जननम
अध्याय 9
'लावण्या के बारे में क्या सोचती हो'ऐसा अम्मा से पूछने के लिए उसका मन हो रहा था। मां मुंह बंद करके बैठी रही।
"अम्मा क्या सोच रही हो ?" उसने पूछा तो मंगलम धीरे से मुड़ कर उसे देख हंसी।
"सब कुछ जैसे अविश्वसनीय कहानी जैसा है।"
वह क्या वह पूछ ना सका ।
"उस लड़की का यहां आना पुरानी बातों को भूल जाना...."
तुम्हारे मन को बदल देना ऐसे अम्मा ने नहीं कहा-परंतु सोचा होगा ऐसा लगता है।
"कहानी सब सच की ही तो छाया होती है ? फिर सच और भी दिलचस्पी वाला नहीं होगा ?
अम्मा ने कोई जवाब नहीं दिया। कोई गहरे सोच में डूबी हुई मालूम हो रही थी । उसकी बातें उसको सुनाई नहीं दिया ऐसा लगता है।
'तुम्हारे लिए बहुत सारे सपने देखा था तुम्हारी मां ने' ऐसा शोक्कलिंगम बोला उसे याद आया। अम्मा का क्या-क्या सपना रहा होगा ? अपने आने वाली बहू के बारे में उसने क्या-क्या कल्पना कर रखी होगी ? लावण्या को देखने के बाद कुछ धोखा तो हुआ होगा क्या ? उसे कोई धोखा नहीं हुआ होगा ऐसा उसने सोच लिया। उसे एक आश्चर्यजनक खुशी ही मिली होगी। लावण्या को देखने के बाद, वह बिना नाम, बिना गांव के नाम यह बात ही बदल गई होगी। यदि ऐसा नहीं था तो सीता और रामायण के बारे में बोलने की क्या जरूरत थी?
घर आते ही उसका मन थोड़ा हल्का हुआ और वह अपने काम करने के लिए बैठ गया।
उसकी मां एक मुस्कान के साथ उसके सामने आकर खड़ी हुई।
"क्या है अम्मा ?"
"मैंने एक लड़की तुम्हारे लिए देख रखी है। वह मुझे पसंद है। तुम क्या कहते हो ?"
"उसके कुल, गोत्र सब के बारे में जानकारी ले ली क्या ?"
"उन बातों की जरूरत नहीं है।"
"क्यों मां ? ऐसी क्या खूबी है लड़की में ? क्या नाम है ?"
"नाम ही नहीं है ।"
"बहुत अच्छा है, बिना आईडेंटिटी के एक लड़की ? मुझे नहीं चाहिए!"
"नाम में क्या रखा है ? एक गुलाब को किसी भी नाम से बोलो तो क्या ! उसकी सुंदरता कम हो जाएगी एक कवि ने बोला है ना !"
"अरे वाह ! तुम इतनेअच्छे से शेक्सपियर और वाल्मीकि का उदाहरण दे देती हो ? मैं तो सोच रहा था तुम्हें तिरुपुकर(तमिल नाडु के संत) का भजन करना ही आता है।"
"चल छोड़ मेरे बारे में, मैंने जिस लड़की को देखा है उससे शादी करने के लिए तुम्हारी सहमति है क्या ?"
"तुमने देख रखा है तो ठीक ही देखा होगा, क्यों मां, कभी मैं तुम्हारे खींचे हुए लकीर को पार किया है क्या ?"
अम्मा जोर-ज़ोर से हंसने लगी। वह जल्दी से अपनी मां के गले में हाथ डाल कर लटक गया।
"ओ मां तुम्हारे जैसे कोई कैसे हो सकता हैं ?"
उसकी आंखों में अचानक आंसू आ गए।
मंगलम अपनी खुशी को छुपा कर हंसी। फिर अचानक याद आए जैसे बोली: "यह लो आनंद। एक पत्र आया था आज मैं देना भूल गई।"
उसको एक नीले रंग का लिफाफा थमाया।
उसने उस लिफाफे को पलट कर देखा। मुंबई का पता था, के. रघुपति लिखा था।
जानने वाला नाम नहीं लगा। कोई पुराना दोस्त होगा क्या उसने सोचा इतने में टेलीफोन बजा।
दूसरी तरफ से निर्मला की तीखी आवाज सुनाई दी।
"एक इमरजेंसी केस है। तुरंत आ सकते हैं ?" बोली।
उसने सब विवरण पूछ लिया। सिजेरियन ऑपरेशन करने वाला केस है समझ में आ गया। तुरंत ध्यान देने की बात है समझ में आ गई।
"अभी आ रहा हूं।"
रात के खाने के लिए मेरा इंतजार ना करना ऐसा मंगलम को कहकर वह पत्र को मेज के ड्रोयर में डालकर जल्दी-जल्दी रवाना हुआ।
उसके सोचने से भी ज्यादा आसानी से केस खत्म हुआ। अस्पताल से निकलते समय उसका मन तृप्त तथा उत्सुकता भी थी। ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। घर पैदल चलते हैं। पैदल जाकर ही लावण्या को देखकर अम्मा के विचारों को उससे कह दे तो क्या उसे लगा ? लावण्या के बारे में सोचते ही उसका दिल पंख लगाकर दौड़ने लगा उसे स्वयं को आश्चर्य हो रहा था। यह सिर्फ कोई आकर्षण के कारण पैदा हुआ नहीं हुआ उसने ऐसा सोचा। यह अंतरात्मा से उत्पन्न हुआ है। युग युगांतर से आने वाला जैसे.....
