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शुभि - उपन्यास
Asha Saraswat
द्वारा
हिंदी बाल कथाएँ
एक चिड़िया आती है,चिव-चिव गीत सुनाती है, दो दिल्ली की बिल्ली है,देखो जाती दिल्ली है, तीन चूहे राजा है देखो बजाते बाजा है,चार घर में कार है,हम जाने को लाचार हैं।..... शुभि अपने कमरे में कविता बोल रही थी ,पहले वह धीरे-धीरे बोल रही थी फिर अचानक बोलते हुए रोने लगी ।दादी ऑगन में बैठकर विष्णु पुराण पढ़ रही थीं,उनका ध्यान शुभि की आवाज़ पर गया तो उन्हें चिंता हुई कि वह क्यों रो रही है ।दादी शुभि के कमरे में गई तो देखा शुभि खिलौनों के पास बैठे हुए रो रही है ।
एक चिड़िया आती है,चिव-चिव गीत सुनाती है, दो दिल्ली की बिल्ली है,देखो जाती दिल्ली है, तीन चूहे राजा है देखो बजाते बाजा है,चार घर में कार है,हम जाने को लाचार हैं।..... ...और पढ़े शुभि अपने कमरे में कविता बोल रही थी ,पहले वह धीरे-धीरे बोल रही थी फिर अचानक बोलते हुए रोने लगी ।दादी ऑगन में बैठकर विष्णु पुराण पढ़ रही थीं,उनका ध्यान शुभि की आवाज़ पर गया तो उन्हें चिंता हुई कि वह क्यों रो रही है ।दादी शुभि के कमरे में गई तो देखा शुभि खिलौनों के पास बैठे हुए रो रही है ।
बाल कहानी —शुभि (2) शुभि को दादी के साथ बहुत अच्छा लग रहा था ।एक दिन उसने देखा कि दादी कमरे में नहीं है तो वह बाहर निकल ...और पढ़ेदेखने लगीं । बाहर उसने देखा कि दादी पूजा करके तुलसी के पौधे में लोटे से पानी लगा रहीं हैं ।उसके बाद उन्होंने एक लोटा नल से पानी लेकर सूर्य के सामने मुख करके ऊँचाई से सामने की ओर देखते हुए चढ़ा दिया ।वहॉं खड़े होकर परिक्रमा की हाथ जोड़कर । शुभि यह सब
शुभि (3) शुभि दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर मॉं के पास गई ।मॉं ने शुभि को एक गिलास दूध के साथ सुबह का नाश्ता दिया । ...और पढ़े नाश्ता करके वह दादी के कमरे की ओर जा रही थी तो मॉं ने बताया कि माँजी तो पीछे वाले गार्डन में है ।शुभि जल्दी से गार्डन में पहुँच गई ।वहाँ देखा कि दादी जी ने जो कुछ दिन पहले बीज बोये थे वह नन्हे पौधे बन गये थे। दादी जी उन पौधों को वहाँ से निकाल कर
बाल कहानी - शुभि (4) बहुत दिनों तक घर में काम करने वाली बाई नहीं आई तो घर के काम सब को बॉट दिये गये ।पूरे दिन के घरेलू ...और पढ़ेसब लोग मिल-जुलकर पूरा कर लेते । शुभि के घर के पास ही एक बस्ती थी,जहॉं अधिकतर दैनिक मज़दूर रहा करते थे ।वहीं पर काम बाली बाई भी रहती थी । एक दिन दादी के साथ वह उनकी बस्ती में गई,दादी ने वहाँ जाकर जानकारी की कि कोई परिवार ऐसा तो नहीं जहॉं खाने पीने
बाल कहानी (5) प्रत्येक दिन दादी जी सुबह नहाने के बाद मंदिर जाती तो शुभि का मन भी उनके साथ जाने का करता ।लेकिन सुबह ऑंखें नहीं खुलने से वह ...और पढ़ेजा पाती ।शुभि ने दादी जी से पूछा—दादी जी आप इतने सुबह कैसे उठतीं है कौन उठाता है आपको? दादी जी ने कहा—मैं जब रात को सोने के लिए बिस्तर पर जाती हूँ तो प्रार्थना करके ईश्वर को आज का दिन अच्छा बीता उसका धन्यवाद देती हूँ और आनेवाले कल के लिए प्रार्थना करके सुबह जल्दी उठने का