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जननम - उपन्यास
S Bhagyam Sharma
द्वारा
हिंदी सामाजिक कहानियां
जननम भयंकर तूफान और घोर वर्षा में एक नदी में पूरी भरी हुई बस किसी गांव में बह जाती है। पर बस कहां की थी कहां से आई थी कहां जा रही थी कुछ भी पता नहीं चला। बस का बोर्ड भी नहीं मिला पता लगाते तो कैसे। कोशिश तो बहुत हुई पर पता ना लगा। किस एक्सीडेंट के 2 दिन बाद एक 20 बार 22 साल की युवा लड़की बेहोश नदी के किनारे मिली। गांव में एक बड़ा अस्पताल था उसको एक युवा डॉक्टर चला रहे थे। यह तन मन धन से ग्रामीणों की सेवा कर रहे थे। जब उनके
जननम भयंकर तूफान और घोर वर्षा में एक नदी में पूरी भरी हुई बस किसी गांव में बह जाती है। पर बस कहां की थी कहां से आई थी कहां जा रही थी कुछ भी पता नहीं चला। बस ...और पढ़ेबोर्ड भी नहीं मिला पता लगाते तो कैसे। कोशिश तो बहुत हुई पर पता ना लगा। किस एक्सीडेंट के 2 दिन बाद एक 20 बार 22 साल की युवा लड़की बेहोश नदी के किनारे मिली। गांव में एक बड़ा अस्पताल था उसको एक युवा डॉक्टर चला रहे थे। यह तन मन धन से ग्रामीणों की सेवा कर रहे थे। जब उनके
जननम अध्याय 2 "हेलो !" वह धीरे से बोला। उडती सी उसने निगाह उस पर डाली फिर असमंजस में उसे देखा। निर्दोष निग़ाहों से उसने देखा। फिर उसने चारों तरफ नजरें घुमाई। जया के ऊपर, फिर दीवार पर, खिड़कियों ...और पढ़ेबाहर दिखाई दे रही पेड़ों पर सब पर उसकी निगाहें चलती रही। वाह क्या आँखें हैं ! सफेद समुद्र में काले नीले रंग की मणि जैसे. …. इसे तमिल मालूम होगा ऐसा सोच उसने उससे पूछा। "आप कैसी हैं ?" उसका असमंजस ज्यादा हो गया ऐसा लगा। "क्या ?" "आप अब कैसी हैं ?" उसने उसे संशय से देखा। अजीब
जननम अध्याय 3 उन लोगों के अंदर घुसते ही उसने दरवाजे को बंद कर दिया। दीवार को देखते हुए वह लड़की लेटी हुई थी। "लावण्या !" धीरे से बोला आनंद। वह तुरंत पलटी। धर्मराजन और निर्मला आश्चर्य से उसे ...और पढ़ेलगे। "मैंने रखा है यह नाम" कहकर आनंद धीरे से हंसा। "लावण्या... यह हैं इस्पेक्टर धर्मराजन। आपसे कुछ प्रश्न पूछने आए हैं।" फिर से उसकी आंखें भर आई थोड़े डर और असमंजस में भी दिखी। "मैं क्या बोल सकती हूं ?" "कोशिश करिए।" धर्मराजन धीमी आवाज में बोले; "आप अच्छी तरह सोच कर जो याद आए वह बताइए। किसजगह से
जननम अध्याय 4 उसने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। कोई आपको ढूंढने नहीं भी आए तो भी आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं। वह अंग्रेजी में बोला। पिछला समय याद नहीं है सोच कर ...और पढ़ेकरने के बदले आने वाले समय में आपको क्या करना है उसके बारे में सोचिए। आपके लिए हम सब मदद करने लिए तैयार हैं। वह कुछ ना बोल कर दूर कहीं देखती हुई लेटी रही। लोग नए हैं गांव को नहीं जानती आप..... वह हंसी। मेरे लिए तो यह संसार ही नया है ? देट्स राइट वह बोला, हंसते हुए इसीलिए तो आप
जननम अध्याय 5 आनंद को उन्हें सहलाने की भावना तीव्रता से उठी। उनके हाथ को पकड़ कर हाथ हिलाने की इच्छा हुई कि बहुत धन्यवाद बोले ऐसा लगा। वह लावण्या को देखकर एक मुस्कान दिखाकर और लोगों के साथ ...और पढ़ेआ गया। मुझे बहुत दुख हो रहा है मिस्टर वेदनायकम ! ऐसा राजशेखर गंभीर मुद्रा में बोल रहे थे आप की भांजी जिंदा होगी इस विश्वास के साथ आप यहाँ आए थे.... अब वेदनायकम के प्रश्नों का जवाब देना दुख बढ़ाना ही है। उनके दुख का समाधान बोलना राज्य की ही जिम्मेदारी है ऐसा सोच कर उन दोनों को बाहर