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Premier Amour - उपन्यास
akriti choubey
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
सिटी ऑफ लेक"भोपाल"जनवरी की ठंड अपने चरम पर थी लेकिन लोगों की बिजी लाइफ वैसे ही चली जा रही थी। भोपाल से थोड़ा आउट में जंगल के बीचों बीच बना एक आलीशान फार्म हाउस जिसके चारों ओर फुल्ली ब्लैक गैटअप में बहुत से गार्ड्स लगे हुए थे।दोपहर के 1 बजे,,,एक बड़ी से ब्लैक वेन गेट पर आकर रुकी।गार्ड्स ने सेक्युरिटी चेक के बाद गेट खोला,,वेन के अंदर आते ही एक गार्ड ने गेट खोला खोलते ही पैसेंजर सीट से एक एक लड़का लगभग 26 साल का,,,,6ft हाइट,,,,फेयरकलर,,,,, फॉर्मल वेअर में बाहर निकला। उसके निकलते ही सारे गार्ड्स ने सर
सिटी ऑफ लेक"भोपाल"जनवरी की ठंड अपने चरम पर थी लेकिन लोगों की बिजी लाइफ वैसे ही चली जा रही थी। भोपाल से थोड़ा आउट में जंगल के बीचों बीच बना एक आलीशान फार्म हाउस ...और पढ़ेचारों ओर फुल्ली ब्लैक गैटअप में बहुत से गार्ड्स लगे हुए थे।दोपहर के 1 बजे,,,एक बड़ी से ब्लैक वेन गेट पर आकर रुकी।गार्ड्स ने सेक्युरिटी चेक के बाद गेट खोला,,वेन के अंदर आते ही एक गार्ड ने गेट खोला खोलते ही पैसेंजर सीट से एक एक लड़का लगभग 26 साल का,,,,6ft हाइट,,,,फेयरकलर,,,,, फॉर्मल वेअर में बाहर निकला। उसके निकलते ही सारे गार्ड्स ने सर
मेंडी भागते हुए आया,,अबीर सर वो लोग कबसे दरवाजा पीट रहे है, ओर रूम से सामान टूटने की भी आवाज़ आ रही है।अबीर उठकर जाने लगा,,तभी सौरभ ने उसका हाथ पकड़ लिया,,,वडी व्हाट हैप्पण्ड,,ओर ये??आकर बताता हूँ तू खाना ...और पढ़ेले,,ओर हा गाजर का हलवा भी है,,,वाओ ,,, वडी यु आर ग्रेट,,चल मस्का मत लगा चुप चाप खा लेइतना कहकर अबीर मेंडी के साथ चला गया।वो जैसे ही उस दरवाजे के पास पहुँचा उसे अंदर से सामान टूटने की ,चिल्लाने की आवाज आ रही थी।उसने मेंडी की तरफ हाँथ किया तो मेंडी ने उसने हाथों में रूम कीज़ दे दी
दोनो ने वापस अपनी हुड पहनी ओर घर की ओर चले गए। घर पहुचते ही सौरभ अपने रूम में जाने लगा,,,तभी पीछे से आवाज आई...वडी आई थिंक तू कुछ भूल नही रहा है,,,।सौरभ सोचते हुए,,,,,नही ...और पढ़ेउसे घूरते हुए,,,,,बेटा,,तुझे रमण सर को अभी रिपोर्ट करना ,,घड़ी देखते हुए,,,बस2मिनिट21,,20,,19सेकंड में,,,,।सौरभ मुह बनाते हुए,,,,,नो,,नो खड़कसिंह को वैसे भी मुझे डांटने के लिए बहाना चाहिए होता है।में अकेला नही जाने वाला तुझे भेजना है तो साथ चल वरना में नही जा रहा।अबीर परेशानी से,,,,यार वडी बच्चा नही है तू जो मैं तेरे साथ जाऊ,,,,।वैसे भी मुझे काम है कुछ,, तू अकेला ही
सौरभ गाड़ी से निकल कर भागते हुए,,,,भाभी माँ आई एम बैक ....अभीरी को सौरभ की आवाज आई,,,,सरू,,आ गया।वो किचन से भागते हुए आई,,,वो जैसे ही गेट पर पहुची सौरभ सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था।अभीरी उसे देखकर मुस्कुराते हुए रोने ...और पढ़ेभाभी माँ फिर से सेंटी,,,।अभीरी उसके पास आते हुए,,, एक तो तू आता भी नही है ऊपर से मज़ाक बनाता रहता है।सौरभ,,,ओह्ह !सॉरी,,,।अभीरी ने उसके गाल को छूआ ही था...सौरभ,,,भाभी माँ...अभीरी उसे देखकर हसने लगी,,,,क्योंकि सरू की आने की उसे इतनी खुशी थी कि वो किचन से हाथ साफ किये बिना ही बाहर आ गई। वो सौरभ के फेवरेट
दोनो एक दूसरे की तरफ देखते हुए,,,,,दोनो को समझ नही आ रहा था कि अभीरी क्या करने वाली है,,,,।तभी अभीरी बाहर आईं उसके हाथ मे फस्टेड बॉक्स था,,वो सौरभ के बगल में बैठ गई उसने बॉक्स में से दवा ...और पढ़ेऔर सौरभ के घाव पर लगाने लगी,,,।कोई कुछ नही बोल रहा था अभीरी दवा लगा रही थी और अबीर खड़ा उनदोनो को देख रहा था,,,ओर अपने सौरभ भाई चुपचाप बैठे दवा लगवा रहे थे,,,।तभी अबीर का फ़ोन रिंग हुआ उसने देखा,,मेंडी शो हो रहा था।उसने कॉल पिक नही किया बल्कि मेंडी को मैसेज कर दिया,,।अबीर,,,,हमे निकलना होगा,,,।सौरभ,,,अभी,,??अभीरी उनकी बात सुन