Nazariya book and story is written by satish bhardwaj in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nazariya is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story. नज़रिया satish bhardwaj द्वारा हिंदी सामाजिक कहानियां Writen by satish bhardwaj Category सामाजिक कहानियां पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें विवरण “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध माँ को पुकारते हुए कहा। सड़क किनारे खड़े होकर साइकिल पर कुछ सामान बेच रहे एक व्यक्ति के पास जाकर वो वृद्धा रुकी और बोली “ये नज़रिया कै पैसे की दी” विक्रेता ने ठिठोली करते हुए कहा “पैसे नी रुपये, 40 रुपए की हैं। लेकिन यो समझ ले कैसी भी बुरी नज़र हो तेरे पोते को लगेगी भी नहीं” वृद्धा ने थोड़ा बुरा सा मुँह बनाया और अपने पल्लू की गांठ मे से पैसे निकाल कर उसे दे दिये। नज़रिया हाथ मे लेकर बूढ़ी की आँखो More Likes This बेजुबान - 1 द्वारा Kishanlal Sharma खामोशी का रहस्य - 1 द्वारा Kishanlal Sharma अकेलापन जिंदगी - 1 द्वारा Wow Mission successful सनम बेवफा - 3 द्वारा Kishanlal Sharma धोखा या इश्क - 1 द्वारा aruhi कामवासना से प्रेम तक - भाग - 5 द्वारा सीमा कपूर My Devil Hubby Rebirth Love - 23 द्वारा Naaz Zehra अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी हिंदी क्राइम कहानी