Premier Amour - 4 akriti choubey द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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Premier Amour - 4

सौरभ गाड़ी से निकल कर भागते हुए,,,,भाभी माँ आई एम बैक ....

अभीरी को सौरभ की आवाज आई,,,,सरू,,आ गया।
वो किचन से भागते हुए आई,,,वो जैसे ही गेट पर पहुची सौरभ सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था।
अभीरी उसे देखकर मुस्कुराते हुए रोने लगी,,,
सौरभ,,,क्या भाभी माँ फिर से सेंटी,,,।
अभीरी उसके पास आते हुए,,, एक तो तू आता भी नही है ऊपर से मज़ाक बनाता रहता है।

सौरभ,,,ओह्ह !सॉरी,,,।
अभीरी ने उसके गाल को छूआ ही था...
सौरभ,,,भाभी माँ...

अभीरी उसे देखकर हसने लगी,,,,क्योंकि सरू की आने की उसे इतनी खुशी थी कि वो किचन से हाथ साफ किये बिना ही बाहर आ गई।
वो सौरभ के फेवरेट आलूबड़े बना रही थी।तो हाथों में बेसन लगा हुआ था जो अब सौरभ के गालों पर था।

अबीर गाड़ी पार्क कर रहा था,,,तभी उसका फ़ोन रिंग हुआ,,उसने देखा तो मेंडी शो हो रहा था।
,,,उसने फ़ोन स्पीकर पर किया और गाड़ी पार्क करते करते उससे बात करने लगा..।
...हाँ मेंडी बोलो,,,,,
मेंडी,,,,,,सर में कह रहा था अगर आप एक बार ट्राई कर लेते तो.....।
अबीर थोड़े गुस्से में,,,,मेंडी हमारी इस बारे में पहले भी बात हो चुकी है ना।
मेंडी,,,बट सर..
अबीर,,बट व्हाट मेंडी,,?

....सर उस लड़की को अभी तक होश नही आया है,,आई थिंक हमे रमण सर को बता देना चाहिए शायद वो कोई रास्ता बता दे।
अबीर कुछ सोचते हुए,,,,,,हम इस बारे में मिलकर बात करते है,,,बाए

अबीर जैसे ही अंदर आया सौरभ को देखकर उसकी हसी छूट गई,,,,वाह क्या प्यार है भाभी का,,,।
सौरभ मुह बनाते हुए,,,,भाभी माँ देखो न इसे,,,,
अभीरी अबीर को घूरते हुए,,,खबरदार जो मेरे सरू को कुछ कहा तो.....

अबीर नोटंकी करते हुए,,,,,,हा हा में तो कुछ लगता ही नही,,तुम दोनों सगे,,मुझे तो तुम लोग सीढ़ी से उठकर लाए थे है न,,,,,।

सौरभ,,,नही विल्कुल नही,,क्यों भाभी माँ,,?
अभीरी,,,नही,,,सीढ़ी से विल्कुल नही,,बब
सौरभ अबीर को चिड़ाते हुए,,,,,हा,,क्योंकि हम तो तुझे कचरे के डिब्बे से लाये थे,,,है न भाभी माँ,,,,,,।
वे दोनो एक दूसरे को देखकर हसने लगे,,।

अबीर आज दो महीने बाद अभीरी को इतना हँसते हुए देख रहा था,,,,उसकी खुशी का कारण हमेशा सौरभ होता है,,,,।
आज भी सौरभ से मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ समझ आ रही थी।
अभीरी ने उसे यूं दोनो को घूरते देखा ,,,,,,क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो।
अबीर मुह बनाते हुए,,,,,यही की तुम दोनों का रिश्ता मेरे कारण है,,,ओर तुम लोग मुझे ही भूल गए,,इट्स नॉट फेयर।

सौरभ सर खुजलाते हुए,,,,तेरे कारण ओर वो कैसे,,,।
अबीर उसके सर पे मारते हुए,,,,,,डफर अगर में इससे शादी नही करता तो ये तेरी भाभी माँ कैसे होती,,,।
सौरभ,,,पॉइंट है,,,वैसे भाभी माँ आई थिंक इनहोने लाइफ में एक ही काम ढंग का किया है,,ओर वो है आपसे शादी,,,,,,।
अबीर उसे घूरते हुए,,,,अच्छा बचचू ,,,,तू रुक,,इतना कहकर वो सौरभ के पीछे भाग,,, दोनों सारे घर मे एक दूसरे के पीछे भाग रहे थे,,,,,।

अभीरी,,,,,,सरू,,अबीर,,रुक जाओ चोट लग जाएगा।
अबीर......।

अचानक से सौरभ का पेर स्लिप हुआ और वो फर्श पर गिर गया,,,,।
अभीरी ने जैसे ही देखा,,,,सरू...

वो भागती हुई उसके पास आई,,,,,सरू तुम ठीक तो हो न,,,,??

