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मेरे कॉलेज की वो लड़की - उपन्यास
ब्रिज भारतीय
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
मेरे कॉलज की वो लड़की जब से मैने उसे देखा था तब बस उसीके बारे में सोचता था। वो जब उसके फ़्रेंडस के साथ सेल्फी लेते वख्त हँसती थी में वही हँसी का दीवाना था । क्लास या केम्पस में जब हमारी आँखे मिलती मुझे एक अजीब सा रोमांस होता शायद में उसे चाहता था। कॉलेज में एक बार भी मुड़कर उसने नहीं देखा मगर मेरे दिल के एक कोने एक आस थी क्योंकि में उसे चाहता था। जब भी वो अपने बॉयज दोस्तों के साथ हँसके बाते करती मेरे दिल में एक छोटी सी चिनगारी जल जाती थी ।
मेरे कॉलज की वो लड़की जब से मैने उसे देखा था तब बस उसीके बारे में सोचता था। वो जब उसके फ़्रेंडस के साथ सेल्फी लेते वख्त हँसती थी में वही हँसी का दीवाना था । क्लास या केम्पस ...और पढ़ेजब हमारी आँखे मिलती मुझे एक अजीब सा रोमांस होता शायद में उसे चाहता था। कॉलेज में एक बार भी मुड़कर उसने नहीं देखा मगर मेरे दिल के एक कोने एक आस थी क्योंकि में उसे चाहता था। जब भी वो अपने बॉयज दोस्तों के साथ हँसके बाते करती मेरे दिल में एक छोटी सी चिनगारी जल जाती थी ।
अगले दिन में जब कॉलज गया आज मुझे उनसे बात करनी थी तो में लेक्चर में नहीं गया और पार्किंग में उसका इंतेज़ार करने लगा वो भी कुछ देर बाद आई उसके वो दोस्तों भी उनके साथ थे मुझे ...और पढ़ेकी सबके सामने बात करनी ठीक नही हैं । में उसके अकेले होने का इंतेज़ार कर रहा था । उसने मुझे पार्किंग में नोटिस किया था तो उसे भी पता था कि मुझे उनसे बात करनी हैं। बाद में लंच ब्रेक में उसकी एक दोस्त ने हमारे पास आके जोर से बोला की उसने बिज़्ज़ क्विज़ में
आज का दिन मेरे लिये बहोत स्पेशल था । आज जन्नत में या फिर जन्नत में हा हा हा दरअसल में तो जन्नत में ही था उसको फैसला लेना है कि जन्नत में आना है या ... ...और पढ़े आज सोमवार था तो अपन का कॉलेज चालू था तो वो केल्विन और यश ने तो मना कर दिया था उसको कॉलेज जाना था। में अकेला बिज़नेस डिपार्टमेंट गया मुझे लगता था कि मेरा रैंक आएगा में अकेला वहा पंहुचा में वहा थोड़ा जल्दी पहोंच गया था वो मनाली और उसकी दोस्त लोग नही आये थे । वहां मेने लिस्ट देखा
खूबसूरत सा एक पल किस्सा बन जाता है,जाने कब कौन ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है, कुछ लोग ज़िंदगी में मिलते हैं ऐसे, जिनसे कभी ना टूटने वाला रिश्ता बन जाता है.. हा ऐ ...और पढ़ेमेरे लिए बहोत खूबसूरत था । वो मेरे बिलकुल बाजु की सीट पर बैठी हुई थी । अब तो मूवी से ज्यादा मुझको उसका डर लगता था कि कई मुझे कुछ ऐसा ना पूछ ले जिसका जवाब मेरे पास ना हो । ख़ैर जो मजा दूर से देखने में है वो साथ बैठने में नही दूर से एक दूसरे के साथ स्माइल में