी अनुभव करे।
मिश्रा परिवार के सभी सदस्य हॉल में बैठे हुए हैं।सभी के चेहरो पर मुस्कुराहट सज रही है।सजे भी क्यों न मिश्रा परिवार के सभी प्रिय साहबजादे और राजकुमारियां गर्मी की छुट्टियों में हॉस्टल से घर जो आ रहे हैं।सभी ...और पढ़ेस्वागत सत्कार के बारे में चर्चा कर रहे हैं।शोभा शीला कमला राधिका प्रेम चित्रा रवीश स्नेहा सुमित परम किरण सभी के चेहरो पर मुस्कान के साथ एक ही प्रश्न है बच्चे इतने दिनों बाद घर आ रहे हैं क्या किया जाये ऐसा कि वो बेहद खुशी अनुभव करे। राधिका प्रेम बैचेनी से एक दूजे की ओर देखते है और आंखों
प्रीत ने डायरी वाली पॉलीथिन उठाई और उसे खोल कर उसमे रखी सभी चीजे निकाली।एक एक चीज उठाकर वो देखने लगा।एक घड़ी जो अच्छी कम्पनी की प्रतीत हो रही थी। 'आज भी इसकी चमक कतई कम नही है' प्रीत ...और पढ़ेखुद से कहा और उसे अपनी सीधे हाथ की कलाई में पहन लिया।उसकी नजर चांदी की हल्के घुंघरू वाली एक पतली सी पायल पर पड़ी।'मम्मा की पायल' कहते हुए प्रीत ने नम आंखों से उसे स्पर्श किया और उसे अपनी कलाई में लपेट लिया।'इनके स्पर्श से तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे मम्मा पापा मेरे पास ही हैं।कितना
मैं उसे देख थोड़ा चौक गया!मैंने एक बार उसे आवाज दी 'सुनो'!लेकिन उसने सुना नही,शायद इसीलिए कि वो बहुत मन से मंच पर चलने वाली प्रस्तुति को सुन रही थी।उसके चेहरे पर फैली मुस्कान मुझे बता रही थी कि ...और पढ़ेउस शाम को कितने ध्यान से एन्जॉय कर रही है।मैंने उसे फिर आवाज दी 'सुनो'।इस बार उसने सवालिया निगाहों से मेरी ओर देखा तो मैंने अपना हाथ ऊपर उसके सामने कर दिया और बोला 'सुनो,आपका दुपट्टा' !न जाने क्यों मैं उसके लिए शब्दो का इस्तमाल कर गया जो मैं कम ही करता था।उसे देख वो झेंप गयी और सॉरी कहते
वो सामने कैंटीन एरिया में दो महिलाओं के साथ बैठी हुई उनसे कुछ बातचीत कर रही थी।शायद उनमे से एक थकी हुई थी।क्योंकि वो बार बार अपने पैरो को दबाती हुई दिखी।जिसे देख अर्पिता ने उसके पैरो को थामा ...और पढ़ेउस महिला ने उसके हाथ रोक लिए।शायद वो नही चाहती थी अर्पिता उनके पैरो का स्पर्श करें।वो भी जिद्दी कम नही उसने उस महिला के चेहरे की ओर देखा,उसके होंठ हिले शायद उसने कुछ कहा और कुछ देर बाद उसने पैरो का स्पर्श कर कुछ लगाना शुरू कर दिया। मैं समझ गया उसे "किसी न किसी तरह अपनी बात मनवाना
अर्पिता वहां श्रुति के साथ खड़ी थी।उसके चेहरे पर गुस्सा था तो वही जुबां से निकलते तीखे शब्द!उसे इतने गुस्से में देख मैं खुद ही चौंक गया।मैंने सोचा नही था हमेशा स्वीट सी दिखने वाली वो लड़की किसी को ...और पढ़ेतरह हड़का सकती थी।उसे देख मेरा गुस्सा तो थोड़ा कम हो गया और ख्याल आया आ गया हूँ इन्हें छोडूंगा तो नही लेकिन उससे पहले अर्पिता से पूरी बात को जान लिया जाये सो मैं वही एक ओर रुक उसकी बाते सुनने लगा। वो तल्खी से बोली 'तो मिस्टर एक्स वाइ जेड.. या कहे घटिया लोगो का लीडर।सबसे पहले तो