सौरभ उठते हुए,,,हां भाभी माँ में बिल्कुल ठीक हूँ,,,आप फालतू में टेंशन ले रही हो।

अभीरी गुस्से में,,,,में फालतू में टेंशन ले रही हूँ।अभी कुछ....लेकिन नही,,,,तुम लोगों का बचपना खत्म ही नही होता।,,उसकी आँखो में नही उतर आई,,
और दौड़ भाग करो लेकिन चोट लगने पर मुझे आवाज मत देना,,,ओर हां मुझसे बात भी मत करना।
वो गुस्से से वापस किचन में चली गई,,,,,।
अबीर उसके पास आया,,,,उसने उसे हाँथ देकर उठाया,,,ठीक है तू,,,??
सौरभ,,,,हाँ में ठीक हूँ,,,लेकिन किचन की तरफ देखते हुए ,,भाभी माँ...।
अबीर,,,,,,मेने कितनी बार कहा है उसके सामने दो चीजो को कभी अंडर रस्टीमेट मत करना ......
सौरभ,,,,,,,पता है ,,तुम ओर मैं,,,,बट अब क्या करें।
अबीर सोफे पे लेटते हुए,,,मुझे क्या पता,,,तेरी भाभी मा तू जान,,.,,,,,.।
सौरभ ,,,,,,,,यार तुम्हारी भी तो बीवी है ना,,वडी प्लीज मदद कर दे,,प्लीज,,,,।
अबीर उसे देखते हुए,,,,नोटंकी,,इधर आ उनसे सौरभ के कान में कुछ कहा।

सौरभ,,,,ओहहो ये आईडिया मेरे दिमाग मे क्यों नही आया,,,,,।
अबीर,,,,क्योंकि तेरे पास नही है ना,,,।
सौरभ सोचते हुए,,,,क्या???

अबीर ,,,,,अरे वही ,,दिमाग,।
सौरभ मुह बनाते हुए किचन की तरफ चला गया,,,,,भाभी माँ क्या बना रही हो,,??
...कोई जवाब नही आया,,,।

भाभी माँ आपने सेलिड नही काटी,,,,??
वो बिना जवाब दिए दूसरी तरफ गई ओर एक प्लेट में ककड़ी,गाजर ,मूली ओर चाकू लाकर सौरभ के सामने रख दिया,,,,सौरभ मुह बनाते हुए,,,ये मैं काटूँ,,,??
अभीरी ने उसे एक नजर गुस्से से देखा,,,,।
सौरभ,,,,हां,,,में,,मैं ही काटूँगा,,,।अभीरी दुसरी तरफ मुह करके मुस्कुरा दी,,,।

यहाँ सौरभ डाइनिंग पर बैठकर सेलिड को घूर रहा था,,उसने चाकू ऐसे पकड़ा था मानो किसी का खून कर रखा हो।

तभी अबीर बोला,,,,मेरे भाई सेलिड है,,दुश्मन नही।काटना है मारना नही है।
सौरभ उसे घूरते हुए मन मे,,इतना सडा आईडिया दिया। इसके चक्कर में ये काम भी करना पड़ेगा।

उसने इतना कहकर चाकू ढंग से पकड़ा और एक टुकड़ा ही काटा ओर अचानक आवाज आई,,,,,आआआआ....।
अभीरी किचन से दौड़ती हुई आई,,ओर अबीर हॉल से,,सौरभ के हाथ मे थोड़ा सा चाकू लग गया था।
अभीरी ने देखा,,,,हे भगवान क्या करूं में इस लड़के का मार लिया न ,,,,।

भाभी माँ आपने ही तो कहा था,,,,आआआ,,,भाभी माँ बहुत दर्द हो रहा है।
हां में कुछ लाती हूँ लगाने,
अबीर,,,बहुत हुआ तेरा ड्रामा,,,,बन्द कर अब,,,,।
अभीरी,,,,अरे !एक तो उसे चोट लगी है ऊपर से तुम उसे डांट रहे हो,,, ।
अबीर,,,हाँ क्योंकि तुम्हारा ये लाडला नाटक कर रहा है,,।
सौरभ,,,नो वडी सच्ची बहुत पैन हो रहा है।
अबीर,,,उसे घूरते हुए,,सच्ची,,।
सौरभ ने बस हाँ में गर्दन हिला दी,,।
अभीरी,,,वेट तुम्हे कैसे पता ये नाटक कर रहा है??

अबीर सौरभ के करीब आया,,,मुझे कैसे पता,,इतना कहकर उसने सौरभ की टीशर्ट कंधे से नीचे कर दी,,जिसमे बहुत बड़ा चाकू का घाव था,,,,,अभीरी को दिखाते हुए ,,,,पता दो दिन पहले लगा है इसे।तब मुह से एक आह नही निकली,,,आज इतने से घाव में घर सर पे उठा लिया,,,,।

अभीरी उसका घाव देखते हुए,,,सरु ये,,ये,के,,कैसे,??
सौरभ,,,,भाभी माँ,,वो मिशन के टाइम पर,,,,सॉरी भाभी माँ वो मैं सच मे नाटक कर रहा था।ताकि आप मुझसे बात करो,,,,,।
अभीरी, गुस्से से,,जानती हूँ,,,तेरे चिल्लाने से ही मुझे पता था कि तू नाटक कर रहा है।

सौरभ ,,,,सॉरी भाभी माँ,,मेरा आपको दुखी करने का कोई इरादा नही था।
अभीरी ने चेयर की तरफ इशारा किया,,,बेठ यहाँ,,,,।
वो अंदर चली गई,,दोनो ने एक दूसरे से इशारे में पूछा,,,दोनो ने न में सर हिला दिया।








क्रमशः