Aakha teez ka byaah book and story is written by Ankita Bhargava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aakha teez ka byaah is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आखा तीज का ब्याह सारांश सपनों को पूरा करने निकली वासंती अपने रिश्तों को ही खो बैठी। जब फिर से अतीत की गलियों ने उसे पुकारा तो वह अनिष्ट की आशंका से घबरा गई। मगर प्रतीक ने आश्वासन दिया ...और पढ़ेकोई है वहां उसकी सुरक्षा के लिए। कौन था वो…. ***** आखा तीज का ब्याह (1) श्वेता ने तिलक राज के केबिन में प्रवेश किया| तिलक राज उस वक्त कुर्सी पर बैठा अपनी कनपटियाँ मसल रहा था| वह समझ गयी कि तिलक बहुत परेशान है| “आप परेशान लग रहे हैं?” “नहीं! बस थोड़ा सर दर्द हो रहा था|” तिलक ने
आखा तीज का ब्याह (2) वासंती कार से उतर कर धीरे धीरे सधे कदमों से यूनिवर्सिटी के हॉल की ओर चल पड़ी जहाँ दीक्षांत समारोह चल रहा था| हॉल की सजावट देखते ही बनती थी| आज यूनिवर्सिटी का ज़र्रा ...और पढ़ेजैसे वासंती की ही राह देख रहा था| जैसे ही उसने हॉल में प्रवेश किया सभी लोगों की निगाहें उसकी ओर उठ गई| वासंती के दिल की ख़ुशी चेहरे पर चमक बिखेर रही थी| वह ख़ुशी होती भी क्यों नहीं आखिर आज उसकी ज़िन्दगी का वो ख़ास दिन जो था जिसका उसने वर्षों पहले सपना देखा था और जिसके लिए
आखा तीज का ब्याह (3) प्रतीक के हॉस्पिटल जाने के बाद वासंती ने अपनी सासुमां को फोन लगाया, "हैलो! प्रणाम मम्मा!" "खुश रहो बेटा! कैसे हो! हमारी परी वनू कैसी है?" "बहुत बदमाश हो गई है मम्मा। पूरा दिन ...और पढ़ेकरती रहती है। आपको और पापा को याद भी बहुत करती है।" "हां तो कभी लेकर आओ न उसे। जोधपुर कौनसा दूर है।" "जी मम्मा! जल्दी ही आते हैं। अभी तो प्रतीक ने एक नयी मुश्किल खड़ी कर ली है। उन्होंने मेरे गांव के पास ही किसी एनजीओ का नया खुल रहा हॉस्पिटल ज्वॉइन करने का मन बनाया है। नेक्स्ट
आखा तीज का ब्याह (4) कैसा है ये प्रतीक भी! उसके मन की हर बात को भांप जाता है और उनका हल भी निकल लेता है| इन दिनों उसे अपने माता-पिता की बहुत याद आ रही थी, और शायद ...और पढ़ेसमझ गया था, तभी उसने यह ऑफर स्वीकार किया था| प्रतीक ने हमेशा उसकी मदद की है| हालाँकि पहले उसे वह अधिक पसंद नहीं आया था| उनकी पहली मुलाकात हुई ही कुछ ऐसे हालात में थी कि वह प्रतीक के लिए अपने मन में गलत धारणा बना बैठी| वासंती को अपने मेडिकल कॉलेज का पहला दिन याद आ गया| और साथ
आखा तीज का ब्याह (5) अभी तो बसंती इस नए माहौल में खुदको ढालने की कोशिश कर ही रही थी कि फ्रेशर्स पार्टी नाम की एक नयी मुसीबत उसके सर पर आ पड़ी| जबसे क्लास में वीणा मैम ने ...और पढ़ेपार्टी के बारे में बताया है सभी लड़के लड़कियाँ ख़ुशी से उछल रहे थे पर वह तनाव में थी| “सवीता, ये फरेसर पार्टी क्या होती है?” “पहली बात मेरा नाम सविता नहीं श्वेता है दूसरा फरेसर पार्टी नहीं फ्रेशर्स पार्टी| तुम ठीक से बोलना कब सीखोगी बसंती| तुम्हारे इस लहज़े के कारण ही सब तुम्हारा मज़ाक उड़ाते हैं और फिर