Tod ke Bandhan book and story is written by Asha sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tod ke Bandhan is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तोड़ के बंधन - उपन्यास
Asha sharma
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
“एक तो सुबह की भागादौड़ी दूसरे तुम... बच्चों की तरह हर तीसरे दिन शर्ट का बटन तोड़ लाते हो.” झल्लाती मिताली पति की शर्ट पर बटन टाँकने के लिए सुई में मैचिंग धागा पिरोने लगी.
“मुझे भी अपना तीसरा बच्चा ही समझो तुम तो.” मालती के चेहरे पर गर्दन झुकाते हुए वैभव ने अपनी बायीं आँख चला दी. उसकी इस शरारत पर मिताली झेंप गई और सुई बटन से होती हुई उसकी उंगली में धंस गई. एक सिसकी सी निकली और अगले ही पल मिताली की उंगली वैभव के मुँह में थी. इसी बीच उंगली से निकली एक लाल बूंद वैभव की सफ़ेद शर्ट में समा गई.
1 “एक तो सुबह की भागादौड़ी दूसरे तुम... बच्चों की तरह हर तीसरे दिन शर्ट का बटन तोड़ लाते हो.” झल्लाती मिताली पति की शर्ट पर बटन टाँकने के लिए सुई में मैचिंग धागा पिरोने लगी. “मुझे भी अपना ...और पढ़ेबच्चा ही समझो तुम तो.” मालती के चेहरे पर गर्दन झुकाते हुए वैभव ने अपनी बायीं आँख चला दी. उसकी इस शरारत पर मिताली झेंप गई और सुई बटन से होती हुई उसकी उंगली में धंस गई. एक सिसकी सी निकली और अगले ही पल मिताली की उंगली वैभव के मुँह में थी. इसी बीच उंगली से निकली एक लाल
2 “मम्मा! इस शनिवार मेरे स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग हैं. आपको आना है.” आज निधि ने स्कूल से आते ही कहा तो खाना परोसती मिताली के हाथ रुक गए. “भागने से समस्याएं कभी हल हुई हैं क्या. अब तो ...और पढ़ेके हिस्से के काम भी मुझे ही करने होंगे. आज नहीं तो कल,नौकरी के लिए भी तो घर से बाहर निकलना ही होगा. अपना बोझा खुद ही उठाना पड़ता है. क्या हुआ जो कोई पल दो पल के लिए हमारे इस भार को कम कर दे लेकिन सदा के लिए तो कौन हमारी जिम्मेदारी लेगा.” मिताली मन ही मन न
3 लोकेश... उनका पड़ौसी... मिताली और वैभव के प्रेम का गवाह था. सड़क के दूसरी तरफ घर के ठीक सामने ही तो रहता था. दोनों का रूठना-मानना... प्यार-मोहब्बत... झगड़ा-सुलह... सब कुछ उसकी रसोई की खिड़की से साफ़-साफ़ दिखाई देता ...और पढ़ेवह बात-बात में उनके छलकते हुए स्नेह को महसूस करता था. यूँ तो वह किसी से कोई खास मतलब नहीं रखता था लेकिन वैभव और मिताली से जब भी टकराता था तो हाय-हैल्लो जरूर कर लेता था. लोकेश के बारे में मिताली भी अधिक कुछ नहीं जानती थी. बस इतना ही कि वह उनके सामने वाले घर में अपनी माँ
4 आजकल निधि का समय आईने के सामने कुछ ज्यादा ही गुजरने लगा है. कभी अलग-अलग स्टाइल से बाल बनाये जाते, कभी मुँह की अजीबोगरीब भाव-भंगिमाएं बनाई-बिगाड़ी जाती... कभी कपड़े पहन-पहन कर कई बार उतारे जाते तो कभी चेहरे ...और पढ़ेतरह-तरह के लेप लगाये जाते. उम्र के इस दौर की नजाकत को मिताली बहुत अच्छी तरह से समझती थी. माँ थी ना! वह जानती थी कि निधि को इस समय उसके भावनात्मक साथ की बहुत जरुरत है लेकिन इस तथ्य से भी किसे इनकार था कि जीने के लिए पैसा और पैसे के लिए नौकरी बहुत जरुरी है. बेशक मिताली
5 इधर दोनों परिवारों का बढ़ता मेलजोल मोहल्ले में आम चर्चा का विषय होने लगा. लोकेश भी इन सबसे अनजान नहीं था. हालाँकि वह मिताली को इस आँच से दूर रखना चाहता था लेकिन किस अधिकार से. वह मिताली ...और पढ़ेइस बारे में चर्चा करना चाहता था लेकिन डरता था कि कहीं भयभीत मिताली ये रिश्ता ही ना खत्म कर दे. उधर सिन्हा साब ने भी मिताली के साथ अपना नाम जुड़ने की चर्चा उड़ती-उड़ती सी सुनी थी लेकिन उन्होंने उस पर ध्यान नहीं दिया. न जाने क्यों वे मिताली के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी महसूस करते थे. शायद वैभव की