शुभि (10) अंतिम भाग Asha Saraswat द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शुभि (10) अंतिम भाग

शुभि अंतिम भाग

प्रार्थना में प्रधानाध्यापक जी ने बताया कि आज से तीन दिन का स्काउट शिविर लगेगा, जिन बच्चों के नाम बोले जा रहे हैं वह बच्चे मैदान में ही क़तार में खड़े रहेंगे ।बाक़ी बच्चों को कक्षाओं में जाने के लिए कहा गया ।

शुभि का नाम स्काउट शिविर के बच्चों के साथ बोला गया वह अन्य बच्चों के साथ पंक्ति बनाकर खड़ी हो गई ।
ट्रेनर ने सभी को पंक्तियों में खड़ा किया और दाँये-बॉंये दोनों तरफ़ एक हाथ की दूरी रखने का आदेश दिया ।

सामने की ओर अपने आगे एक हाथ की दूरी रखने को कहा ।सभी पंक्तियों में खड़े होकर स्काउट प्रार्थना के लिए तैयार हो गये ।

ट्रेनर ने स्काउट झंडा लगा कर सभी से प्रार्थना दोहराने के लिए कहा ।सभी से कहा कि कल प्रार्थना सभी बच्चे याद करके सुनायेंगे ।

पंक्तियों में खड़े बच्चों को स्काउट स्कार्फ़ दिया गया और उसमें गॉंठ लगाना सिखाया । जब सबके स्कार्फ़ तैयार हो गये तो सबने अपने सामने के बच्चों को पहना कर अभ्यास किया ।

ट्रेनर महोदय को कक्षा प्रतिनिधि ने स्काउट स्कार्फ़ पहनाकर बॉंया हाथ मिलाया और सेल्यूट किया , अन्य बच्चों ने भी हाथ मिलाया और सेल्यूट किया ।

सभी को ट्रेनर महोदय ने प्रार्थना लिखवाई और गाँठों के प्रकार समझाकर लिखवाये।अंत में वंदेमातरम् के बाद अवकाश हो गया ।

अगले दिन सभी ने अपनी-अपनी पंक्तियों में अनुशासन में खड़े होकर प्रार्थना की ।ट्रेनर ने सभी का अलग-अलग टेंट बनाने में सहयोग किया और समझाया ।टेंट के बाहर चप्पल-जूते रखने का स्टैंड बनवाया जिससे सभी के जूते-चप्पल क़रीने से रखे जा सकें ।

टेंट के बाहर खोद कर कूएँ का माडल बनाया,सभी ने अपने टेंट के सामने कूऑं बनाने के बाद, कपड़े सुखाने के लिए रस्सी बांधना सिखाया ।

सभी अपने कार्य को सीखते हुए, मेहनत से कर रहे थे।टेंट के बाहर सभी अच्छी रंगोली बना रहे थे ।ट्रेनर ने सभी को बताया कि टेंट से थोड़ी दूरी पर हमें दो गड्ढे करने चाहिए जिससे एक में गीला कचरा,दूसरे में हम सूखा कचरा डाल कर ढक दें।खुले स्थान पर कचरा नहीं डालना चाहिए वरना गंदगी में मक्खी बहुत आयेगी ।बाहर कहीं भी पानी नहीं भरा रहना चाहिए । कहीं पानी भरे तो उसपर मिट्टी डाल कर हमें ठीक करना होगा,वरना मच्छर का प्रकोप बढ़ जाने से बीमारी की शंका रहती है ।

ट्रेनर ने सभी कुछ बहुत अच्छे तरीक़े से समझाया ।शुभि को बहुत अच्छा लगा ।वंदेमातरम् के बाद सभी का अवकाश हुआ।ट्रेनर महोदय ने बताया—कल सब लोग घूमने जायेंगे ,कल सभी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे और खेल खेलेंगे ।सभी का आना आवश्यक है, शिविर में उपस्थिति का आप सब को प्रमाण पत्र भी मिलेगा ।

तीसरे दिन शुभि स्कूल गई तो पिछले दिनों की तरह ही ट्रेनर ने स्काउट झंडा लगा कर प्रार्थना कराई , सभी ने प्रार्थना की ।

ट्रेनर ने सभी के अलग-अलग ग्रुप बना दिए और सब टोली बनाकर चलते रहे।हाइक पर जाते हुए ट्रेनर ने कुछ चिह्न समझाये और निशान लगाते हुए चल रहे थे ।सभी बहुत ही आनंदित होते हुए चल रहे थे बहुत दूर जाने के बाद टोली के अनुसार खेल खिलाये।

ट्रेनर ने आकस्मिक चोट लगने पर समझाया कि हम कैसे स्काउट स्कार्फ़ का प्रयोग करते हुए पट्टी बांधकर प्राथमिक उपचार कर सकते हैं ।पूरी टोली के स्काउट स्कार्फ़ और पेड़ की लकड़ी का प्रयोग कर स्ट्रेचर बना सकते हैं,यदि किसी स्काउट या गाइड के चोट लग जाने पर चलने में असमर्थ हो तो अन्य बच्चों की सहायता से स्ट्रेचर पर ले जा सकते है ।

यदि हमें कुछ खाने का बनाना है तो बिना बर्तन के हम जंगल में लकड़ी का प्रयोग करते हुए कैसे खाना बनाते है ,यह सब बना कर दिखाया ।सभी ने खाना खाया और बहुत आनंद आया ।

जब सब वापिस आने लगे तो ट्रेनर महोदय ने कहा—सभी को अपने हुनर दिखाने है।शुभि ने देश भक्ति का नाटक अपनी टोली के साथ किया ।दूसरी टोली ने देश भक्ति गीत, तीसरी टोली ने बहुत ही सुंदर भजन प्रस्तुत किए ।
चौथे नंबर की टोली ने चुटकुले सुना कर बहुत हंसाया ।कक्षा प्रतिनिधि ने हमारे ट्रेनर महोदय के सम्मान में एक गीत गाया और फूल देकर उन्हें सम्मानित किया ।

ट्रेनर महोदय ने सभी को स्काउट के बारे में जानकारी दी और बताया कि हम लोगों की , कैसे स्काउट के माध्यम से जानकारी लेकर सेवा कर सकते हैं ।छोटे-छोटे काम करके हम लोगों की और देश की सेवा कर सकते है ।
लौटते हुए सभी चिन्ह देख कर ही चल रहे थे क्योंकि जंगल में रास्ते सब एक जैसे ही लगते हैं ।चिन्ह के अनुसार सभी बहुत जल्दी ही आ गये।ट्रेनर महोदय ने सभी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया ।

घर जाकर शुभि ने दादी को स्काउट में होने वाली सभी गतिविधियों को बताया,आज रात को शुभि ने दादी जी से कहा— दादी जी आज मैं आपको अपने विद्यालय में होने वाली गतिविधियों को बताती हूँ ।
दादी जी ने कहा— हॉं शुभि मुझे भी बताओ,क्या -क्या किया तुमने ? शुभि ने पूरी कहानी सुनाई ।

शुभि अंतिम भाग

आशा सारस्वत