हिंदी सामाजिक कहानियां कहानियाँ मुफ्त में पढ़ेंंऔर PDF डाउनलोड करें होम कहानियां सामाजिक कहानियां कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti =================== स्नेहिल नमस्कार सभी मित्रों को शोभित और अमित वैसे तो एक ही गर्भ से जन्म लेने वाले जुड़वाँ भाई हैं परंतु उनके स्वभाव में देखो तो कितना विकट ... शाकुनपाॅंखी - 12 - डर किस बात का? द्वारा Dr. Suryapal Singh 19. डर किस बात का? पेशावर के अपने शिविर में शहाबुद्दीन चहलकदमी कर रहे हैं। पार्श्व में पहाड़ियों पर उगते सूर्य की किरणें सोना बरसा रही हैं। हवा तेज ... एक झूठ द्वारा Shubham Shrivastav आप सोचते होंगे एक झूठ क्यों कहा, क्या है अगर एक झूठ कह दिया तो, एक झूठ तो हर कोई कहता है उसमे क्या हुआ ?तो आज मैं जो ... शाकुनपाॅंखी - 11 - पंछी उतरो द्वार द्वारा Dr. Suryapal Singh 18. पंछी उतरो द्वार पूर्वप्रत्यूष काल । नगर निद्रामग्न । पक्षी भी अपने घोसलों में दुबके हुए। गंगा के हरहराते जल की ध्वनि । रात की साँय साँय । ... रिवर्स लव्ह जिहाद द्वारा Nikita Patil शीर्षक: धोखे का जालएक समय की बात है, भारत के मध्य में बसे एक छोटे से शहर में अर्जुन नाम का एक युवा हिंदू लड़का रहता था। वह एक ... शाकुनपाॅंखी - 10 - बरद्द दुबला क्यों है? द्वारा Dr. Suryapal Singh 16. बरद्द दुबला क्यों है? स्नान कर चन्द ने धवल वस्त्र धारण किया। सभी ने मधुपर्क पान किया। ग्यारह सामन्त वेष बदलकर तथा चन्द के सेवक के रूप में ... उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti हम भारतीयता और अपनी भाषा हिन्दी पर गर्वित हैं !! ------------------------------------------------------------------- उजाले की ओर----संस्मरण -------------------------------- सभी स्नेही साथियों को नमन हिन्दी दिवस पर इस कॉलम के लिए गुजरात वैभव ... शाकुनपाॅंखी - 9 - सभा में हल्ला मच गया द्वारा Dr. Suryapal Singh 14. सभा में हल्ला मच गया सज्जित सभागार इत्र और चन्दन की सुगन्ध से महमहा रहा है। राजा और राजपुत्र सज्जित मंच पर अपनी आभा बिखेर रहे हैं। कान्यकुब्ज ... लव्ह जिहाद द्वारा Nikita Patil एक समय की बात है, सुंदर और व्यस्त शहर मुंबई में, रिया नाम की एक युवा हिंदू लड़की ने खुद को प्यार और धोखे के जाल में फंसा हुआ ... मुझसे शादी कर लो - 9 द्वारा Kishanlal Sharma और राधा कैरोलिना के बताए पते के लिए निकल पड़ी।नाइ जगह वह आयी थी।इसलिए उसे कई जगह पूछना पड़ालेकिन आखिर वह पहुंवः ही गयी थी।"अरे तुम?"यहाँ?"राजन अपने सामने खड़ी ... शाकुनपाॅंखी - 8 - सत्ता सुख द्वारा Dr. Suryapal Singh 12 सत्ता सुख कन्हदेव की उपलब्धियाँ उन्हें लोक में प्रतिष्ठित कर रही थीं। जिधर भी जाइए, उन्हीं की चर्चा । न जाने कितनी किंवदन्तियाँ उनके साथ जुड़ गई थीं। ... पत्र बाऊजी को द्वारा Suman Kumavat प्रिय बाऊजी,मुझे पता है कि ये पत्र आपको कभी नहीं मिलेगा, मैं जानती हूँ, आपका इस दुनियाँ से पता बदल गया है, आप इस दुनियाँ से दूर जा चुके ... शाकुनपाॅंखी - 7 - समरसता की चिन्ता द्वारा Dr. Suryapal Singh 10. समरसता की चिन्ता कच्चे बाबा गंगा तट पर स्थित अपने छोटे से आश्रम में एक आसनी पर बैठे हैं। पारिजात शर्मा कन्धे पर उत्तरीय डाले आए। बाबा के ... उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti ========== नमस्कार स्नेही मित्रो रोमी अब इतनी छोटी भी नहीं थी कि छोटी छोटी बातों को दिल में लगाकर बार बार उन्ही में अपने आपको गोल गोल घुमाती रहे ... शाकुनपाॅंखी - 6 - सन्देश द्वारा Dr. Suryapal Singh 9. सन्देश पृथ्वीराज दिल्लिका की बैठक में चाचा कन्ह देव, महाकवि चन्द, सन्धिविग्रहिकामात्य वामन, सेनाधिपति स्कन्द, चन्द्र पुण्डीर, केहरी कठीर, पज्जूनराय, सलखपरमार, जैतराव, निड्डर, वीर सिंह, लखन बघेल, जाम ... शाकुनपाॅंखी - 5 - शाकुनपाँखी नहीं हूँ मैं द्वारा Dr. Suryapal Singh 7. शाकुनपाँखी नहीं हूँ मैं 'महाराज की दृष्टि बचाकर कार्य करना कितना दुष्कर है?' महिषी शुभा टहलती हुई सोच रही हैं। अलिन्द के सामने पाटल पुष्प एक दूसरे को ... समानता ? द्वारा Pinku Juni कौन कहता है अब समाज मे लड़की लड़का बराबर है। आज भी सभी अंतिम फैसले पुरुष के हीं होते है।