वह अभी तक पीपल के पेड़ को पकड़कर खड़ी थी उसको बड़ा आश्चर्य हुआ।
"हेलो !"
उसको देखते ही उसका चेहरा एक प्रकाश से चमकने लगा।
"इस समय यहां क्यों खड़ी हैं आप ?"
"नींद नहीं आ रही है !"
"क्यों, अब मन कैसा है ? इस शहर को छोड़कर चले जाएं ऐसा लग रहा है ?"
"नहीं !" उसके सिर हिलाने में शर्म दिखाई दे रही थी।
वह अपनी आवाज को धीमी करके बोला "आप इस गांव को छोड़कर नहीं जा सकती ऐसा मेरी मां आपको बांधने की सोच रही है लावण्या !"
वह थोड़े आश्चर्य से उसकी तरफ देखी।
"मेरी अम्मा को भी आपको ही बहू बनाने की इच्छा है !"
उसने जल्दी से अपने लाल हुए चेहरे को दूसरी तरफ कर लिया।
उसको अचानक उसकी जीभ सूख गई ऐसे लगा। खड़े भी नहीं रह सकते ऐसे एक कमजोरी लगी।
"लावण्या, क्या तुम इस के लिए राजी हो ?"
उसने उसके चेहरे को नहीं देखा । कंपाउंड के सरिये को पकड़कर खड़ी उसकी उंगलियां कांप रही थी जिसे उसने देखा। जल्दी से उसने उस पर अपनी अंगुलियों को रखकर दबाया।
"बोलो लावण्या ! तुम इस बात के लिए राजी हो ?"
उसने धीरे से चेहरे को घुमाया । उसकी आंखें नम थी।
‘हाँ' ऐसे सिर को हिलाई।
"आपकी मां इतने बड़े दिल की हैं मुझे नहीं पता था।"
उसने जल्दी से बोला: "तुम्हें देख कर कोई पश्चाताप से लिया हुआ फैसला नहीं है लावण्या !"
वह हंसी।
"मालूम है। फिर भी मुझे स्वीकार करने के लिए आपके अम्मा का ह्रदय बड़ा विशाल होना चाहिए।"
"इसमें मुझे कोई क्रेडिट नहीं मिलेगा ?"
उसके गाल में डिंपल पड़ा "होगा, समय आने पर उत्तर दूंगी!"
हंसते हुए हाथ हिलाते हुए घर की तरफ रवाना हुआ। उसका मन आकाश में उड़ रहा था। पूरी दुनिया ही रमणीय हो गया उसे ऐसा लगा। सब सुंदर हो गया, इस समय शोक्कलिंगम भी सामने आ जाएं उसे भी आलिंगन कर ले जैसे उसका मन अद्भुत हो गया !
आज उसे शंकर द्वारा बनाया गया खाना बहुत ही अच्छा लगा। अम्मा की साड़ी अम्मा की हंसी जैसे ही चमक रही थी।
उसके खाना खाने के बाद अम्मा ने पूछा "वह पत्र किसके पास से आया था ?"
"ओ, मैं तो भूल गया ! उसे मैंने अभी तक नहीं पढा !"
वह ड्रोयर को खोलकर पत्र को निकाल कर पढ़ने लगा।
पत्र अंग्रेजी में टाइप किया हुआ था।
पत्र को पढ़ते ही वह सदमे में चला गया।
वह जाकर कमरे के दरवाजे को बंद करके पलंग पर आकर बैठकर पत्र को पढ़ने लगा। मुंबई से आया पत्र था।
बहुत ही बढ़िया अंग्रेजी में लिखा हुआ था।
'मेरा नाम रघुपति है। पिछले साल तक अहमदाबाद में था। एक साल से अमेरिका में हूँ । मेरी पत्नी उमा अहमदाबाद के एक स्कूल में काम करती थी। वह एक साल खत्म होते ही वह अमेरिका आने वाली थी। पिछले महीने से वह मिल नहीं रही ऐसे खबर मिली। मैं तुरंत भारत आ गया। पूछताछ करने पर पता चला वह दक्षिण में कर्नाटक घूमने की सोच कर चली गई, उसके बाद उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चला यह भी मालूम हुआ। उसके मां-बाप नहीं है। दूर के रिश्तेदार किसी का भी पता नहीं है। मुंबई में मैं अपने दोस्त के साथ रह रहा हूं। आज अचानक आपके गांव में हुए एक बस दुर्घटना के बारे में और आपके चिकित्सालय में एक लड़की है उसके बारे में किसी ने बताया। दक्षिण में एक कोने के एक गांव में मेरी पत्नी फंसी होगी यह मेरी समझ में नहीं आ रहा। फिर भी एक लालच में इसे लिख रहा हूं। उस लड़की को पुरानी बातें कुछ भी याद नहीं है ऐसा उन्होंने बोला। इसी वजह से वह लड़की इस जगह पर वापस नहीं आई ऐसा मेरा अनुमान है
उमा अच्छी गोरी और सुंदर हैं । प्रेम और अपनत्व से व्यवहार करने वाली लड़की है । 32 साल की है। तमिलनाडु की लड़की है। M.A. पास है। तमिल की कविताएं, पेड़, फूल और पक्षी उसे बहुत पसंद है। मेरे पास जो फोटो था वह पुलिस के पास दिया है। इस समय मेरे पास कोई अच्छी फोटो नहीं है। आपके विवरण सहित आपके जवाब की मैं उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा हूं..... मेरी फिकर आप समझ सकेंगे ऐसा मैं विश्वास करता हूं।"
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क्रमश...