हाँ! मे मानती हू कुछ परिवारों मे, कुछ फैसले महिलाए ... शाकुनपाॅंखी - 4 - तेरी आँखें द्वारा Dr. Suryapal Singh 5. तेरी आँखें संयुक्ता पाठ का अध्ययन करने के साथ ही सामयिक घटनाओं पर चर्चा छेड़ देती, ‘आर्ये, सुनती हूँ शाकम्भरी नरेश ने तुरुष्क सुल्तान शहाबुद्दीन गोरी पर विजय ... उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti स्नेहिल नमस्कारमित्रोजन्माष्टमी के पावन पर्व के लिए सभी मित्रों को स्नेहपूर्ण मंगलकामनाएँ। कृष्ण प्रेम हैं, सहज हैं, सरल हैं। कृष्ण प्रेम हैं और प्रेम के बिना जीवन का कोई ... शाकुनपाॅंखी - 3 - कान्यकुब्ज द्वारा Dr. Suryapal Singh 4. कान्यकुब्ज महाराज जयचन्द्र का अधिकांश समय यज्ञ की तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश देने में ही बीत जाता । हरकारे दौड़ लगाते । सेवक हाथ बाँधे खड़े ... शाकुनपाॅंखी - 2 - फिर वही सान्ध्य भाषा द्वारा Dr. Suryapal Singh 3. फिर वही सान्ध्य भाषा प्रातराश एवं विश्राम के बाद संयुक्ता ने पुनः कारु से अपनी बात स्पष्ट करने के लिए कहा।" मैंने इस शरीर को नष्ट करने का ... शाकुनपाॅंखी - 1 - उपोद्घात द्वारा Dr. Suryapal Singh उपोद्घात यह इक्कीसवीं शती का प्रारंभ है। पूर्व और पश्चिम की विकास यात्रा में नव उदारीकरण की लहलहाती फसल के बीच इंच इंच घिसटती मानवता । उद्यमिता के नए ... उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti उजाले की ओर - - -संस्मरण ------------------------------------- मित्रों को स्नेहिल नमस्कार अभी रक्षाबंधन का पावन पर्व गया है। स्मृति सामने आकर अपनी कहानी स्वयं सुनाने लगती है और हमें ... मुझसे शादी कर लो - 8 द्वारा Kishanlal Sharma एक सुबह राधा उठी तो उसे उबकाई आने लगी।वह वाशबेसिन की तरफ भागी थी।उसे उबकाई लेते देखकर राजन की नींद भी खुल गयी थी।वह बिस्तर छोड़कर राधा के पास ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी अपना आकाश - 35 - अपना आकाश खींच लाना है द्वारा Dr. Suryapal Singh अनुच्छेद- 37 अपना आकाश खींच लाना हैहठी पुरवा में एक ही मंडप में कभी दो विवाह नहीं हुए थे और न कभी दिन में कोई शादी हुई। माँ अंजलीधर ... सामाजिक भिक - 2 द्वारा AAShu ______ ....... सुनिए जी , शर्मा जी का फोन आया हे । केशव बाबू- रुको अभी आया.... बोलिए शर्मा जी , कैसे हो आप सब ....शर्मा जी- जी हम सब ... अपना आकाश - 34 - सोलहवाँ लग गया द्वारा Dr. Suryapal Singh अनुच्छेद- 36 सोलहवाँ लग गया विवाह की तिथि निश्चित हो जाए तो तीस वर्ष की अवस्था में भी सोलहवाँ लग सकता है। वत्सला जी कालेज में ज्या कोज्या का ... अपना आकाश - 33 - चलूँगी, ज़रूर चलूँगी द्वारा Dr. Suryapal Singh अनुच्छेद- 35 चलूँगी, ज़रूर चलूँगी विकल्प डेयरी का काम चल निकला। अंगद, नन्दू, तन्नी ही नहीं सभी स्त्री-पुरुष डेयरीमय हो गए। सभी ने दूधारू गाय भैसों के दाना पानी ... उजाले की ओर –संस्मरण द्वारा Pranava Bharti ------------------------------- नमस्कार स्नेही मित्रों हवाओं की शीतलता कभी राग में बदल जाती है तो कभी आग में, कभी स्नेह में तो कभी ईर्ष्या में, कभी कुहासे में तो कभी ... परिवार से दुखी द्वारा Rakesh Rakesh परिवार के सदस्यों में आपस में अच्छा मेलजोल प्रेम ना हो तो वह परिवार अपने परिवार के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए घातक है यह बात डॉक्टर ... अपना आकाश - 32 - बचा कर रखता हूँ दिव्यास्त्र द्वारा Dr. Suryapal Singh अनुच्छेद- 32 बचा कर रखता हूँ दिव्यास्त्र कोतवाल वंशीधर ने नागेश लाल के पैसे से बनारस में सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया। पंडितों को दिलखोल कर दान ... अपना आकाश - 31 - विकल्प डेयरी द्वारा Dr. Suryapal Singh अनुच्छेद- 31 विकल्प डेयरी पहली तारीख । आज ही विकल्प डेयरी का उद्घाटन । यद्यपि उद्घाटन भँवरी देवी को ही करना है पर बिना अंजलीधर के संभव नहीं। माँ ...